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विनिवेश की रफ्तार धीमी, तेज किया जाना जरूरी : अरविंद पनगढ़िया

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नयी दिल्ली : नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने पद छोड़ने के एलान के बाद बिजनेस न्यूज चैनल सीएनबीसी आवाज को दिये पहले इंटरव्यू में नीति आयोग में अपने कार्यकाल, कामकाज और सरकार के कामकाज पर खुल कर बात की. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि मौजूदा दौर में विनिवेश की रफ्तार काफी धीमी है. […]

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नयी दिल्ली : नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने पद छोड़ने के एलान के बाद बिजनेस न्यूज चैनल सीएनबीसी आवाज को दिये पहले इंटरव्यू में नीति आयोग में अपने कार्यकाल, कामकाज और सरकार के कामकाज पर खुल कर बात की. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि मौजूदा दौर में विनिवेश की रफ्तार काफी धीमी है. उन्होंने जोर दिया कि इसे तेज किये जाने की जरूरत है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि टैक्स भरने वालों की संख्या में वृद्धि होने से सरकार टैक्स की दरें कम कर सकती है.

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पद छोड़ने पर

अरविंद पनगढ़िया ने अपने पद छोड़ने को लेकर मीडियामें लगायी जा रही तरह-तरह की अटकलों को भी खारिज किया. उन्होंने कहा कि यहां मीडिया हाइपर एक्टिव है. उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में न्यूज में कोई बात आती है, तो चार-पांच प्रमाणिक स्त्रोतों से पहले उसकी पुष्टि की जाती है.उन्होंने कहाकिमीडिया कास्टैंडर्ड थोड़ा ऊपर होना चाहिए. दरअसल, मीडिया में अरविंद पनगढ़िया के पद छोड़ने की खबर आने के बाद इस आशय की खबरें भी आयी थीं कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सहयोगी संगठनों के दबाव में पद छोड़ा, जिन्होंने उनके कामकाज को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक को पत्र लिखा था.


हेनरी किसिंजर का उदाहरण

सीएनबीसी आवाज के इकोनॉमिक पॉलिसी एडिटर लक्ष्मण राय से एक्सक्लूसिव बातचीत में अरविंद पनगढ़िया ने उदाहरण देते हुए कहा कि हेनरी किसिंजर जब राष्ट्रपति निकसन के साथ काम करने आये थे तो दो साल के एक्सटेंशन पर थे. वे हॉवर्ड से आये थे और दो साल पूरा होने पर उन्होंने यूनिवर्सिटी से एक्टेंशन मांगा तो नहीं मिला और उन्हें वापस लौटना पड़ा. उन्होंने अपनी स्थिति को ऐसा ही बताया. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि अगर उन्हें उनके विश्वविद्यालय से ज्यादा एक्सटेंशन मिलता तो उन्हें खुशी होती. उन्होंने कहा कि नीति आयोग में उनका कार्यकाल दो साल आठ महीने का रहा. आमतौर पर विश्वविद्यालय से इतना एक्सटेंशन मिलता नहीं है.


नीति आयोग में बिताया समय सबसे अच्छा

पनगढ़िया ने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप उनके द्वारा दो साल आठ महीने किया गया काम उनके जीवन का सबसे अच्छा समय है और यह बात उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र में भी लिखी है. 64 वर्षीय अरविंद पनगढ़िया अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं और विश्वविद्यालय से वे दो साल की छुट्टी पर थे, जिसमें बाद में विस्तार किया गया. इस महीने की 31 तारीख को नीति आयोग में उनका आखिरी दिन है और फिर पढ़ाने के लिए वे कोलंबिया यूनिवर्सिटी लौट जायेंगे.

कंपेरेटिव एडवांटेज की थ्योरी पर काम

अरविंद पनगढ़िया ने आयोग में अलग-अलग पॉवर सेंटर के सवाल पर कहा कि यह उनके काम करने का तरीका है. उन्होंने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विशेषज्ञ हैं, इसमें एक सिद्धांत है कि जो देश जिसमें बेहतर कर सकता है, वह वही काम करेे. उन्होंने कहा कि इसे कंपेरेटिव एडवांटेज कहते हैं. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि इसी तरह कोई व्यक्ति जो काम बेहतर कर सकता है, उसे वही काम करने मैं देता हूं. इसमें हस्तक्षेप नहीं करता, हां अगर लगता है कि काम उस दिशा में ठीक नहीं हो रहा तो इंटरविन करता हूं. उन्होंने कहा कि इसी तरह जिस काम को मैं बेहतर कर सकता हूं, उसे स्वयं मैं करता हूं, उसमें किसी का हस्तक्षेप सहन नहीं करता. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे सदस्य रमेश चंद्र कृषि के क्षेत्र में बहुत बेहतर काम कर रहे हैं.

तीन अहम काम

नीति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अपने तीन अहम कामकाज से संबंधित सवाल के जवाब में अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि वे जब जनवरी 2015 में आये तो यह संस्थान नया था और इसे स्थापित करना चुनौती थी. उन्होंने कहा कि उनके काम में कुछ कमियां रही होंगी जिसे आने वाले दूर करेंगे और जो काम है उसे आगे बढ़ायेंगे. पनगढ़िया ने कहा कि नीति आयोग पूर्व के योजना आयोग की तरह राज्यों को पैसा नहीं देता था, जिससे राज्य उनके पास आयें, ऐसे में उनके साथ तालमेल बैठाना चुनौती थी. इस पर उन्होंने काम किया और राज्यों के साथ तालमेल बैठाया. उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार सहित कई राज्य आयोग के साथ तालमेल से अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने राज्यों की समस्याओं को चिह्नित कर उस पर किये जा रहे काम का भी उल्लेख किया.

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