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नयी दिल्ली: मंत्रिमंडल ने मध्यम एवं बड़ी कारों, लग्जरी एवं हाइब्रिड वाहनों तथा स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) पर उपकर बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम को संशोधित करने हेतू अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल के इस निर्णय की जानकारी […]

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नयी दिल्ली: मंत्रिमंडल ने मध्यम एवं बड़ी कारों, लग्जरी एवं हाइब्रिड वाहनों तथा स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) पर उपकर बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम को संशोधित करने हेतू अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल के इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि विभिन्न श्रेणी के वाहनों पर उपकर की वास्तविक दर तथा इसके लागू होने के समय का निर्णय जीएसटी परिषद करेगी. जेटली की अध्यक्षता वाली परिषद की बैठक 9 सितंबर को हैदराबाद में होने वाली है.

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प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार, अधिकतम उपकर (सेस) को 15 फीसदी से बढाकर 25 फीसदी किया जा सकता है. जीएसटी क्रियान्वयन के बाद राज्यों को कर संग्रहण में हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए जीएसटी के तहत सेस का प्रावधान किया गया है. अभी संसद का सत्र नहीं चलने के कारण इसे क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा. एक अध्यादेश को जारी होने के छह महीने के भीतर संसद से स्वीकृत होना अनिवार्य होता है. संसद का अगला सत्र नवंबरादिसंबर में होने वाला है. एक जुलाई से जीएसटी प्रणाली के लागू होने के बाद कार की कीमतों में तीन लाख रुपये तक की कमी आयी है. सेस बढ़ाने से इनकी कीमतें अब बढ़ने की आशंका है.

जेटली ने कहा कि सरकारी नीति आम उपभोग की चीजों को महंगा नहीं कर सकती है, लेकिन सरकारी नीतियों का उद्देश्य ऐसा भी नहीं हो सकता है कि लग्जरी सामान सस्ता हो जाये. उन्होंने कहा कि यदि राहत देनी होगी, तो वह लग्जरी सामानों के बजाय आम लोगों के उपभोग की चीजों पर दी जानी चाहिए. एक आदमी जो एक करोड़ रुपये का वाहन ले सकता है, वह 1.20 करोड रपये का वाहन भी वहन कर सकता है. उन्होंने आगे कहा कि चालक समेत 13 लोगों से कम क्षमता वाले वाहनों पर ही बढ़ा हुआ सेस लागू होगा. उन्होंने कहा कि वाहनों पर सेस बढ़ाने के मुद्दे का जीएसटी परिषद परीक्षण करेगी.

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि कारों के वर्गीकरण में कोई बदलाव नहीं किया गया है. ऐसी कारें जिन पर 27 से 30 फीसदी उत्पाद शुल्क लगता था, वहीं लग्जरी कारें कहीं जायेंगी. उन्होंने कहा कि लग्जरी श्रेणी के वाहनों के अतिरिक्त किसी भी अन्य कार पर सेस बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है. जीएसटी परिषद ने जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद वाहनों पर लगने वाले सभी करों के पुरानी व्यवस्था की तुलना में कम हो जाने की बात पिछली बैठक में महसूस की थी. जेटली की अध्यक्षता वाली परिषद ने इसके बाद सेस बढ़ाने का सुझाव दिया था.

जीएसटी लागू होने से पहले वाहनों पर अधिकतम कर 52 से 54.72 फीसदी तक था, जिसमें 2.5 फीसदी केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी आदि का शामिल था. वहीं, जीएसटी लागू होने के बाद यह कर 43 फीसदी रह गया.

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