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बजट में स्थिर कर प्रणाली व नये सुधारों पर होगा जोर : अरुण जेटली

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मुंबई : आम बजट से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज तेज आर्थिक वृद्धि और खर्चो को तर्कसंगत बनाने के लिए नये सुधारों को बढाने का संकेत दिया और कहा कि सरकार उधार के पैसे से काम चलाने में विश्वास नहीं करती. वित्त मंत्री का यह बयान राजकोषीय घाटे के बजट में तय लक्ष्य […]

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मुंबई : आम बजट से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज तेज आर्थिक वृद्धि और खर्चो को तर्कसंगत बनाने के लिए नये सुधारों को बढाने का संकेत दिया और कहा कि सरकार उधार के पैसे से काम चलाने में विश्वास नहीं करती. वित्त मंत्री का यह बयान राजकोषीय घाटे के बजट में तय लक्ष्य का 99 प्रतिशत नवंबर में ही पूरा हो जाने के बीच आया है. चालू वित्त वर्ष की समाप्ति से चार महीने पहले ही बाजार से उधार ली जाने वाली राशि खर्च हो गई.
उन्होंने कहा ‘जहां तक सरकार का सवाल है, हम खर्चों को तर्कसंगत बनाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि सरकार अनिश्चितकाल तक उधार के पैसे पर चले. कमाई से ज्यादा खर्च करके अगली पीढी पर कर्ज का बोझ छोडने की पूरी सोच. जिस तरह आज हम अधिक खर्च कर रहे हैं. कभी भी विवेकपूर्ण राजकोषीय नीति नहीं कही जा सकती.’ वित्त मंत्री ने बजट में स्थिर कर प्रणाली की शुरुआत करने का संकेत दिया और कहा कि अधिक राजस्व जुटाने के लिये केंद्र और राज्य कोई भी अनुचित प्रयास नहीं करेंगे.
जेटली ने कहा ‘हमारी कराधान नीति वास्तव में निवेशकों के अनुकूल नहीं रही है. पिछले कुछ महीनों में हमने कर विवादों और ऐसे मुद्दे जिनकी वजह से भारतीय राजस्व ढांचे की बदनामी हुई है उनमें सरलता का प्रयास किया है.’ उन्होंने कहा ‘मेरा हमेशा से मानना है कि जहां कर का भुगतान होना है वहां कर वसूली होनी चाहिये लेकिन सरकार ऐसी कोई अनुचित पहल नहीं करेगी जिससे कि निवेशकों को उस क्षेत्र में बेवजह प्रताडित किया जाये.’
सरकार ने हाल ही में फैसला किया कि वह 3,000 करोड रुपये के ट्रांसफर प्राइसिंग मामले में वोडाफोन के पक्ष में दिये गये मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील नहीं करेगी. वित्त मंत्री ने कहा कि आगामी बजट बिजली, उर्जा, रेलवे और बंदरगाह क्षेत्र में सुधारों पर केंद्रित होगा और साथ ही इन क्षेत्रों में और सार्वजनिक निवेशक का भी संकेत दिया है.
जेटली ने मुंबई को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनाने पर आयोजित ‘मुंबई फर्स्ट’ कार्यक्रम में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए शीर्ष उद्योगपतियों और योजनाकारों को संबोधित करते हुए संकेत दिया कि राजकोषीय घाटे के 4.1 प्रतिशत के तय लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा. साथ ही नियोजित व्यय में और कटौती हो सकती है.
आठ महीने पहले वित्त मंत्री का पद संभालने के बाद जेटली अब तक योजना व्यय में 10 प्रतिशत कटौती कर चुके हैं और ऐसी रिपोर्टों आ रही हैं कि योजना के अनुरुप यदि कर संग्रह नहीं बढा तो आगे और कटौती की जा सकती है. इसके अलावा विनिवेश से भी अब तक तय लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी हासिल नहीं किया जा सका है.
जेटली ने कहा कि बीते 10 साल मौके गंवाने का दशक रहा है. लेकिन अब सरकार सुधारों के रास्ते पर आगे बढने के लिए दृढ है. उन्होंने कहा ‘यदि हमने 1991 से 2004 की गति को बरकरार रखा होता तो हम तेज गति से आगे बढ रहे होते. लेकिन अनिर्णय और गलत निर्णय की श्रृंखला के कारण हमारे सामने ऐसी परिस्थितियां पैदा हुई जहां हम मौके गंवाते रहे.’
जेटली ने कहा ‘लेकिन इतिहास ने एक बार फिर मौका दिया. मौजूदा सरकार सुधारों के रास्ते पर अग्रसर होने और भारत को उच्च वृद्धि के दायरे में ले जाने के लिए दृढ है.’ उन्होंने इसके लिये उद्योग और नीति निर्माताओं से सक्रिय सहयोग देने का आह्वान किया.
रिलायंस इंडस्टरीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी द्वारा शहर के बुनियादी ढांचे के वित्त पोषण के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में जेटली ने कहा ‘मुझे लगता है कि यह सवाल सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे देश से जुडे मुद्दे की जड तक जाता है.’ इस समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, टाटा समूह के अध्यक्ष सायरस मिस्त्री, रिलायंस एडीएजी समूह के अनिल अंबानी और ऐक्सिस बैंक की प्रमुख शिखा शर्मा उपस्थित थीं.
जेटली ने कहा ‘पिछले कुछ सालों में बुनियादी ढांचा सृजन बहुत कम हुआ है. यदि हम नये दौर में है जहां लोग हमें सकारात्मक दृष्टि वाली सरकार के तौर पर देख रहे हैं, यदि हम जमीन पर असर देखना चाहते हैं तो बहुत स्प्ष्ट है कि सबसे बडे वित्तपोषणा की प्रक्रिया सुव्यवस्थित करनी होगी.’
उन्होंने मोदी सरकार के तेज फैसले करने के मंत्र का जिक्र करते हुए कहा कि निर्णय प्रक्रिया तेज होगी. वित्त मंत्री ने कहा ‘हमारी सरकार विकास और व्यापार अनुकूल है. इसलिए चाहे हवाईअड्डे का विकास हो या मुंबई में समुद्री संपर्क या फिर तटीय सडकों का विकास, शैक्षणिक नेटवर्क का विकास या कौशल विकास, ये सब हमारे लिए प्राथमिक मुद्दे हैं.’
राज्यों में बुनियादी ढांचा विकास की जरुरतों को पूर्ण सहायता और समर्थन का आश्वासन देते हुए जेटली ने कहा ‘हमें अब नये दौर में प्रवेश करना होगा जिसमें बुनियादी ढांचे से जुडे वित्तपोषण के सभी तरीके ढूंढने होंगे. हमें बुनियादी ढांचा के लिए सार्वजनिक व्यय का स्तर बढाना होगा. हमें घरेलू बचत को बुनियादी ढांचे के लिए निवेश में परिवर्तित करना होगा.’
बुनियादी ढांचे की वित्तपोषण की जरुरत पूरा करने के संबंध में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण के मॉडल के अनुकरण का सुझाव दिया. उन्होंने कहा ‘मुझे लगता है कि वित्तपोषण का अंतरराष्ट्रीय मॉडल जो विभिन्न स्रोतों से अंतरराष्ट्रीय तौर पर उपलब्ध है, बेहद महत्वपूर्ण है.’
जेटली ने कहा ‘पिछले कुछ सप्ताह में हमारे यहां कई लोग आए जिन्होंने एक निश्चित मॉडल तैयार करने की स्थिति में हमारे बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में बहुत रुचि दिखाई. मैं इन मॉडल के विस्तार में नहीं जा सकता लेकिन सरकार इन पर सक्रियता से विचार कर रही है और आपको इस संबंध में जल्दी ही हमारे फैसले के बारे में जानकारी मिलेगी.’

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