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निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित, सरकार ने श्रम कानून में सुधार से कदम पीछे खींचे

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नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र को अपने कर्मचारियों को नौकरी से हटाने व कंपनी को बिनामंजूरी बंद करने के संबंध में अधिक अधिकार संपन्न बनाने से अपने कदम पीछे खींच लिये हैं. सरकार ने फैसला किया है कि इससे संबंधित इंडिस्ट्रियल रिलेशंस कोड बिल को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया जाये. […]

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नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र को अपने कर्मचारियों को नौकरी से हटाने व कंपनी को बिनामंजूरी बंद करने के संबंध में अधिक अधिकार संपन्न बनाने से अपने कदम पीछे खींच लिये हैं. सरकार ने फैसला किया है कि इससे संबंधित इंडिस्ट्रियल रिलेशंस कोड बिल को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया जाये. इस बिल में ऐसा प्रावधान किया गया था कि 300 तक कर्मचारी वाली कंपनी को अपने श्रमिकों को नौकरी से हटाने व कंपनी को बंद करने के संबंध में सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती. वर्तमान में यह व्यवस्था 100 तककर्मचारी वाली कंपनियों पर लागू है.

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने यह यू टर्न इस मुद्दे पर मजदूर यूनियनों के तीखे विरोध के चलते लिया है. इस प्रस्ताव का विरोध करने वाले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ भी शामिल है. दूसरी बात कि नोटबंदी एवं जीएसटी को लागू किये जाने के बाद सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. विपक्ष लगातार कह रहा है कि नोटबंदी के कारण लोगों की नौकरियां गयी हैं, जबकि जीएसटी को लागू किये जाने के तरीके से छोटे कारोबारियों को परेशानी बढ़ गयी है. रोजगार ही वह बिंदु है, जहां पर मोदी सरकार बैक फुट पर आ जाती है.

हालांकि सरकार ने यह तय किया है कि राज्य सरकार अपने यहां इज आॅफ डूइंग बिजनेस के लिए स्थिति अनुकूल बनाने के लिए ऐसे सुधार स्वयं कर सकती हैं. केंद्र सरकार ने यह भी तय किया है कि मुआवजा बढ़ाने को सरकार स्थिर रखेगी. सरकार की सोच रही है कि मजदूर संगठन कानून 1926, औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) कानून 1946 एवं औद्योगिक विवाद कानून 1947 को मिलाकर एक कानून बनाया जाये.

ध्यान रहे कि विभिन्न मजदूर संगठनों ने पिछले महीने धरना दिया था और उसके बाद श्रम सुधार से संबंधित मंत्रियों की समिति से चर्चा की थी, जिसके प्रमुख वित्तमंत्री अरुण जेटली हैं. उस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर सरकार से अपनी आपत्ति जतायी थी.

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