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अमेरिका ने भारत के व्यापारिक रुख पर निराशा जतायी

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वाशिंगटन: अमेरिकी वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन की प्रतिबद्धताओं व्यापार सुगमता समझौते (टीएफए) के संबंध में भारत का कदम पीछे हटाना बेहद निराशाजनक है. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिजकर ने कहा कि भारत के रुख का दोहा दौर पर गंभीर असर होगा. उम्मीद है कि भारत को समाधान मिल जाएगा और आखिरी […]

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वाशिंगटन: अमेरिकी वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन की प्रतिबद्धताओं व्यापार सुगमता समझौते (टीएफए) के संबंध में भारत का कदम पीछे हटाना बेहद निराशाजनक है. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिजकर ने कहा कि भारत के रुख का दोहा दौर पर गंभीर असर होगा. उम्मीद है कि भारत को समाधान मिल जाएगा और आखिरी दो दिन में व्यापार सुविधा समझौते पर अंतिम स्वरुप देने पर सहमति हो जाएगी.

भारत का नाम लिए बगैर अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि माइक फ्रोमैन ने आरोप लगाया कि कुछ देश विश्व व्यापार संगठन (डल्यूटीओ) के तहत व्यापार सुगमता समझौते (टीएफए) को लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दोबारा सोच विचार करने लगे हैं. पर फ्रोमैन को उम्मीद है कि गुरुवार को हस्ताक्षर करने की समयसीमा समाप्त होने से पहले सहमति बन जाएगी.

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने कल यहां एक समारोह में कहा कि एक संगठन के रुप में डब्ल्यूटीओ की विश्वसनीयता एफटीए को समय से लागू कराने पर निर्भर करती है. बू्रकिंग इंस्टीच्यूट के इस कार्यक्रम में फ्रोमैन ने टीएफए में अडचन के लिए भारत का नाम सीधे नहीं लिया लेकिन उनका इशारा भारत सहित क्यूबा, बोलीविया, वेनीजुएला और इक्वेडोर जैसे कुछ देशों की ओर था.

ये देश बाली में तय एफटीए को लागू करने का कार्यक्रम टालने की भारत की मांग का समर्थन कर रहे हैं.भारत ने पिछले सप्ताह जिनेवा में डब्ल्यूटीओ की बैठक में कहा था कि वह टीएफए पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेगा जब तक कि खाद्य सुरक्षा के मुद्दे से जुडी उसकी चिंताओं का समाधान नहीं हो जाता. इस पर अमेरिका ने निराशा जताई थी. इधर वैश्विक व्यापार संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि भारत द्वारा व्यापार सुविधा समझौते पर अपना रुख कडा करना नई सरकार के व्यापार खोलने के वायदे के विपरीत है.

फ्रोमैन ने कल कहा, ‘दुर्भाग्य से ऐसा लगता है कि कुछ एक देश अब डब्ल्यूटीओ के व्यापार सुगमता समझौते को आगे इसी सप्ताह से लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दोबारा विचार कर रहे हैं.’ उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि समय रहते कोई आम सहमति बन जाएगी क्यों कि टीएफए पर डब्ल्यूटीओ की विश्वसनीयता टिकी है.

इस बीच अमेरिका के संस्थान, काउंसिल आन फारेन रेलेशंस की वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता अलीसा आयरस ने कहा ‘इस सप्ताह तक यह कहना हमेशा संभव था कि भारत अपने बहुपक्षीय उत्तरदायित्व का समर्थन करता है लेकिन अगले सप्ताह से शायद ऐसा कहना संभव न हो.’ उन्होंने कहा कि एफटीए से अपने आपको अलग करने की भारत की पहल से कइयों का यह भरोसा मजबूत होगा कि भारत बडे व्यापार विस्तार समझौते के लिए तैयार नहीं है.

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