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डिजिटल क्यूआर कोड के सहारे कोरोना वायरस को कैसे मात दे रहा है चीन?

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How is China beating the Corona virus with the help of digital QR codes: चीन ने जिस तरह से कोरोना वायरस पर नियंत्रण किया है, उसने पूरी दुनिया को चकित कर दिया है. कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के बाद चीन ने पहले वुहान शहर और उसके बाद हुबेई प्रांत को पूरी तरह से बंद कर दिया था. लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में चीन सिर्फ लॉकडाउन के भरोसे नहीं बैठा रहा. उसने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए फरवरी के मध्य तक कोरोना पर निगरानी रखने की एक ऐसी मोबाइल प्रणाली विकसित की, जिसकी नजरों से बचकर निकल पाना कोरोना वायरस के लिए नामुमकिन नहीं, तो बेहद मुश्किल जरूर है.

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How is China beating the Corona virus with the help of digital QR codes: चीन ने जिस तरह से कोरोना वायरस पर नियंत्रण किया है, उसने पूरी दुनिया को चकित कर दिया है. कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के बाद चीन ने पहले वुहान शहर और उसके बाद हुबेई प्रांत को पूरी तरह से बंद कर दिया था. लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में चीन सिर्फ लॉकडाउन के भरोसे नहीं बैठा रहा. उसने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए फरवरी के मध्य तक कोरोना पर निगरानी रखने की एक ऐसी मोबाइल प्रणाली विकसित की, जिसकी नजरों से बचकर निकल पाना कोरोना वायरस के लिए नामुमकिन नहीं, तो बेहद मुश्किल जरूर है.

हरे रंग का मतलब जाइये, लाल का मतलब खतरा

कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए चीन ने एक ऐसे मोबाइल ऐप का विकास किया, जो वहां के लोगों को कहां जाना है और कहां नहीं जाना है, का आदेश देता है. कोविड-19 महामारी के बाद चीन के नागरिकों का जीवन पूरी तरह से इस मोबाइल फोन ऐप पर आश्रित हो गया है.

ऐप की इजाजत के बगैर नहीं निकल सकते घर से बाहर

घर से निकलकर कार्यस्थल पर जाने के लिए, किसी कैफै में जाने के लिए, रेस्त्रां में जाने या शॉपिंग मॉल जाने के लिए सबसे पहले चीनी लोगों को इस मोबाइल ऐप की इजाजत लेनी होती है. लोगों को आगे जाने की इजाजत है या नहीं, इसकी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर आये रंग से मिलती है. मोबाइल स्क्रीन अगर हरा रंग दिखाता है, तो मतलब है आगे जाने की इजाजत है, और अगर स्क्रीन पर लाल रंग आता है, तो मतलब होता है, आगे जाना मना है.

कलर बेस्ड हेल्थ कोड सिस्टम

चीनी सरकार ने मोबाइल टेक्नोलॉजी और बिग डेटा की मदद से एक ऐसी कलर बेस्ड ‘हेल्थ कोड’ प्रणाली का विकास किया है, जो लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण करके कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का काम करती है. चीन के नागरिकों को उनके स्वास्थ्य संकेतक के तौर पर ऑटोमैटिक तरीके से जेनरेट होनेवाले क्विक रेस्पांस कोड्स, जिन्हें सामान्य तौर पर क्यूआर कोड्स कहा जाता है, दिये गये हैं. हालांकि अधिकारियों ने अब तक इन हेल्थ कोड्स को अनिवार्य नहीं बनाया है, लेकिन कई शहरों में नागरिक इस ऐप के बगैर अपने आवासीय परिसर से बाहर नहीं निकल सकते हैं और ज्यादातर सार्वजनिक स्थलों पर नहीं जा सकते हैं.

अन्य देशों ने भी अपनाया चीन का यह तरीका

चीन से सबक लेते हुए दूसरे देशों की सरकारें भी वायरस से लड़ने के लिए ऐसी ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं. पिछले महीने सिंगापुर ने एक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग स्मार्टफोन ऐप को लांच किया था. इस ऐप की मदद से अधिकारी कोविड-19 मरीजों के संपर्क में आनेवाले लोगों की पहचान कर सकते हैं. जापान की सरकार भी ऐसे ही ऐप के इस्तेमाल की योजना बना रही है. मॉस्को भी लोगों के आवागमन पर नजर रखने और लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए क्यूआर कोड सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है.

कैसे काम करती है यह टेक्नोलॉजी

चीनी सरकार ने देश के दो इंटरनेट दिग्गज अलीबाबा और टेंसेंट से मदद ली और उनसे इस हेल्थ कोड सिस्टम को अपने लोकप्रिय स्मार्टफोन ऐप्स पर होस्ट करने के लिए कहा. अलीबाबा का मोबाइल पेमेंट ऐप अलीपे और टेंसेंट का मैसेजिंग ऐप वीचैट चीन में एक तरह से सर्वव्यापी है और करोड़ों चीनी नागरिक इन दोनों का इस्तेमाल करते हैं. इससे लोग इस सिस्टम के बारे में ज्यादा आसानी से जान पाये और उसे डाउनलोड कर पाये. अलीपे ने इस सिस्टम को हांगजोउ नामक तटीय शहर में 11 फरवरी को लांच किया.

हेल्थ कोड पाने के लिए नागरिकों को भरना पड़ता है एक फॉर्म

हेल्थ कोड हासिल करने के लिए नागरिकों को साइन अप पेज पर एक फॉर्म भरना पड़ता है, जिसमें उन्हें अपना नाम, राष्ट्रीय पहचान संख्या या पासपोर्ट संख्या, फोन नंबर आदि दर्ज करना पड़ता है. इसके बाद उनसे उनकी ट्रैवल हिस्ट्री पूछी जाती है और यह पूछा जाता है कि क्या वे पिछले 14 दिनों में किसी पुष्टि किये जा चुके या संदिग्ध कोविड संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये थे. उनसे बुखार, थकावट, सूखी खांसी, बंद नाक, बहती नाक, गले में दर्द या डायरिया जैसे लक्षणों के लिए दिये गये बॉक्स में निशान लगाने के लिए भी कहा जाता है. अधिकारियों द्वारा सूचनाओं की जांच के बाद हर यूजर को लाल, अंबर (गहरा पीला) या हरे रंग का क्यूआर कोड मुहैया कराया जाता है.

लाल कोड वाले को जाना होता है क्वारंटीन में

लाल कोड वाले यूजर को 14 दिनों के लिए सरकारी क्वारंटीन में या सेल्फ क्वारंटीन में जाना होता है. अंबर कोड वालों को सात दिन के क्वारंटीन में जाना होता है. हरे कोड वाला यूजर शहर में आसानी से घूम सकता है.

लोगों की आवाजाही पर नजर

ये हेल्थ कोड लोगों के आने-जाने पर भी नजर रखते हैं. किसी सार्वजनिक स्थल में दाखिल होते वक्त लोगों के क्यूआर कोड्स को स्कैन किया जाता है. एक बार किसी मामले की पुष्टि होने के बाद अधिकारी आसानी से मरीज के घूमने-फिरने के इतिहास का और उससे संपर्क में आनेवाले व्यक्तियों का पता लगा सकते हैं.

200 से ज्यादा शहरों में लागू है यह व्यवस्था

अलीपे के मुताबिक फरवरी के अंत तक यह व्यवस्था 200 से ज्यादा शहरों में लागू की जा चुकी थी. बीजिंग में यह व्यवस्था 1 मार्च को लागू की गयी.

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