Warning: Undefined variable $categories in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Warning: Trying to access array offset on value of type null in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Warning: Attempt to read property "slug" on null in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Deprecated: addslashes(): Passing null to parameter #1 ($string) of type string is deprecated in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 343
40.7 C
Ranchi
Monday, April 21, 2025 | 05:06 pm

BREAKING NEWS

नीरजा चौधरी

Browse Articles By the Author

One Nation One Election : ‘एक देश-एक चुनाव’ बदलेगा चुनावी परिदृश्य, पढ़ें नीरजा चौधरी...

One Nation One Election : भारत जैसे विशाल देश में इतनी बड़ी कवायद को भविष्य में अंजाम देना भी बहुत कठिन होगा. ‘एक देश-एक चुनाव’ से देश में संघवाद की भावना कमजोर होने की भी आशंका है. संघवाद पर आघात संविधान के मूल ढांचे पर आघात से कम नहीं.

इंडिया गठबंधन में दरार का मतलब, पढ़ें नीरजा चौधरी का खास आलेख

India alliance : हरियाणा में कांग्रेस की हार बहुत बड़ा राजनीतिक झटका थी. मानो यही काफी न हो, जिस महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के दौरान महाविकास आघाड़ी का प्रदर्शन अच्छा था, वहां विधानसभा चुनाव में गठबंधन बुरी तरह बिखर गया.

मतदाताओं का अंकुश दिखा इस चुनाव में

लोग चाहते हैं कि राष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत विपक्ष की मौजूदगी हो और सरकार ठीक तरह से चले. अगर एक शब्द में निष्कर्ष कहा जाए, तो मतदाताओं ने अंकुश लगाया है. उन्होंने भाजपा को तीसरी बार सरकार बनाने का जनादेश दिया है, पर उसे नियंत्रित भी किया है.

दक्षिण भारत में प्रधानमंत्री की सक्रियता

जब प्रधानमंत्री मोदी स्वयं अपनी सरकार और पार्टी की पहुंच बढ़ाने के अभियान में इतनी मेहनत से जुटे हैं, तो उसका असर पड़ना स्वाभाविक है. अपनी सभाओं में वे भावनात्मक जुड़ाव की कोशिश तो कर ही रहे हैं, साथ ही विपक्ष पर भी आक्रामक हैं.

दूरंदेशी सोच का परिणाम है नये मुख्यमंत्रियों का चयन

पिछड़े वर्ग में कई जातियों के मतदाताओं का समर्थन प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के साथ रहा है. भाजपा का प्रयास है कि यादव समेत अन्य जातियों को भी साथ लाया जाए. आदिवासी समुदाय तो भाजपा के पीछे लामबंद हुआ ही है. मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ उप मुख्यमंत्रियों के चयन में इस कारण की बड़ी भूमिका है.

चुनावी तैयारी में कोई ढील नहीं देगी भाजपा

ध्यान रहे कि पिछले चुनाव में 63 फीसदी मत गैर-भाजपा दलों के खाते में गये थे. भाजपा को 2019 के चुनाव में 37 प्रतिशत वोट मिले थे. हालांकि, यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी चार-पांच बड़ी पार्टियां किसी भी पाले में नहीं हैं.

महाराष्ट्र के सियासी भूचाल के संकेत

अजित पवार को जिम्मेदारी नहीं देना एक उकसाने वाला कदम था. यहां सवाल उठता है कि क्या शरद पवार ने यह जान-बूझकर किया, ताकि अजित पवार यदि जाना चाहते हैं तो जल्दी जाएं और एनसीपी में सुप्रिया सुले के लिए रास्ता साफ हो जाए.

विपक्ष की एकता का मंत्र और रणनीति

विपक्षी पार्टियों ने अपना मंत्र तो तय कर लिया है कि वे हर सीट पर एक बनाम एक मुकाबला करेंगे. यानी एनडीए और भाजपा के हर उम्मीदवार के सामने विपक्ष का एक ही उम्मीदवार खड़ा होगा. उन्हें लगता है कि 2019 के चुनाव में गैर-भाजपा दलों को जो 62 प्रतिशत मत मिले थे.

कांग्रेस के पास ठोस कार्ययोजना नहीं

राहुल गांधी अपनी यात्रा के बाद ऐसा कर सकते थे कि जिन जगहों से वे गुजरे थे, वहां दो-चार दिनों के शिविर आयोजित कर सकते थे. ऐसे कार्यक्रमों से उन लोगों को कांग्रेस से जोड़ा जा सकता था, जो उनकी यात्रा से प्रभावित हुए थे. इससे कांग्रेस में एक नयी ऊर्जा का संचार हो सकता था.
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels