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अंतरिम बजट में राजकोषीय लक्ष्यों से चूक सकती है मोदी सरकार, फिच ने जतायी आशंका

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नयी दिल्ली : भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार एक फरवरी यानी शुक्रवार को अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करने जा रही है. यह अंतरिम बजट होगा. इससे पहले रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने आगाह किया है कि यदि वित्त मंत्री पीयूष गोयल लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लोकलुभावन उपायों की घोषणाएं […]

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नयी दिल्ली : भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार एक फरवरी यानी शुक्रवार को अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करने जा रही है. यह अंतरिम बजट होगा.

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इससे पहले रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने आगाह किया है कि यदि वित्त मंत्री पीयूष गोयल लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लोकलुभावन उपायों की घोषणाएं करते हैं, तो इससे सरकार अपने राजकोषीय लक्ष्य से चूक सकती है.

फिच ने कहा कि अंतरिम बजट से राजकोषीय मजबूती के लिए सरकार के प्रयास का कुछ संकेत मिलेगा. स्वायत्त रेटिंग में यह एक प्रमुख कारक होता है.

फिच ने कहा कि सत्ताधारी भाजपा सरकार पर मतदाताओं को लुभाने, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों और छोटे कारोबारियों को लुभाने के लिए नये खर्च का दबाव है. ऐसा इस वजह से है कि भाजपा अब आम चुनावों में अपनी जीत को लेकर अधिक आशान्वित नहीं है.

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालिया विधानसभा चुनावों में ग्रामीण इलाकों में दिक्कतों तथा रोजगार सृजन को लेकर चिंता की वजह से भाजपा को वोट गंवाने पड़े हैं. फिच ने कहा कि लोकलुभावन खर्च की वजह से रोजकोषीय दबाव बढ़ेगा. यह दबाव राजस्व संग्रह में कमी की वजह से पहले से बना हुआ है.

फिच ने कहा कि चुनाव से पहले ऊंचे खर्च से लगातार दूसरे साल सरकार अपने राजकोषीय लक्ष्य से चूक जायेगी. इससे सरकार के राजकोषीय घाटे और कर्ज के बोझ को कम करने में और विलंब होगा.

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि स्वायत्त रेटिंग के लिए दीर्घावधि का रुख अधिक महत्वपूर्ण होता है. हालांकि, फिच का मानना है कि इन सब स्थितियों के बावजूद सरकार 2018-19 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर रखने के अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती है.

यह तभी हासिल होगा, जबकि पूंजीगत व्यय और बिल भुगतान को मार्च के बाद तक के लिए टाला जाये.

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