Warning: Undefined variable $categories in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Warning: Trying to access array offset on value of type null in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Warning: Attempt to read property "slug" on null in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Deprecated: addslashes(): Passing null to parameter #1 ($string) of type string is deprecated in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 343
28.8 C
Ranchi
Saturday, April 19, 2025 | 11:52 pm

BREAKING NEWS

पंकज चतुर्वेदी

Browse Articles By the Author

गाद से बेहाल गंगा और सहायक नदियां

बड़ी गिरावट बहुत से लोगों, विशेषकर छोटे निवेशकों, में बेचैनी पैदा कर सकती है और इसकी प्रतिक्रिया कुछ भी हो सकती है तथा पूरा बाजार इससे प्रभावित हो सकता है.

खतरे में है समूचा हिमालयी क्षेत्र

भारत में हिमालयी क्षेत्र का फैलाव 13 राज्यों व केंद्र-शासित प्रदेशों में है. भारत का मुकुट कहे जाने वाले हिमाच्छादित पर्वतमाला की गोदी में कोई पांच करोड़ लोग बसे हैं.

कार्बन उत्सर्जन की गंभीर होती चुनौती

कार्बन की बढ़ती मात्रा दुनिया में भूख, बाढ़, सूखे जैसी विपदाओं को न्योता है. इससे जूझना दुनिया का फर्ज है, लेकिन भारत में मौजूद प्राकृतिक संसाधन व पारंपरिक ज्ञान इसका सबसे सटीक निदान है.

सामाजिक इच्छाशक्ति जरूरी

कोरोना से बचाव के लिए एकांतवास में रखे गये कम-से-कम बीस लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इनमें उत्तर प्रदेश के शामली के निर्माणाधीन अस्पताल में कोरेंटिन के लिए लाया गया युवक भी शामिल है और सिडनी से लौटकर सफदरजंग अस्पताल के सातवें तल से कूदकर आत्महत्या करनेवाला भी. लाइलाज कोरोना वायरस संक्रमण का अभी तक खोजा गया माकूल उपाय बस सामाजिक दूरी बनाये रखना और संदिग्ध मरीज को समाज से दूर रखना ही है. मामूली खांसी या बुखार वाला भी कोरोना से संक्रमित हो सकता है और इस बीमारी के लक्षण उभरने या खुद-ब-खुद ठीक होने में कोई चौदह दिन का समय लगता है. यह समय व्यक्ति व उसके परिवार, उसके संपर्क में आये लोगों के जीवन-मरण का प्रश्न होता है. तभी संभावित मरीज को समाज से दूर रखना ही सबसे माकूल इलाज माना गया है.

काजीरंगा के वन्यजीवों की व्यथा

बाढ़ तो प्राकृतिक आपदा है, लेकिन इसमें फंस कर इतनी बड़ी संख्या में जानवरों का मारा जाना तंत्र की नाकामी है. बचाव के लिए दूरगामी योजना बनाना अनिवार्य है.

बौद्धिक स्तर पर निबटने की जरूरत

सैन्य स्तर पर हम चीन से निश्चित ही निबट लेंगे, लेकिन आर्थिक और बौद्धिक स्तर पर निपटने के लिए हमें अभी और तैयारी करनी होगी़

गंगा से गायब होतीं देसी मछलियां

गंगा जल की मछलियों की कई प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा वर्षों से मंडरा रहा है और यह उद्गम स्थल से ही शुरू हो जाता है. यह नदी के पूरे पर्यावरणीय तंत्र के लिए हानिकारक है.

हवा को स्वच्छ रखने से फिर चूके

हवा को स्वच्छ रखने से फिर चूके

गौवंश बचायेंगे, तो बचेगा पर्यावरण

गौवंश बचायेंगे, तो बचेगा पर्यावरण
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels