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व्यावसायिक माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर नीतिगत समन्वय की जरूरत : जेटली
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अंकारा : वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जेटली ने कहा है कि ब्रिस्बेन जी20 बैठक में जो प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी उनके क्रियान्वयन के बारे में प्राप्त शुरुआती जानकारी के मुताबिक इनमें से एक तिहाई प्रतिबद्धताओं को पूरा कर लिया गया है और शेष में से ज्यादातर में प्रगति चल रही है. उन्होंने कहा, ‘‘इस […]
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अंकारा : वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जेटली ने कहा है कि ब्रिस्बेन जी20 बैठक में जो प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी उनके क्रियान्वयन के बारे में प्राप्त शुरुआती जानकारी के मुताबिक इनमें से एक तिहाई प्रतिबद्धताओं को पूरा कर लिया गया है और शेष में से ज्यादातर में प्रगति चल रही है. उन्होंने कहा, ‘‘इस सचाई को देखते हुए कि बडी अर्थव्यवस्थाओं में क्रियान्वयन धीमी गति से हो रहा है इससे विशेषतौर पर चुनौतियां खडी हो रही है और इसका वृद्धि पर उल्लेखनीय असर पड रहा है.’ वित्त मंत्री ने आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कहा है कि वह अंतिम मात्रात्मक आकलन को समय रहते उपलब्ध करा दें ताकि सदस्यों को यदि कोई मुद्दा है तो उस पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए उपयुक्त समय मिल सके और उपयोगी होने पर वह रणनीति पर काम कर सकें.
जेटली ने निवेश के बारे में कहा कि जी20 सदस्य देशों को आत्मावलोकन कर ये देखना चाहिये कि क्या इस मोर्चे पर उनके प्रयास संतोषजनक रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मांग और आपूर्ति पक्ष की अडचनों को दूर करने के लिए ढांचागत क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को देखते हुए भारत ऐसी परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु वैश्विक स्तर पर एक उन्नत दीर्घकालिक वित्तपोषण सुविधा की आवश्यकता को दोहराता रहा है. वृहत आर्थिक स्थायित्व और बेहतर व्यावसायिक माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर नीतिगत समन्वय की जरूरत है.’
जेटली ने कहा, ‘‘मेरा यह मानना है कि अस्थायी, व्यक्तिगत स्तर पर किये गये प्रतिक्रियात्मक उपायों से इस तरह के घटनाक्रमों के प्रतिकूल प्रभाव को केवल कुछ समय के लिए ही नियंत्रित किया जा सकता है. इस तरह के उपायों से टिकाउ समाधान नहीं मिल सकता, ऐसा केवल वैश्विक नीतिगत समन्वय से ही किया जा सकता है.’ वित्त मंत्री ने हालांकि, चीन का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा हाल में चीन की वजह से विश्व अर्थव्यवस्था में आई उठापटक की तरफ ही था. घरेलू अर्थव्यवस्था में छा रही आर्थिक सुस्ती की वजह से चीन ने अपनी मुद्रा युआन का अवमूल्यन किया जिसका भारत सहित दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं पर असर पडा. जेटली यहां जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की दो दिवसीय बैठक में ‘‘संतुलित, टिकाउ और मजबूत आर्थिक वृद्धि के लिए रुपरेखा’ विषय पर चल रहे सत्र में भाग लेते हुए यह बात कही.
जेटली ने बैठक के इस दूसरे सत्र में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया. इस दौरान दुनियाभर के नीतिनिर्माताओं ने चीन की अर्थव्यवस्था में आती सुस्ती से विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के उपायों पर गौर किया. वित्त मंत्री ने कहा कि यदि सामूहिक और समन्वित कारवाई ही जी20 देशों की विशेषता है तो फिर समूह को ऐसी नीतियों तैयार करनी चाहिये जिनमें कि किसी देश की घरेलू नीतिगत कारवाई से पडने वाले नकारात्मक असर से निपटने का बोझ प्रभावित देशों पर नहीं पडे.
जेटली ने कहा, ‘‘इस मामले में जी20 को नकदी व्यवस्था को मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिये. यह काम संभवत: आईएमएफ के समन्वय में सदस्य देशों के बीच मुद्राओं के बहुपक्षीय अदला बदली समझौते के जरिये किया जा सकता है. आईएमएफ के तहत इस प्रकार के सुनियोजित और त्वरित प्रतिक्रिया वाले सुरक्षा कवच के लिए तलाश होनी चाहिये.’ जेटली और रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कल रात ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था’ पर आयोजित पहले सत्र में भाग लिया था. इस सत्र में आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्द ने कहा कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में भारत कुछ चमकते स्थानों में है. लेगार्द ने कहा कि ऐसे समय जब दुनिया के विकसित और चीन जैसे विकासशील देशों में वृद्धि कमजोर बनी हुई है, भारत लगातार मजबूत वृद्धि के साथ आगे बढ रहा है. जी20 की इस साल की बैठक की विषयवस्तु ‘आर्थिक वृद्धि के लिए समावेश, क्रियान्वयन और निवेश’ का जिक्र करते हुये जेटली ने कहा, ‘‘हमने समावेशी वृद्धि की दिशा में अपने प्रयास काफी तेज किये हैं, फिर भी वृद्धि के लिए क्रियान्वयन और निवेश से जुडे हमारे प्रयासों को वैश्विक वृद्धि अनुमानों को बार बार कम किये जाने से बढ रही चुनौतियों के चलते और तेज किये जाने की जरूरत है.’
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