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नीति आयोग ने कहा-तीव्र आर्थिक वृद्धि के लिए कुपोषण पर अंकुश लगाना जरूरी

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नयी दिल्ली : नीति आयोग ने कुपोषण को देश के विकास में रोड़ा बताते हुए कहा है कि तीव्र आर्थिक वृद्धि तबतक हासिल नहीं की जा सकती जबतक पोषण सुरक्षा का लक्ष्य हासिल नहीं किया जाता. आयोग ने कुपोषण मुक्त भारत के लिए राष्ट्रीय पोषण रणनीति पेश की है. इसमें इस समस्या पर अंकुश लगाने […]

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नयी दिल्ली : नीति आयोग ने कुपोषण को देश के विकास में रोड़ा बताते हुए कहा है कि तीव्र आर्थिक वृद्धि तबतक हासिल नहीं की जा सकती जबतक पोषण सुरक्षा का लक्ष्य हासिल नहीं किया जाता. आयोग ने कुपोषण मुक्त भारत के लिए राष्ट्रीय पोषण रणनीति पेश की है. इसमें इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तर्ज पर राष्ट्रीय पोषण मिशन के गठन समेत व्यापक प्रस्ताव किये गये हैं.

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रणनीति में दीर्घकालीन नजरिये से 2030 तक सभी प्रकार के कुपोषण को समाप्त करने का लक्ष्य रखने के साथ अन्य बातों के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर महिला और बाल विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय न्यूटरीशन मिशन स्टीरिंग ग्रुप (एनएनएमएसजी) तथा महिला और बाल विकास सचिव की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति (इपीसी) गठित करने के प्रस्ताव किये गये हैं. इसके अलावा देश की पोषण चुनौतियों पर प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय परिषद का विस्तार कर उसमें केंद्रीय मंत्रियों और नीति आयोग के उपाध्यक्ष के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शामिल करने का भी प्रस्ताव किया गया है.

रणनीति में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-4) के हवाले से कहा गया है वर्तमान में पांच साल से कम उम्र के 35.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषित और कम वजन के हैं, जबकि 15 से 49 वर्ष के 53.1 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं. नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीइओ) अमिताभ कांत पिछले सप्ताह राष्ट्रीय पोषण रणनीति पेश किये जाने के मौके पर कहा, यह अनुमान है कि देश में अब भी एक तिहाई बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. यह शासन के स्तर पर विफलता है. उन्होंने कहा, कुपोषण के कारण हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा उत्पादक कार्यों से दूर है. बचपन में कुपोषण इसकी मुख्य वजह है. इसकी वजह से देश को आय में 9 से 10 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है. कांत ने कहा कि उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए कुपोषण की समस्या दूर करना जरूरी है.

राष्ट्रीय पोषण रणनीति के अनुसार राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के कार्यान्वयन और दिशा-निर्देश उपलब्ध कराने के लिए एनएनएमएसजी प्रमुख निकाय होगा. महिला और बाल विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय न्यूटरीशन मिशन स्टीरिंग ग्रुप में विभिन्न राज्यों के मंत्रियों, महिला एवं बाल विकास सचिव तथा नीति आयोग के सीइओ के अलावा व्यय विभाग, परिवार एवं कल्याण मंत्रालय समेत संबंधित विभागों के सचिव, मेडिकल कॉलेज, गैर-सरकारी संगठनों तथा प्रख्यात बाल विकास एवं पोषण संस्थानों के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ शामिल होंगे. इसके अलावा महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति (इपीसी) का प्रस्ताव किया गया है जो योजना, निगरानी और एनएनएम के प्रभावी क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीकी निकाय होगा.

राष्ट्रीय पोषण रणनीति में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तर्ज पर राष्ट्रीय पोषण मिशन बनाने तथा देश देश की पोषण चुनौतियों पर प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय परिषद का विस्तार कर उसमें केंद्रीय मंत्रियों और नीति आयोग के उपाध्यक्ष के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शामिल करने का भी प्रस्ताव किया गया है. साथ ही राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, जिला एवं ब्लाक स्तर पर भी पोषण में सुधार के लिए संस्थागत उपायों के प्रस्ताव किये गये हैं.

पोषण रणनीति में कुपोषण मुक्त भारत पर जोर दिया गया है जो स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत से जुउ़ज्ञ है. इसमें मध्यम अवधि और दीर्घकालीन लक्ष्य रखा गया है. मध्यावधि लक्ष्य के तहत अगले पांच साल यानी 2022 तक इसमें यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है कि खासकर वंचित समुदाय के प्रत्येक बच्चे, किशोरी और महिलाएं अनुकूलतम पोषण प्राप्त करें. इसमें खासकर पहले तीन साल में सभी प्रकार के कुपोषण पर अंकुश लगाने पर जोर है. इस विचार के पीछे यह तर्क है कि जीवन के शुरू के कुछ साल शारीरिक वृद्धि और विकास के लिए आधार होता है. इसके तहत 2022 तक पांच साल से कम उम्र के कुपोषित और कम वजन के बच्चों का प्रतिशत 20.7 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है जो फिलहाल 35.7 प्रतिशत. इसी प्रकार 15 से 49 वर्ष की खून की कमी से पीड़ित मिहलाओं के प्रतिशत को घटा कर 17.7 प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा है जो वर्तमान में 53.1 प्रतिशत हैं. वहीं, छह महीने से 59 महीने के एनीमिया के शिकार बच्चों का प्रतिशत 19.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है जो अभी 58.4 प्रतिशत है.

रणनीति में दीर्घकालीन नजरिये से 2030 तक सभी प्रकार के कुपोषण को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें कहा गया, पोषण मानव विकास का आधार है. यह संक्रमण संबंधित बीमारी, अपंगता और मृत्यु में कमी लाने के साथ जीवन पर्यंत सीखने की क्षमता और उत्पादकता बढ़ाता है. यह मानवीय विकास, गरीबी में कमी तथा आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.

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