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Monday, April 21, 2025 | 11:37 pm

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डॉ धनंजय

प्राध्यापक साउथ एशियन यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली

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बचाव अभियानों से भारत का बढ़ता कद

हाल तक ऐसा कहा जाता था कि केवल पश्चिमी देश ही अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील रहते हैं. लेकिन अब भारत ने जैसी सक्रियता दिखायी है, उससे साफ है कि सरकार अपने नागरिकों के लिए प्रतिबद्ध है.

पंजाब से निकलते चिंताजनक संकेत

यह जगजाहिर तथ्य है कि अस्सी-नब्बे के दशक में पंजाब में जो हिंसा और आतंक का दौर चला, उसमें पाकिस्तान की बड़ी भूमिका थी. अनेक आतंकियों को पाकिस्तान ने अपने यहां पनाह भी दी है.

बढ़ते भारत-मिस्र द्विपक्षीय संबंध

अफ्रीका और अरब क्षेत्र में इस्राइल ऐतिहासिक रूप से नेतृत्व की भूमिका में रहा है. इस स्थिति में भारत और मिस्र का निकट आना, दोनों देशों के इस्राइल और खाड़ी देशों से अच्छे संबंध होना नये सहयोगों के लिए व्यापक आधार मुहैया करा सकता है.

अफगानिस्तान को भारत की मदद

यह सर्वविदित तथ्य है कि अफगान जनता के बीच भारत की सकारात्मक और विश्वसनीय छवि है. उसे बनाये रखना जरूरी है.

पाकिस्तानी कोशिशों को झटका

यह सवाल अहम है कि अगर तालिबान को मान्यता दिलाने में पाकिस्तान की इतनी दिलचस्पी है, तो वह खुद ही आगे बढ़कर उसे मान्यता क्यों नहीं दे रहा है.

कोरोना काल में भारत आशा का स्रोत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में सतत विकास की अवधारणा को अपनाने पर जोर दिया था. उस संदेश को उन्होंने दावोस फोरम के मंच से भी दोहराया है.

स्वार्थ से प्रेरित है अमेरिकी दबाव

यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि अमेरिका केवल अपने हितों को ही साधना चाह रहा है और वह भारत के हितों को नजरअंदाज कर रहा है.

क्षेत्रीय सहयोग पर भारत का जोर

नेपाली प्रधानमंत्री के भारत दौरे का द्विपक्षीय महत्व तो निश्चित रूप से है, पर इस परिघटना को वर्तमान क्षेत्रीय परिदृश्य में भी देखा जाना चाहिए.

श्रीलंका के बिगड़ते हालात

यह मसला देश की आंतरिक शांति व स्थिरता के लिए भी एक प्रश्नचिह्न है. परिवार पर भ्रष्टाचार करने के गंभीर आरोप भी हैं.
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