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पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने मूडीज के रेटिंग बढ़ाने पर सरकार के उत्साहित होने की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि कुछ ही महीने पहले इसी सरकार ने इस रेटिंग एजेंसी के तौर-तरीकों पर सवाल उठाये थे. टाटा लिटरेचर लाइव में उन्होंने कहा, कुछ ही महीने पहले सरकार ने कहा था कि मूडी के तरीके गलत […]

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पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने मूडीज के रेटिंग बढ़ाने पर सरकार के उत्साहित होने की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि कुछ ही महीने पहले इसी सरकार ने इस रेटिंग एजेंसी के तौर-तरीकों पर सवाल उठाये थे.

टाटा लिटरेचर लाइव में उन्होंने कहा, कुछ ही महीने पहले सरकार ने कहा था कि मूडी के तरीके गलत हैं. शक्तिकांत दास (आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव) ने मूडीज के रेटिंग के तरीके पर सवाल उठाते हुए लंबा पत्र लिखा था. उन्होंने मूडीज के रेटिंग के तरीके को कमजोर बताते हुए सुधार करने की मांग की थी.

हाल ही में मूडीज ने भारत की रेटिंग बीएए3 से सुधारकर बीएए2 कर दिया था. उसने वृद्धि की बेहतर संभावनाओं तथा मोदी सरकार के विभिन्न सुधार कार्यक्रमों का हवाला दिया था. इससे पहले रेटिंग में सुधार 2004 में किया गया था.

चिदंबरम ने रेटिंग में सुधार पर सरकार की प्रतिक्रिया का मजाक उड़ाते हुए कहा कि इस सरकार के लिए मूडीज के तौर तरीके 2016 तक ही खराब थे. मूडीज द्वारा तेज वृद्धि का हवाला दिये जाने के बाबत पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि इसी एजेंसी और सरकार का चालू वित्त वर्ष का वृद्धि अनुमान 6.7 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा, आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 में यह आठ प्रतिशत थी. 2016-17 में यह 6.7 प्रतिशत थी और 2017-18 में यह 6.7 प्रतिशत है. यह उत्तर (उन्नति) है या दक्षिण (अवनति), आप ही तय करें. उनके अनुसार, किसी भी अर्थव्यवस्था की स्थिति के लिए तीन कारक महत्वपूर्ण हैं- समग्र तय पूंजी निर्माण, ऋण वृद्धि और रोजगार.

उन्होंने कहा, ये तीनों ही सूचकांक लाल रेखा में हैं. उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि समग्र तय पूंजी निर्माण अपने सर्वोच्च स्तर से सात-आठ अंक नीचे है और निकट भविष्य में इसमें सुधार के भी चिह्न नहीं हैं. निजी निवेश पिछले सात साल के निचले स्तर पर है. कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं और वे दिवाला एवं शोधन संहिता के विकल्प का चयन कर रही हैं. इन सब से रोजगार के अवसर कम होने वाले हैं.

उन्होंने आगे कहा कि ऋण वृद्धि पिछले दो दशक के निचले स्तर पर है. उन्होंने कहा, यह सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है पर मध्यम श्रेणी के उद्यमों के लिए इसकी वृद्धि दर नकारात्मक है. पूर्व वित्त मंत्री ने रोजगार सृजन में कमी का हवाला देते हुए कहा, सरकार इसके बारे में सही और भरोसेमंद आंकड़ा नहीं दे रही है. सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी जो कि बेहतर भरोसेमंद संस्था है, ने कहा था कि जनवरी से जून 2017 के बीच 19,60,000 नौकरियां गयीं.

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वहीं, एक अन्य कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि राजग सरकार को इस भुलावे में नहीं आना चाहिए कि अर्थव्यवस्था संकट से बाहर आ गयी है. मूडीज द्वारा देश की रेटिंग बढ़ाये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने यह बात कही.

उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, मुझे खुशी है कि मूडीज ने वह किया है जो उन्हें करना चाहिए लेकिन हमें भुलावे में नहीं रहना चाहिए कि हम मुश्किलों से बाहर आ गये हैं. भारत में वृहत आर्थिक घटनाएं: नीति परिप्रेक्ष्य विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार में सिंह ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूत उद्देश्यपूर्ण दिशानिर्देश की जरूरत है ताकि देश 8 से 10 प्रतिशत वृद्धि दर की ओर बढ़ सके जो सरकार स्वयं चाहती है. इस कार्यक्रम का आयोजन सेंट टेरेसास कॉलेज, एर्नाकुलम ने आयोजित किया.

सिंह की टिप्पणी वित्त मंत्री अरुण जेटली के मूडीज के कदम पर दिये गये बयान के संदर्भ में आयी है. जेटली ने कहा था कि मूडीज द्वारा देश की साख 13 साल बाद बढ़ाया सरकार के आर्थिक सुधारों को देर से दी गयी मान्यता है. पूर्व प्रधानमंत्री ने कच्चे तेल के दाम में वृद्धि को लेकर भी आगाह किया.

उन्होंने कहा कि इससे देश की राजकोषीय स्थिति प्रभावित हो सकती है. उन्होंने कहा, कच्चे तेल की कीमत अब 62 से 64 डाॅलर प्रति बैरल है जो कुछ महीने पहले 40-45 डाॅलर प्रति बैरल थी. इससे भुगतान संतुलन के साथ राजकोषीय स्थिति प्रभावित हो सकती है. जीएसटी के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि इसे बेवजह जल्दबाजी में लागू किया गया और नौकरशाही ने इसके लिए अच्छे से तैयारी नहीं की.

गौरतलब है कि पिछले दिनों रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा मोदी सरकार की नीतियों का समर्थन करने और भारत की रेटिंग सुधारने से उत्साहित वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा था कि ऐसे कई लोग जिनके मन में भारत के आर्थिक सुधार प्रक्रिया पर शक था अब उन्हें अब अपने रुख पर गंभीरता से चिंतन करना होगा.

इसके जवाब में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने एक ट्वीट में लिखा है – दिक्कत यह है कि जब बाहरी एजेंसियां हमारी तारीफ करती हैं, तो हम खुश होते हैं और जब हमारी आलोचना होती है तो हम उनकी निंदा करते हैं. हमें स्थिर होना चाहिए.

गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अर्थव्यवस्था को लेकर इन दिनों मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.

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