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Sunday, April 20, 2025 | 04:01 pm

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मनोज चतुर्वेदी

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शतरंज के सबसे छोटे बादशाह गुकेश

Chess Grandmaster: इतनी कम उम्र में टूर्नामेंट जीतकर गुकेश ने सबको हैरत में डाल दिया है. इससे पहले इसी साल शतरंज ओलंपियाड में भारत को पहली बार खिताब दिलाने वाली टीम में वह शामिल थे.

Champions Trophy : एशियाई हॉकी में भारतीय हॉकी की बादशाहत बरकरार

Champions Trophy : भारत को यदि ओलिंपिक और विश्व कप जैसी प्रतिष्ठित चैंपियनशिपों में स्वर्ण पदक जीतना है, तो और तैयारियों की जरूरत होगी. इसके लिए सप्लाई लाइन को और मजबूत करना होगा. मौजूदा समय में देश में क्लब हॉकी लगभग खत्म सी है, इससे सुदूर इलाकों के युवाओं के लिए खेलना अभी भी मुश्किल है.

खेल प्रदर्शन में सुधार की पूरी गुंजाइश

भारत ने पिछले ओलिंपिक के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन ही नहीं किया है, बल्कि इस बार पदक तालिका में पाकिस्तान के 62वें स्थान से पीछे है. पाकिस्तान के जेवेलिन थ्रोअर नदीम अशरफ ने नीरज चोपड़ा को पछाड़कर स्वर्ण पदक जीतकर अपने देश को भारत से आगे निकाला है.

देश का दिल जीतने वाली विनेश का संन्यास

विनेश फोगाट के मुकाबले के दूसरे दिन वजन ज्यादा निकलने पर अयोग्य घोषित करने और सेमीफाइनल में उनसे हारीं क्यूबा की गुलजान लोपेजी को फाइनल में स्थान देने के बाद ऐसा लग रहा था कि देश की हीरोइन को खाली हाथ लौटना पड़ेगा. पर विनेश ने सीएएस, यानी कोर्ट ऑफ अबिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में अपील कर उन्हें रजत पदक देने की मांग की है.

Manu Bhaker : जीत की जिद ने मनु को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया

किसी भी खिलाड़ी की सफलता में उसकी मेहनत और कौशल का तो अहम योगदान होता ही है, साथ ही उसके अभियान में कई लोगों की भूमिका होती है. मनु भाकर जब टोक्यो ओलिंपिक से निराश होकर लौटी थीं, तब वे इस खेल को छोड़ने के बारे में सोचने लगी थीं.

विश्व कप जीतने पर गौरवान्वित भारत

T20 World Cup: राहुल द्रविड़ के कोच के तौर पर कार्यकाल का यह आखिरी टूर्नामेंट था, इसे रोहित शर्मा की टीम यादगार बनाने में सफल रही.

विश्व शतरंज में भारत की बढ़ती धमक

कई बार झटके लोगों को उबारने में सहायक होते हैं. टोरंटो में इस टूर्नामेंट के दौरान सातवें राउंड में अलिरेजा के हाथों बाजी हारने ने ही उन्हें खिताब जीतने के लिए मजबूत बनाया. उनकी मां पद्मा बताती हैं कि इस बाजी के हारने के बाद गुकेश थोड़ा हताश था.

बैडमिंटन में सात्विक-चिराग की जोड़ी से बड़ी उम्मीदें

दोनों खिताबों को जीतने के दौरान चिराग और सात्विक ने बिलकुल भिन्न खेल का प्रदर्शन किया. कोरिया में कोर्ट तेज था, तो उन्होंने आक्रामक खेल खेला था, पर फ्रेंच ओपन में भारतीय जोड़ी ने जरूरी होने पर ही स्मैश लगाये और शानदार डिफेंस का प्रदर्शन किया.

क्रिकेट में युवाओं को पंख लगाता आइपीएल

सभी फ्रेंचाइजी जानते हैं कि बिना मजबूत अनकैप्ड खिलाड़ियों के टीम मजबूत नहीं बन सकती है. कई बार यह युवा प्रतिभाएं उम्मीदों पर खरी नहीं भी उतर पाती हैं, पर जो खरे उतरते हैं, उन्हें आगे और ज्यादा रकम मिलने लगती है. फ्लॉप खिलाड़ियों की तत्काल छुट्टी भी कर दी जाती है.
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