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TATA SONS ने NCLAT के फैसले के खिलाफ खटखटाया SC का दरवाजा

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नयी दिल्ली : टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. टाटा समूह ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. उधर, खबर यह भी […]

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नयी दिल्ली : टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. टाटा समूह ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. उधर, खबर यह भी है कि एनसीएलएटी टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी रजिस्ट्रार की याचिका पर अब शुक्रवार को सुनवाई करेगा.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध ठहराया था. मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि हमने एनसीएलएटी के फैसले को पूर्ण रूप से चुनौती दी है. याचिका में शीर्ष अदालत से अपीलीय न्यायाधिकरण के निष्कर्षों को खारिज करने या रद्द करने की मांग की गयी है.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने माना था कि समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा की मिस्त्री के खिलाफ कार्रवाई उत्पीड़नकारी थी. एनसीएलएटी ने कहा था कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद प्रभावी होगा. निर्णय के अनुसार, टाटा संस इस अवधि में चाहे, तो निर्णय के खिलाफ अपील कर सकती है.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक फर्म से बदलकर प्राइवेट फर्म बनाने की कार्रवाई को भी रद्द कर दिया. एनसीएलएटी ने टाटा संस को मिस्त्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया है. मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस में 18 फीसदी हिस्सेदारी है. शेष 81 फीसदी हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह की कंपनियों के साथ टाटा परिवार के सदस्यों के पास है.

उधर, एनसीएलएटी टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी रजिस्ट्रार की याचिका पर अब शुक्रवार को सुनवाई करेगा. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) ने इस आदेश में कुछ संशोधन किये जाने के लिए न्यायाधिकरण से अपील की है.

एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में इस अपील की सुनवाई कर रही दो सदस्यीय पीठ ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को कंपनी अधिनियम के नियमों के तहत निजी और सार्वजनिक कंपनियों की परिभाषा का विवरण जमा करने के लिए कहा है.

पीठ ने इसके लिए चुकता पूंजी की जरूरत पर स्पष्टीकरण भी मांगा है. इस बीच, टाटा संस के वकील ने न्यायाधिकरण को बताया कि कंपनी ने उसके 18 दिसंबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है.

हालांकि, उसने यह भी बताया कि अभी यह याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई है. कंपनी रजिस्ट्रार ने एनसीएलएटी में दायर अपनी याचिका में मामले में पक्ष बनाये जाने और अपने हालिया आदेश में ‘गैर-कानूनी’ और ‘आरओसी की मदद से’ जैसे शब्दों को हटाने का आग्रह किया था.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 दिसंबर को 110 अरब डॉलर के टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाये गये साइरस मिस्त्री को पद पर बहाल करने का आदेश दिया था. इसके साथ ही, न्यायाधिकरण ने समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखर की नियुक्ति को अवैध ठहराया और आरओसी को टाटा संस का दर्जा प्राइवेट कंपनी से वापस बदलकर पब्लिक कंपनी करने को कहा.

एनसीएलएटी के फैसले के पांच दिन बाद दायर आवेदन में मुंबई स्थिति आरओसी ने न्यायाधिकरण से फैसले के पैरा 186 और 187 (4) में जरूरी संशोधन का आग्रह किया है, ताकि आरओसी की भूमिका गलत नहीं, बल्कि कंपनी कानून के प्रावधानों के तहत सही दिखे.

इसके अलावा, टाटा संस को जल्दबाजी में आरओसी मुंबई द्वारा दी गयी किसी प्रकार की मदद की बात को भी हटाने का आग्रह किया गया है. आरओसी ने कहा कि उसने उचित तरीके से काम किया और टाटा संस लिमिटेड की ओर से जब कंपनी का दर्जा बदलने की सूचना दी गयी, तो अपीलीय न्यायाधिकरण ने नौ जुलाई, 2018 के आदेश पर किसी तरह का स्थगन नहीं दिया.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 दिसंबर को दिये अपने 172 पृष्ठ के आदेश में पद से हटाये गये मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया.

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