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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, रियल एस्टेट परियोजनाओं मे देरी के लिए सरकारी निकायों की भी तय हो जवाबदेही

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नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि जिस तरह रेरा के तहत समय पर घर नहीं बनाने के लिए बिल्डरों को जिम्मेदार बनाया गया है, उसी तरह परियोजनाओं को मंजूरी देने में देरी के लिए स्थानीय शहरी निकायों और राज्य विकास प्राधिकरणों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए. रीयल एस्टेट डेवलपरों के संगठन क्रेडाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि डेवलपरों को खुद से नियंत्रण वाला तंत्र विकसित करना चाहिए और कुछ कंपनियों के गलत कामों की वजह से रीयल एस्टेट की जो छवि खराब हुई है, उसे सुधारना चाहिए.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि परियोजना की समय पर आपूर्ति जरूरी है. सरकारी और शहरी एजेंसियों द्वारा मंजूरी देना भी उतना ही जरूरी है. उनकी भी जिम्मेदारी है. जब आप परियोजनाओं में देरी के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को जवाबदेह बनाते हैं, तो देरी के लिए आपको स्थानीय सरकारी निकायों को भी जिम्मेदार बनाना चाहिए. कारोबारी सुगमता की जरूरत पर जोर देते हुए नायडू ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र की वृद्धि के लिए केंद्रीय एवं राज्य स्तर की एजेंसियों को सुविधा देनी चाहिए.

नायडू ने रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए ऑनलाइन मंजूरी की वकालत की और बिल्डरों से ऑनलाइन लेन-देन करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि रेरा और जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार के संकेत दिख रहे हैं. हालांकि, उन्होंने जमीन की कीमतें अधिक होने पर चिंता जतायी है. यह परियोजनाओं को अव्यावहारिक बनाती है.

नायडू ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है. इसकी देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.9 फीसदी हिस्सेदारी है. रियल एस्टेट क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला क्षेत्र है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि जिस तरह रेरा के तहत समय पर घर नहीं बनाने के लिए बिल्डरों को जिम्मेदार बनाया गया है, उसी तरह परियोजनाओं को मंजूरी देने में देरी के लिए स्थानीय शहरी निकायों और राज्य विकास प्राधिकरणों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए. रीयल एस्टेट डेवलपरों के संगठन क्रेडाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि डेवलपरों को खुद से नियंत्रण वाला तंत्र विकसित करना चाहिए और कुछ कंपनियों के गलत कामों की वजह से रीयल एस्टेट की जो छवि खराब हुई है, उसे सुधारना चाहिए.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि परियोजना की समय पर आपूर्ति जरूरी है. सरकारी और शहरी एजेंसियों द्वारा मंजूरी देना भी उतना ही जरूरी है. उनकी भी जिम्मेदारी है. जब आप परियोजनाओं में देरी के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को जवाबदेह बनाते हैं, तो देरी के लिए आपको स्थानीय सरकारी निकायों को भी जिम्मेदार बनाना चाहिए. कारोबारी सुगमता की जरूरत पर जोर देते हुए नायडू ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र की वृद्धि के लिए केंद्रीय एवं राज्य स्तर की एजेंसियों को सुविधा देनी चाहिए.

नायडू ने रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए ऑनलाइन मंजूरी की वकालत की और बिल्डरों से ऑनलाइन लेन-देन करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि रेरा और जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार के संकेत दिख रहे हैं. हालांकि, उन्होंने जमीन की कीमतें अधिक होने पर चिंता जतायी है. यह परियोजनाओं को अव्यावहारिक बनाती है.

नायडू ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है. इसकी देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.9 फीसदी हिस्सेदारी है. रियल एस्टेट क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला क्षेत्र है.

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