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Sunday, April 20, 2025 | 08:14 am

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प्रभु चावला

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भाजपा को दमदार अध्यक्ष की तलाश

आकलन के साथ समस्या यह है कि आप जो देखते हैं, वह वैसा ही नहीं होता. मोदी और संघ के पास निषेध की शक्ति है. पुरानी भाजपा के पास अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय क्षत्रपों की एक बटालियन थी. मोदी को मंत्रियों से इस्तीफा लेकर पार्टी में भेजने के लिए जाना जाता है. यह संभावना है कि राजनाथ सिंह, गडकरी या चौहान, या कोई कम ज्ञात, पर भरोसेमंद स्वयंसेवक नड्डा की जगह ले ले.

किसानों की सुध लेना जरूरी

प्रभु चावला बयां कर रहे हैं किसानों की हालत

केजरीवाल के भरोसे आम आदमी पार्टी, पढ़ें प्रभु चावला का यह विशेष आलेख

Arvind Kejriwal : नफरत विडंबना के साथ जुड़ती है- मोदी और केजरीवाल अपनी पार्टियों के लिए अकेले जनसमूह जुटाने वाले और वोट खींचने वाले नेता हैं. अन्ना हजारे को खोजने के बाद केजरीवाल की राजनीतिक खोज खुद को खोजने की थी.

संघ की पहल वंचित वर्ग से जुड़ने की

RSS : राहुल और कांग्रेस संघ की सदस्यता और उसके संगठनों के भारी विस्तार से चिंतित हैं. ये संगठन आदिवासियों, छात्रों, युवाओं, सांस्कृतिक संगठनों, कारोबारी समुदायों और कलाकारों आदि को प्रभावित करते हैं. बीते दशक में संघ और उसके समर्थकों ने राष्ट्रवादी आख्यान को निर्देशित और परिभाषित करने के लिए 500 से अधिक स्वैच्छिक संगठनों और विचार संस्थाओं की स्थापना की है.

सेकुलर सिविल कोड का नया मंत्र

Secular Civil Code : चुनाव अभियान के दौरान भाजपा के नेता समान नागरिक संहिता को देश को एकताबद्ध करने के एकमात्र उपाय के रूप में देख रहे थे. अल्पसंख्यकों को मिलने वाले विशेषाधिकारों को मुद्दा बनाकर भाजपा लगातार नागरिक संहिता को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने के लिए हथियार बनाती रही है. अब मोदी ने बिना विवरण बताये सेकुलर बनाम कम्युनल कोड की बहस शुरू कर दी है.

फिल्मों से अलग है राजनीति की कंगना

Kangana Ranaut : उनका व्यक्तित्व अवचेतन के स्तर पर स्वयं को झांसी की रानी से जोड़ता है. लेकिन बॉलीवुड की इस रानी को बलिदान नहीं देना है, बस लड़ना है. वे अपने आदर्श नरेंद्र मोदी के दृढ़ व्यक्तित्व से आकर्षित होकर छह साल पहले भाजपा से संबद्ध हुई थीं, जिन्होंने उन्हें उनके गृह राज्य हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया.

आरक्षण के स्वरूप में बदलाव जरूरी

Reservation in India: अनुसूचित जातियों और जनजातियों की दुर्दशा को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने कार्यपालिका एवं विधायिका में प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की, जो एक अस्थायी प्रावधान था और उसकी अवधि दस वर्ष थी. भारतीय राजनीति को यथास्थिति पसंद है और इसे बदलाव से परहेज है.

नयी सरकार में निरंतरता को प्रमुखता

पिछले कुछ हफ्तों में मोदी सरकार के क्रियाकलापों को देखकर लगता है कि निरंतरता बदलाव पर हावी हो गयी है. मंत्रिपरिषद का रंग जरूर बदला है,

यूरोप के सामने पहचान की चुनौती

इस वर्ष अप्रैल में द इकोनॉमिस्ट ने लिखा था कि यूरोपीय संघ में कोई ढाई करोड़ मुस्लिम हैं और पूरे यूरोप में इनकी संख्या पांच करोड़ है.
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