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भेदिया कारोबार पर सेबी का शिकंजा, 20 साल पुराने नियमों को किया कड़ा

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मुंबई : शेयरों में भेदिया कारोबार के खिलाफ सेबी ने अपना नियामकीय शिकंजा और कस दिया है तथा इस मामले में करीब दो दशक पुराने नियमों को नया रुप देते हुये इन्हें इसके प्रावधान और कडे कर दिए हैं. भेदिया कारोबार के जोखिमों को देखते हुये इसको नये ढंग से परिभाषित किया गया है. भारतीय […]

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मुंबई : शेयरों में भेदिया कारोबार के खिलाफ सेबी ने अपना नियामकीय शिकंजा और कस दिया है तथा इस मामले में करीब दो दशक पुराने नियमों को नया रुप देते हुये इन्हें इसके प्रावधान और कडे कर दिए हैं. भेदिया कारोबार के जोखिमों को देखते हुये इसको नये ढंग से परिभाषित किया गया है.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) निदेशक मंडल की आज यहां हुई बैठक में भेदिया कारोबार रोधी नये नियमनों पर मुहर लगायी गयी. निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी वक्तव्य में सेबी ने कहा, नये विनयमन से कानूनी और प्रवर्तन की व्यवस्था मजबूत हुई है और इससे भारतीय नियम अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरुप बन गए हैं तथा विभिन्न अवधारणाओं और परिभाषाओं में स्पष्टता आयी है तथा इससे वैध कारोबार को सुविधा होगी.

भेदिया कारोबार से जुड़े व्‍यक्ति की नयी परिभाषा

सेबी ने भेदिया कारोबार रोधी नये नियमों में जुडे व्यक्ति की परिभाषा को और व्यापक बनाया है. कंपनी के साथ अनुबंध के तहत काम करने वाले, विश्वास पात्र अथवा रोजगार के जरिये जुडे व्यक्ति को भी इसके दायरे में लाया गया है. कंपनी के शेयर मूल्य पर असर डालने वाली ऐसी संवेदनशील जानकारी के आधार पर शेयरों के कारोबार को भेदिया कारोबार की श्रेणी में माना जाता है जो कि सार्वजनिक अथवा कहीं प्रकाशित नहीं हुई है.

सेबी ने भेदिया कारोबार गतिविधियों के संदर्भ में ऐसे जुडे व्यक्ति को नये नियमन ढांचे में बेहतर ढंग से परिभाषित किया है. इसमें कहा गया है कि यह जुडा व्यक्ति ऐसा कोई हो सकता है कि भेदिया कारोबार होने से पहले छह माह के दौरान कंपनी के साथ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तरीके से जुडा रहा.

नयी परिभाषा के अनुसार संबंधित व्यक्ति के नजदीकी रिश्तेदार जब तक यह साबित नहीं कर देते हैं कि वह मूल्य के प्रति संवेदनशील अप्रकाशित सूचना के बारे में जानकारी नहीं रखते हैं तब तक उन्हें भी जुडे व्यक्ति की श्रेणी में माना जायेगा. रिश्तेदारों को पाकसाफ साबित करने की पूरी जिम्मेदारी कंपनी से जुडे व्यक्ति की होगी.

नियामक ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिये बार बार जानकारी देने की जरुरत और अनुपालन बोझ को भी हल्का करने का फैसला किया है. वक्तव्य में कहा गया है, अधिग्रहण संहिता के तहत पांच प्रतिशत से अधिक शेयर भागीदारी अथवा मताधिकार रखने वाले व्यक्ति की होल्डिंग में दो प्रतिशत का बदलाव होने पर उसकी जानकारी देने की शर्त को समाप्त कर दिया गया है.

निवेशकों के हितों की रक्षा के लिये नये नियमों के अनुसार कंपनी को सार्वजनिक की जाने वाली मूल्य की दृष्टि से संवेदनशील अप्रकाशित (यूपीएसआई) को शेयर की फरोख्त करने के दो दिन पहले अनिवार्य रुप से सार्वजनिक करना होगा. भेदिया कारोबार ऐसे शेयर सौदों को कहा जाता है कि जिसमें कोई सौदा किसी कंपनी में ऐसी अंदरुनी जानकारी रखने पर किया जाता है जिसका आने वाले दिनों में कंपनी के शेयर मूल्य पर असर पड सकता है.

इस तरह के सौदे से ऐसे व्यक्ति अथवा इकाई को अंदर के भेद वाली जानकारी का अनुचित लाभ मिलता है. कंपनियों के बारे में अप्रकाशित शेयर मूल्य संवेदी सूचना (यूपीएसआई) की परिभाषा को भी और स्पष्ट एवं मजबूत बनाया गया है. मूल्य से जुडी संवेदनशील सूचना की पहचान के लिये परीक्षण की बात की गई है.

इसे सूचीबद्धता समझौते के साथ जोडा गया है और जानकारी सार्वजनिक करने के लिये प्लेटफार्म उपलब्ध कराया गया है. अब तक ऐसी संवेदनशील सूचना की परिभाषा में केवल कंपनी का जिक्र किया गया था लेकिन अब इसमें कंपनी और प्रतिभूति दोनों का ही जिक्र किया गया है. कंपनियां कानून के मुताबिक तीसरे पक्ष के जुडे व्यक्ति को उसके द्वारा कंपनी के शेयरों में किये गये कारोबार और कंपनी शेयरों की होल्डिंग के बारे में जानकारी मांगने की पात्रता रखती है.

नये कंपनी कानून के नियमों के अनुरुप कंपनी के निदेशकों और मुख्य प्रबंधकीय पदों से जुडे व्यक्तियों को कंपनी के शेयरों में वायदा एवं विकल्प (डेरिवेटिव) कारोबार से रोका गया है. नियमों में अन्य बातों के अलावा सिद्धांतों पर आधारित उचित उद्घोषणा संहिता और आचार संहिता के बारे में भी बताया गया है. इन नियमों को सोढी समिति की सिफारिशों तथा विभिन्न वर्गों से मिले सुझावों के आधार पर विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है. सोढी समिति ने दिसंबर 2013 में अपनी सिफारिशें दी थी.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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