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GST रिटर्न फाइल करने वाले कारोबारियों के लिए राहत लेकर आया Gujrat HC का यह फैसला…

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अहमदाबाद : अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को देश में लागू हुए दो साल पूरे हो गये हैं. क्रांतिकारी ‘वन नेशन, वन टैक्स’ कई कानूनी मुद्दों का गवाह भी है, लेकिन धीरे-धीरे अब इसमें गिरावट भी आने लगी है. गुजरात हाई कोर्ट ने अभी हाल ही में आईटीसी से संबंधित जुलाई, 2017 […]

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अहमदाबाद : अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को देश में लागू हुए दो साल पूरे हो गये हैं. क्रांतिकारी ‘वन नेशन, वन टैक्स’ कई कानूनी मुद्दों का गवाह भी है, लेकिन धीरे-धीरे अब इसमें गिरावट भी आने लगी है. गुजरात हाई कोर्ट ने अभी हाल ही में आईटीसी से संबंधित जुलाई, 2017 से मार्च, 2018 तक के लिए जारी चालानों को लेकर फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट के इस फैसले से कई करदाताओं को राहत मिलेगी.

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इसे भी देखें : जीएसटीआर 9 की जटिलता से कारोबारी हलकान

अंग्रेजी के अखबार फाइनांशिल टाइम्स में छपे एक लेख के अनुसार, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जीएसटीआर-3बी फॉर्म जीएसटीआर-3 में आवश्यक रूप से दाखिल किये जाने वाले रिटर्न के बदले में नहीं है. फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न केवल एक तात्कालिक व्यवस्था है, जब तक फॉर्म GSTR-3 में रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख अधिसूचित नहीं हो जाती. इसका मतलब यह कि व्यवसाय अभी भी जीएसटीआर-9 के रूप में वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की तिथि तक उल्लिखित अवधि के दौरान जारी किये गये छूटे हुए चालानों के आईटीसी का लाभ उठा सकते हैं. हाईकोर्ट के इस फैसले से कई करदाताओं को राहत मिलेगी.

सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 (4) में प्रावधान है कि पंजीकृत व्यक्ति वित्तीय वर्ष के अंत के बाद सितंबर के महीने के लिए धारा 39 के तहत रिटर्न प्रस्तुत करने की नियत तारीख के बाद किसी भी चालान के संबंध में आईटीसी का लाभ उठाने का हकदार नहीं होगा, जो इस तरह के चालान संबंधित वार्षिक रिटर्न से संबंधित या प्रस्तुत है, जो भी पहले हो.

लेख के अनुसार, चूंकि, रिटर्न जीएसटीआर-3 को इसलिए जारी रखा गया था, क्योंकि इसमें इसे पेश किये जाने के समय से ही तकनीकी खराबी आ गयी थी. इसलिए यह सवाल उठता है कि धारा 39 के तहत दाखिल किये गये रिटर्न क्या कहा जायेगा. नतीजतन, जुलाई, 2017 से मार्च, 2018 की अवधि के दौरान जारी किये गये चालान से संबंधित आईटीसी का लाभ उठाने के लिए अंतिम तिथि क्या होगी?

हाई कोर्ट ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 (4) के साथ सीजीएसटी अधिनियम की धारा 39 (1) और सीजीएसटी नियमों के नियम 61 के साथ अवैध और इसके विपरीत होने के लिए उपरोक्त स्पष्टीकरण रखा. अदालत ने आगे कहा कि जीएसटीआर-3बी की धारा 39 के तहत रिटर्न नहीं है. जुलाई 2017 से मार्च 2019 के लिए धारा 39 के तहत रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख बाद में आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित की जायेगी. हाई कोर्ट के हालिया फैसले ने आईटीसी का लाभ उठाने की अंतिम तारीख को लेकर विवाद को सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन इसने कई और विवादों को जन्म दिया है. अब यह जानना जरूरी है कि यह किन-किन क्षेत्रों में ज्यादा प्रभावी होगा.

सीजीएसटी अधिनियम की धारा 39 (7) में यह प्रावधान है कि पंजीकृत व्यक्ति जिसे धारा 39 के तहत रिटर्न दाखिल करना जरूरी है, वह अंतिम तिथि से बाद में रिटर्न दाखिल करने के कारण सरकारी कर का भुगतान करेगा, जिस पर उसे ऐसे रिटर्न को दाखिल करना जरूरी है. यदि जीएसटीआर-3बी की धारा 39 के तहत कोई प्रतिफल नहीं है, तो क्या यह करदाता के लिए खुला है कि वह यह दावा करे कि GSTR-3 को अधिसूचित किए जाने तक कर के भुगतान की कोई अंतिम तिथि नहीं है और इसलिए अब तक भुगतान में किसी भी प्रकार की देरी होने की स्थिति में वह ब्याज भरने के लिए उत्तरदायी नहीं है.

इसके अलावा, सीजीएसटी अधिनियम की धारा 37 (3) में यह प्रावधान है कि धारा 37 (1) के तहत प्रस्तुत विवरण के संबंध में त्रुटि या चूक का कोई सुधार नहीं है, अर्थात, जीएसटीआर-1 को अनुभाग में रिटर्न दाखिल करने की अनुमति दी जायेगी. वित्त वर्ष के अंत के बाद सितंबर के महीने के लिए धारा 39 के तहत जो इस तरह के विवरण से संबंधित है या प्रासंगिक वार्षिक रिटर्न दाखिल किया जा सकता है या जो भी पहले हो. यदि जीएसटीआर-3बी की धारा 39 के तहत वापसी नहीं है, तो स्वाभाविक परिणाम यह होगा कि वार्षिक रिटर्न भरने की तारीख तक किसी भी बेमेल के लिए जीएसटीआर-1 को सुधारा जा सकता है.

अब तक, ये सभी परिणाम करदाता के पक्ष में जाते हैं और वह अब तक का सबसे खुशहाल व्यक्ति होगा. सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 (2) (डी) यह अधिकार प्रदान करता है कि कोई भी पंजीकृत व्यक्ति किसी भी सामान या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के संबंध में आईटीसी का हकदार नहीं होगा, जब तक कि उसने धारा 39 के तहत रिटर्न की सुविधा नहीं दी हो. इस तरह की व्याख्या एक व्याख्या होगी. जीएसटीआर-3 बी के नोटिफिकेशन का इंतजार किए बिना कारोबारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि जीएसटीआर-3 बी के आधार पर आईटीसी ने पहले ही दावा कर दिया है. यह व्याख्या करदाताओं के सभी आईटीसी दावों को खतरे में डाल देगी और ब्याज देयता को भी दबा सकती है.

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