नयी दिल्ली : भारत में रेलगाड़ियों का देर से परिचालन होने की बात कोर्इ नयी नहीं है. ट्रेनों के लेट-लतीफ होने का सिलसिला बरसों से जारी है, लेकिन यदि आप एक्सप्रेस, सुपरफास्ट आैर मेल ट्रेनों की हो रही लेट-लतीफी से काफी परेशान हैं, तो आपकी यह परेशानी फिलहाल दूर होने वाली नहीं है. अगर रेलवे के अधिकारियों की बातों पर भरोसा करें, तो कम से कम आने वाले छह से आठ महीनों तक आपको ट्रेनों की लेट-लतीफी का सामना करना होगा. अधिकारियों का कहना है कि रेलवे की आेर से पटरियों रखरखाव और मरम्मत का काम कराने की वजह से ट्रेनों की आवाजाही में देर हो रही है.
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रेलवे बोर्ड की आेर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-18 में रेलवे के समय पर चलने का आंकड़ा पिछले दो वित्तीय वर्ष की तुलना में सबसे खराब रहा है. लगभग 30 फीसदी ट्रेनें देरी से चल रही हैं. रेलवे बोर्ड के सदस्य (ट्रैफिक) मोहम्मद जमशेद ने कहा कि अगर हम 2018-19 में 5000 किलोमीटर ट्रैक के रखरखाव का काम पूरा कर लेते हैं, तब भी अगले 6-8 महीने यात्रियों को और परेशानी झेलनी पड़ सकती है. मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के चलने का समय अप्रैल, 2017 से मार्च, 2018 तक 71.39 फीसदी था, जो 2016-17 में इसी अवधि के 76.69 फीसदी की तुलना में कम है. वर्ष 2015-16 में 77.44 फीसदी ट्रेनें समय पर चली थीं.
इसके साथ ही, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को यात्रियों से सहयोग की अपील करते हुए कहा था कि पटरी पर चल अपग्रेडेशन कार्य की वजह से ट्रेनें देर से चल रही हैं. यह कार्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने मंगलवार की रात को ही ट्वीट किया था कि यात्री सुरक्षा के लिए पटरी उन्नयन का कार्य मिशन मोड में चल रहा है. इसी वजह से यात्रा में देरी हो रही है, लेकिन इसके फलस्वरूप पिछले साल से दुर्घटनाओं में अभूतपूर्व कमी आयी है. उन्होंने कहा कि हम यात्रियों की परेशानियों को समझते हैं. सुरक्षा के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए हम सहयोग की उम्मीद करते हैं.
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