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IMF में बड़े उभरते देशों का वोटिंग राइट बढ़ाने का फिर टला फैसला

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वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों ने इस बहुपक्षीय वित्तीय संगठन के पास विदेशी-विनिमय संकट में फंसे देशों की मदद के लिए बनाये गये विशेष अस्थायी कोष का धन दोगुना करने पर सहमति जतायी है, लेकिन मुद्राकोष के संचालन व्यवस्था में भारत,चीन और ब्राजील जैसी उभरती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को अधिक मताधिकार […]

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वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों ने इस बहुपक्षीय वित्तीय संगठन के पास विदेशी-विनिमय संकट में फंसे देशों की मदद के लिए बनाये गये विशेष अस्थायी कोष का धन दोगुना करने पर सहमति जतायी है, लेकिन मुद्राकोष के संचालन व्यवस्था में भारत,चीन और ब्राजील जैसी उभरती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को अधिक मताधिकार प्रदान करने के प्रस्ताव पर फैसला फिर टाल दिया गया है. संकटग्रस्त देशों की मदद के लिए उधार की नयी व्यवस्था (एनएबी) के रूप में बनाये गये अस्थायी कोष में 40 देश अंशदान करते हैं. यह कोष 2008 के वैश्विक संकट के समय बनाया गया था. इसे अब नवंबर, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

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आईएमएफ मताधिकार में हिस्सेदारी की पुनर्संरचना के प्रस्वात पर विचार कर रहा है. इससे चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों का मताधिकार बढ़ सकता है. हालांकि, विकसित देश आईएमएफ में अपना प्रभुत्व समाप्त होने की आशंका से पुनर्संरचना का विरोध कर रहे हैं. शुक्रवार को जारी एक बयान के अनुसार, मताधिकार की पुनर्संरचना अब तक हो जानी चाहिए थी, लेकिन इस सप्ताह हुई वार्षिक बैठक में आईएमएफ के सदस्यों ने इसे दिसंबर, 2022 तक के लिए टाल दिया है. हालांकि, मताधिकार की पुनर्संरचना होने से उभरती अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के हिसाब से बढ़ने वाली है.

बता दें कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बने आईएमएफ पर पारंपरिक तौर पर अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देशों का प्रभुत्व कायम है. विकासशील देशों का कहना है कि यदि पुनर्संरचना नहीं की जायेगी, तो आईएमएफ की वैधानिकता संदिग्ध हो जायेगी. बयान में कहा गया कि आईएमएफ की संचालन इकाई ने 189 सदस्य देशों में से 40 के द्वारा मुहैया कराये जाने वाले अस्थायी कोष को दोगुना कर 500 अरब डॉलर करने पर सहमत हुई है. मुद्राकोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जियेवा ने एनएबी के विस्तार को स्वागत योग्य बताया है.

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