17.1 C
Ranchi
Sunday, February 23, 2025 | 08:06 am
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Chandrayaan-3: 125 ग्राम के हैं प्रज्ञान के नेवीगेशन कैमरे, हाई रेडीऐशन और लो तापमान सहने में भी सक्षम

Advertisement

इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला या LEOS ने पहली बार इन कैमरों को चंद्रयान -2 की तैयारियों के हिस्से के रूप में 2012 की शुरुआत में विकसित किया था. कैमरे उस रोवर पर थे जो 2019 मिशन के हिस्से के रूप में गया था जो असफल रहा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Chandrayaan-3: चंद्रमा पर भारत के विक्रम की बहुप्रतीक्षित तस्वीरें चंद्रयान-3 दिखाते हुए सतह पृथ्वी पर पहुंच गई है लैंडर जिसने 23 अगस्त को ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग की थी उस रैंप के साथ जिसने रोवर को बाहर निकलने की अनुमति दी. तस्वीरें कल यानी कि बुधवार सुबह 7.30 बजे और 11 बजे ली गईं रोवर, प्रज्ञान के ऑनबोर्ड कैमरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है दो पेलोड दिखाएं – चंद्र भूकंपीय उपकरण एक्टिविटी (आईएलएसए) और चंद्रा का सरफेस थर्मो फिजिकल प्रयोग (ChaSTE) – चंद्रमा पर उतरना इन-सीटू प्रयोगों के लिए सतह। जानिकारी के लिए बता दें इसरो ने तस्वीरों का दूसरा बैच (सुबह 11 बजे लिया गया) जारी किया लैंडर से महज 15 मीटर की दूरी से लिया गया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें प्रज्ञान नेविगेशन कैमरे, जो रोवर का मार्गदर्शन करते थे, थे बेंगलुरु में LEOS नामक एक शांत प्रयोगशाला में डेवलप किया गया है.

जो तस्वीरें जारी की गईं है वे काफी साफ और स्पष्ट

इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला या LEOS ने पहली बार इन कैमरों को चंद्रयान -2 की तैयारियों के हिस्से के रूप में 2012 की शुरुआत में विकसित किया था. कैमरे उस रोवर पर थे जो 2019 मिशन के हिस्से के रूप में गया था जो असफल रहा. सेल्वराज पी पूर्व इसरो समूह प्रमुख, LEOS और रोवर के प्रोजेक्ट मैनेजर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, साल 2019 में 12 लोगों क एक रोवर टास्क फोर्स को फिर से निर्माण किया गया था. इस टीम का टारगेट ऐसे हल्के कैमरों को तैयार करना था जो कि लूनर रेडीऐशन और इक्स्ट्रीम टेम्परचर का सामना आसानी से कर सके. जानकारी के लिए बता दें इस रोवर में लगे दोनों ही कैमरे महज 125 ग्राम के हैं। पूर्व इसरो ग्रुप हेड, LEOS और रोवर के प्रोजेक्ट मैनेजर पी सेल्वराज ने आगे मामले पर बात करते हुए कहा कि हमने LEOS के खुद के आप्टिक्स और लघु सेंसर्स का इस्तेमाल किया है. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे इतनी अच्छी तरह से काम करते देख कर काफी अच्छा भी लगा. आज जो तस्वीरें जारी की गईं है वे काफी साफ और स्पष्ट हैं.

सूरज उगने पर लौट आएगा जीवन

सेल्वराज ने कहा, ये छोटे डिजिटल कैमरे बहु-तत्व लेंस का उपयोग करते हैं और उनकी छवि गुणवत्ता सत्यापित होती है ज़मीन पर अनेक परीक्षणों के माध्यम से. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि ये कैमरे 50 मेगाराड (विकिरण) का सामना कर सकते हैं अंतरिक्ष) जिसका मतलब है कि नियमित कैमरों के विपरीत जो प्राप्त किया जा सकता है ऐसी स्थितियों में क्षतिग्रस्त होने पर, ये वास्तव में कार्य कर सकते हैं वह भी लंबे समय तक. प्रयुक्त सामग्री और प्रक्रियाएं भी इसकी अनुमति देती हैं बेहद कम तापमान में जीवित रहते हैं. हमने इसका परीक्षण वैक्युम में -200° सेल्सियस तापमान में किया है. हमें उम्मीद है कि यह रात भर जीवित रहेगा और जब सूरज फिर से उगेगा तो इसमें जीवन लौट आए.

प्रज्ञान की आंखें हैं ये कैमरे

सेल्वराज ने कहा ये कैमरे प्रज्ञान की आंखें हैं, जो इसे अनुमति देती हैं कि यह चंद्रमा की सतह पर नेविगेट कर सके, केवल यहीं नहीं इसके साथ ही तस्वीरो को भेज सके. प्रत्येक पथ योजना के लिए, इनमें से डेटा नेविगेशन कैमरों को जमीन पर डाउनलोड करना होगा जहां एक डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) तैयार किया जाता है. तब, ज़मीन और तंत्र की टीमें तय करती हैं कि कौन सा रास्ता है प्रज्ञान के लिए सर्वोत्तम और रोवर के लिए कमांड को अपलिंक करें अनुसरण करना. रोवर द्वारा ली गई तस्वीरें इस बात को दोहराती हैं कि कैसे 23 अगस्त को लैंडिंग कितनी सहज और कितनी पक्की थी विक्रम चंद्रमा पर है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें