12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बी-पॉजिटिव: सफलता के लिए प्रतिभा के साथ मेहनत, त्याग और समर्पण जरूरी

हाल में एक खबर आयी कि विराट कोहली ने सॉफ्ट ड्रिंक्स कंपनी का विज्ञापन करने से मना कर दिया, जबकि इसके लिए उन्हें बड़ी राशि ऑफर की गयी थी. विराट कोहली ने कहा कि जब मैं खुद ही कोल्ड ड्रिंक्स नहीं पीता हूं, तो फिर मैं कैसे दूसरों को इसे पीने के लिए प्रेरित कर […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

हाल में एक खबर आयी कि विराट कोहली ने सॉफ्ट ड्रिंक्स कंपनी का विज्ञापन करने से मना कर दिया, जबकि इसके लिए उन्हें बड़ी राशि ऑफर की गयी थी. विराट कोहली ने कहा कि जब मैं खुद ही कोल्ड ड्रिंक्स नहीं पीता हूं, तो फिर मैं कैसे दूसरों को इसे पीने के लिए प्रेरित कर सकता हूँ. आज के इस भौतिक युग में ऐसी पहल विरले देखने को मिलती है. कोहली जैसे सेलिब्रिटी का यह कदम वाकई सराहनीय है. विराट कोहली ने वर्ष 2008 में भारतीय टीम में एक दिवसीय क्रिकेट में पदार्पण किया था.

आज सिर्फ नौ साल में ही उनकी गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में की जाती है, लेकिन 2008 से 2012 के बीच शायद ही किसी को ऐसा लगा कि वो आज जिस चरम पर हैं, वहां तक पहुंचने की उनमें क्षमता है. वर्ष 2012 के बाद जिस तरीके से विराट ने अपने आप को बदला, वो सामान्य से असाधारण बनने की कहानी है, जो किसी भी इंसान के लिए प्रेरणादायी है.

वर्ष 2012 के आइपीएल में विराट बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर सके थे. इसने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया था. विराट ने एक इंटरव्यू में बताया कि असफल होने के बाद मैंने अपने आपको आइने में देखा तो लगा कि मुझमें पूरी तरह बदलाव की जरूरत है. मुझे पूर्व कोच डंकन फ्लेचर की बात याद आने लगी कि क्रिकेट शायद ऐसा पेशेवर खेल है, जिसमें सबसे कम पेशेवर लोग खेलते हैं. खिलाड़ियों की फिटनेस का स्तर अन्य खेलों की तुलना में काफी कम रहता है.उसके बाद विराट ने अपने खान-पान में संयम बरतना शुरू कर दिया, साथ ही फिजिकल ट्रेनिंग का स्तर काफी ऊंचा किया. वजन लगभग 12 किलोग्राम कम किया. इस कठिन मेहनत, संयम और समर्पण का विराट को काफी लाभ मिला. आज विराट दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के रूप में शुमार किये जाते हैं.


क्रिकेट के शौकीन लोगों को सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली का 1990 के दौर का भारतीय क्रिकेट टीम में पदार्पण याद होगा. शुरुआती दौर में कई दिग्गजों ने प्रतिभा के मामले में विनोद कांबली को सचिन तेंदुलकर से आगे रखा था. इरफान पठान की भी शुरुआती चमक लोगों को याद होगी. लोग ये मानने लगे थे कि भारत को फिर से एक कपिल देव के स्तर का ऑलराउंडर मिल गया, लेकिन सफलता के चरम पर विनोद कांबली और इरफान पठान अपने आप को संयमित नहीं रख पाये. खेल के परे भी इन दोनों की गतिविधियों ने उनके खेल को बहुत प्रभावित किया और समय के साथ विनोद कांबली और इरफान पठान की चमक धुंधली पड़ती गयी, जबकि सचिन ने क्रिकेट में पदार्पण से लेकर रिटायरमेंट तक बिना किसी विवाद में पड़े अपने आप को खेल पर केंद्रित रखा और आखिरकार उन्होंने बड़ा मुकाम हासिल कर लिया.

सिर्फ प्रतिभा ही किसी इंसान की सफलता की गारंटी नहीं है. ये बात सिर्फ खेल पर लागू नहीं होती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में ये फार्मूला लागू होता है. सफलता के लिए क्रमबद्ध मेहनत, त्याग और समर्पण की जरूरत होती है. वैज्ञानिक रिसर्च भी बताते हैं कि निन्यानबे फीसदी का मानसिक स्तर लगभग एक जैसा होता है.

हम सभी ने देखा है कि स्कूलों में एक क्लास में जो बच्चे पढ़ रहे हैं (पढ़ते थे), उनमें ज्यादातर का मानसिक स्तर एक जैसा ही होता है, तो फिर क्या कारण है कि आगे चल कर उनमें से कुछ बहुत बेहतर करते हैं और कुछ पीछे छूट जाते हैं या फिर कुछ बच्चे, जिनकी शुरुआती दौर में गिनती मेधावी विद्यार्थी के रूप में की जाती थी, वो भी वक्त के साथ काफी पीछे रह जाते हैं, जबकि प्रतिभा के लिहाज से उन्हें बहुत ही बेहतर करना चाहिए था. महान लोगों की ऑटोबायोग्राफी पढ़ें. शायद ही किसी ने कहा होगा कि शुरुआती दौर में ही उन्होंने ये आंकलन कर लिया था कि वो इस शिखर तक पहुंच जायेंगे या उनकी गिनती महान या लीजेंड के रूप में की जायेगी. शिखर पर पहुंचे इंसान के पूरे जीवनवृत्त को देखेंगे, तो पायेंगे कि उन्होंने बहुत ही छोटी शुरुआत की और वो समय के साथ अनवरत प्रयास करते-करते बड़े हो गये. उन्होंने जीवन में दो तरह के लक्ष्य निर्धारित किये. पहला लक्ष्य शार्ट टर्म था और दूसरा लॉन्ग टर्म. एक के बाद एक शार्ट टर्म लक्ष्य पूरा करते-करते उन्होंने बड़े लक्ष्य की प्राप्ति कर ली और उनकी गिनती लीजेंड के रूप में होने लगी.

विजय बहादुर
vijay@prabhatkhabar.in

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें