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भारत के ईवी सेक्टर में ग्लोबल कंपनियों की एंट्री बड़ी चुनौती, घरेलू निर्माताओं को होगा नुकसान

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महिंद्रा एंड महिंद्रा के सीईओ अनीश शाह ने टेस्ला इंक का नाम लिए बिना जोर देकर कहा कि भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में निवेश करके इन वैश्विक खिलाड़ियों ने हमारे सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है. उन्होंने कहा कि वे केवल यहां पर निवेश ही नहीं करेंगे, बल्कि हमारे साथ प्रतिस्पर्धा भी करेंगे.

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नई दिल्ली : भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर लगने वाले शुल्क में कटौती की चर्चा तेज होने के बाद घरेलू वाहन निर्माता कंपनियों की पेशानी पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देने लगी हैं. दरअसल, अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी टेस्ला इंक भारत में प्रवेश करने के लिए सरकार के सामने टैक्स में कटौती करने का प्रस्ताव रखा था. पहले तो सरकार ने एलन मस्क को टैक्स में किसी प्रकार की रियायत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी यात्रा के बाद सरकार ने अपनी मंशा बदल दी और उसने इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर लगने वाले शुल्क में कटौती करने की तैयारी शुरू कर दी. सरकार के इस कदम के बाद ही घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. इसी सिलसिले में घरेलू वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अनीश शाह ने कहा है कि भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में वैश्विक कंपनियों के प्रवेश से घरेलू उत्पादकों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी और उन्हें बहुत बड़ा नुकसान होगा.

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घरेलू कंपनियों ने किया बेहतर प्रदर्शन

मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक और सीईओ अनीश शाह ने टेस्ला इंक का नाम लिए बिना जोर देकर कहा कि भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में निवेश करके इन वैश्विक खिलाड़ियों ने हमारे सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है. उन्होंने कहा कि वे केवल यहां पर निवेश ही नहीं करेंगे, बल्कि हमारे साथ प्रतिस्पर्धा भी करेंगे. वैश्विक खिलाड़ियों के भारत में आने के बाद स्थानीय बाजार के लिए बड़े पैमाने पर स्वदेशी इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने अब तक बाजार में सर्वोत्तम उत्पादों को पेश कर बेहतरीन क्षमता का प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि हमने भारत में सभी बड़ी वैश्विक कंपनियों का मुकाबला किया है और उन्हें पछाड़ा है. उन्होंने कहा कि अब हम दुनिया के लिए भारत में ही निर्माण कर रहे हैं.

नई नीति पर चल रहा है काम

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार एक नई इलेक्ट्रिक वाहन (इलेक्ट्रिक वाहन) नीति पर काम कर रही है. सरकार की इस नई नीति आने के बाद टेस्ला जैसी वैश्विक वाहन निर्माता कंपनियों आयात शुल्क में कटौती का लाभ मिल सकेगा. ये वैश्विक कंपनियां भारत में स्थानीय स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण का दावा कर रही हैं.

नई नीति लागू होने के बाद आयात शुरू करेगी टेस्ला

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की प्रस्तावित नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में पूरी तरह से निर्मित ईवी को कम कर पर आयात करने में सहायता प्रदान कर सकती है, जो मौजूदा 100 फीसदी की तुलना में 15 फीसदी कम है. यह नीति उन कारों पर लागू होती है, जिनकी कीमत 40,000 डॉलर से अधिक है और बाकी के लिए 70 फीसदी है. खबर यह भी है कि टेस्ला जर्मन स्थित अपने इलेक्ट्रिक वाहन प्लांट से सीधे भारत में इलेक्ट्रिक कारों के आयात की योजना बना रही है. हालांकि, टेस्ला का चीन में भी प्लांट है, लेकिन भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद की वजह से वह चीन से इलेक्ट्रिक कारों का आयात नहीं कर सकती.

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वैश्विक खिलाड़ियों को टक्कर देंगी देसी कंपनियां

अनीश शाह ने कहा कि हम सभी वैश्विक खिलाड़ियों का भारत में आकर निवेश करने और हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करने के कदम का स्वागत करेंगे. इसलिए हम उन्हें चुनौती देंगे कि यदि आप ऐसा करना चाहते हैं, तो आओ और भारत में निवेश करो. इसके बाद हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करो. इस बीच, महिंद्रा ने महाराष्ट्र के पुणे में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण के लिए एक प्लांट स्थापित करने में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की अपनी योजना तैयार की है. मुंबई स्थित वाहन निर्माता ने अपने इलेक्ट्रिक ईवी प्लेटफॉर्म ‘इंगलो’ पर आधारित छह इलेक्ट्रिक एसयूवी भी तैयार की हैं. कंपनी का अनुमान है कि 2027 के अंत तक उसकी कुल बिक्री का 30 फीसदी ई-एसयूवी से प्राप्त होगा.

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