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रघुराम राजन ने ऋण न चुकाने वाले कारपोरेट्स को आड़े हाथ लिया
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मुंबई:रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कुछ बडी ऋण न चुकाने वाली कंपनियों को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि ये कारपोरेट, बैंक के इस भय का लाभ उठा रहे हैं कि कहीं उनकी ये परिसंपत्तियां निष्क्रिय न हो जाएं. इसके एवज में वे अनुचित मांगे करते हैं.राजन ने केंद्रीय बैंक की 2014-15 […]
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मुंबई:रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कुछ बडी ऋण न चुकाने वाली कंपनियों को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि ये कारपोरेट, बैंक के इस भय का लाभ उठा रहे हैं कि कहीं उनकी ये परिसंपत्तियां निष्क्रिय न हो जाएं. इसके एवज में वे अनुचित मांगे करते हैं.राजन ने केंद्रीय बैंक की 2014-15 की वार्षिक रपट में लिखा है कि कुछ बडे कारपोरेट, प्रवर्तक बैंक की इस आशंका का फायदा उठा रहे हैं कि कहीं ये परिसंपत्तियां गैर निष्पादित न बन जाएं. ऐसे में वे बैंकों से कुछ अनुचित रियायतें मांगते हैं.
उन्होंने कहा कि दबाव वाली परिसंपत्तियों से निपटने के लिए रिजर्व बैंक की परियोजनाओं को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा है लेकिन इसमें कई तरह की अडचनें हैं.रघुराम राजन ने कहा देश की आर्थिक वृद्धि दर संभावित क्षमता से कम है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा, संकट में फंसी परियोजनाओं के समाधान में तेजी और बैंकों के बही खातों को साफ सुथरा कर उनके लिए पर्याप्त मात्रा में पूंजी सुनिश्चित करेगा.
राजन ने रिजर्व बैंक की वर्ष 2014-15 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा है, प्रस्तावित मार्ग के जरिये मुद्रास्फीति पर अंकुश के प्रयास जारी रहेंगे. इसके अलावा केंद्रीय बैंक सरकार और बैंकों के साथ मिलकर काम करेगा जिससे संकट में फंसी परियोजनाओं का तेजी से समाधान हो सके. इसके अलावा यह प्रयास किया जाएगा कि बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी हो, जिससे वे फंसे कर्ज के लिए प्रावधान कर सकें.
नए ऋण के लिए सहयोग दिया जाएगा जिससे भविष्य में संभावित दर कटौती हो सके. उन्होंने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा वृहद आर्थिक स्थिरता को कायम करने के प्रयासों के बावजूद ये तीन क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें रिजर्व बैंक के दृष्टिकोण से अभी कार्य प्रगति पर है.
राजन ने वार्षिक रिपोर्ट में कहा, सबसे पहली बात यह है कि आर्थिक वृद्धि दर अभी देश की संभावित क्षमता से कम है. इसके अलावा जनवरी, 2016 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान अभी केंद्रीय बैंक के अनुमान के उपरी स्तर पर है.
इसके अलावा तीसरी बात बैंकों द्वारा आधार दर में कटौती लेकर इच्छाशक्ति की कमी है. ऐसे में नया कारोबार आकर्षित नहीं हो पा रहा है. कमजोर कारपोरेट निवेश से नए मुनाफे वाले ऋण को कम किया है. कई बैंकों की पूंजी की स्थिति गैर निष्पादित आस्तियों की वजह से कमजोर हुई है. इससे वे खुले हाथ से कर्ज नहीं दे पा रहे.
दबाव वाली परियोजनाओं के समाधान में देरी पर राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक परियोजनाओं को पटरी पर लाने के लिए काम कर रहा है, लेकिन इसमें कई अडचनें हैं विशेष रूप से कानूनी अडचने है..
उन्होंने कहा कि ऋणदाता अनुकूल कानून सरफेइसी अधिनियम के बावजूद न्यायिक प्रक्रिया की वजह से बैंकों को प्रभावशाली प्रवर्तकों से अपना बकाया कर्ज वसूलने में दिक्कत आती है.गवर्नर ने नियामकीय सहनशीलता के खिलाफ अपने रख को दोहराते हुए कहा कि यह कोई समाधान नहीं है. मौद्रिक नीति समिति पर गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ करार किया है जहां उसका कार्यक्षेत्र लचीले मुद्रास्फीति उद्देश्य के रूप में बताया गया है.
राजन ने वित्त मंत्री द्वारा मौद्रिक नीति समिति का ढांचा बनाने की पहल का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह संस्थान के निर्माण के लिए एक स्वागतयोग्य कदम है, जो एक पारदर्शी और निष्पक्ष मौद्रिक नीति के लिए जरुरी है.उन्होंने वित्तीय क्षेत्र में बेहतर दक्षता के लिए प्रतिस्पर्धा की जरूरत पर भी बल दिया
गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय बैंकों के बढ़ते एनपीए पर चिंता जतायी है. रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक भारत के बैंकों के एनपीए अब भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बना हुआ है.
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