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Tuesday, April 22, 2025 | 07:58 am

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प्रभु चावला

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विपक्ष को किंगमेकर की तलाश

औसत के कानून ने औसत के नेतृत्व को पनपने का अवसर दे दिया. फिर भी कांग्रेस के बिना कोई विकल्प कारगर नहीं हो सकता है, पर कांग्रेस समेत विपक्ष को एक किंग की जरूरत है, जो छोटे-छोटे रजवाड़ों को एकजुट कर सके, पर इससे पहले उसे किंगमेजर खोजना होगा. तभी उसका उद्धार हो सकता है.

सशक्त राष्ट्रवाद के नये प्रतीक

राष्ट्रीय प्रतीक में शेरों की नयी आक्रामक छवि मोदी के बलवान भारत को प्रतिबिंबित करती है, जहां छद्म विनम्रता के लिए स्थान नहीं है. विभाजक लगने का जोखिम उठाते हुए किसी उद्देश्य के लिए भिड़ जाना अब सामान्य होता जा रहा है.

मोदी की जन्मभूमि ही उनकी कर्मभूमि

देश के अधिकांश हिस्सों की तरह गुजरात के हिंदू समाज में भी ऐतिहासिक बदलाव इस्लामिक आक्रांताओं और औपनिवेशिक शक्तियों के द्वारा हुआ, जिन्हें क्षेत्र के संसाधनों का खूब लाभ मिला. इससे गुजरात के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के केएम मुंशी के आह्वान को आधार मिला

पश्चिमी देशों में बढ़ते हिंदूद्वेष के मायने

सदियों तक दुनिया पर शासन करने वाले गोरों को चूंकि अब गैर गोरों से सीखना व कमाना पड़ रहा है, तो ईर्ष्या से हिंदू धर्म को निशाना बनाया जा रहा है. वे ये भूल जा रहे हैं कि अधिकतर पश्चिमी समाजों से यह पुरानी सभ्यता है

सुनक से आम भारतीय की उम्मीद

भारतीय उनसे आशा कर रहे हैं कि वे एक भारतीय की तरह व्यवहार करें और भारत के लिए काम करें. भारत में सुनक के मूर्ख प्रशंसक उनके बुद्धिमान ब्रिटिश विरोधियों से भी खराब हैं.

सिख समुदाय से नरेंद्र मोदी का जुड़ाव

मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस के संबोधनों में सिख गुरुओं की शिक्षाओं को समाहित किया है. सिखों को मुख्यधारा में लाने के लिए उन्होंने विभिन्न राजनीतिक, प्रशासनिक और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी कदम उठाया है.

मोदी के उपहार और हिंदू विरासत

वे उपहारों के माध्यम से संदेश को बहुत हद तक बदल देते हैं. वे सेकुलर और राजनीतिक सीमाओं के उपहार नहीं देते, उनके उपहार भारत की हिंदू विरासत और गुजराती संस्कृति को बढ़ावा देते हैं.

परिवारवाद की परिधि में अब भी कांग्रेस

खरगे ने अहम पदों पर गांधी परिवार को चुनौती देने वाले लोगों को नहीं रखा है. संचालन के लिए बने 47 सदस्यों के पैनल में थरूर को जगह नहीं मिली है. सच यह है कि शशि थरूर एक बाहरी हैं.

संविधान की प्रधानता सुनिश्चित रहे

लोकतंत्र में निर्बाध शक्ति नुकसानदेह है. कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों पर यह बात लागू होती है. यदि इस लड़ाई का सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं हुआ, तो दोनों का भरोसा कमजोर होगा और अराजक माहौल बनेगा.
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