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Monday, April 21, 2025 | 08:00 pm

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अजीत रानाडे

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लोकतंत्र की असली नींव विश्वास है

कोरोना महामारी से राहत के लिए पीएम केयर्स फंड में दान देने की प्रधानमंत्री की अपील से भी धन जुटाने में मदद मिली.

वित्तीय घाटे की गंभीर चुनौती

रिजर्व बैंक को एक ओर सरकार को पूंजी उपलब्धता सुनिश्चित कराना है, तो दूसरी ओर मुद्रा को स्थिर रखते हुए मुद्रास्फीति या ब्याज दरों को भी अनियंत्रित होने से रोकना है.

न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की जरूरत

हमारे देश में 2003 और 2012 के बीच प्रति व्यक्ति आय करीब सात प्रतिशत बढ़ी है, पर बाद में यह वृद्धि धीमी हो गयी.उस दौर में ग्रामीण कमाई में भी बढ़त हो रही थी.

रिजर्व बैंक के समक्ष चुनौतियां ज्यादा

इस वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक के सामने सबसे बड़ी चुनौती सबसे बड़े लेनदार- भारत सरकार- की कर्ज जरूरतों को पूरा करने की है. सरकार को बारह लाख करोड़ रुपये की दरकार है.

सरकार उठाये वैक्सीन का खर्च

केंद्र सरकार को मामूली बचत की चिंता नहीं करनी चाहिए और पूरी आबादी के टीकाकरण का खर्च केंद्रीय वित्त कोषों से दिया जाना चाहिए.

स्वागतयोग्य है वैक्सीन पेटेंट हटाना

पेटेंट में छूट के लिए अमेरिकी समर्थन बहुत जरूरी है क्योंकि मुकाबला फाइजर, मोडेरना, नोवावैक्स, जॉनसन एंड जॉनसन और आस्त्राजेनेका जैसी बड़ी कंपनियों की ताकत से है.

कोरोना की दूसरी लहर के आर्थिक प्रभाव

इस वर्ष आर्थिक वृद्धि की दर लगभग आठ प्रतिशत भी रही, तो दो साल बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2019 की तुलना में कुछ कम ही रहेगा.

निर्यात की बढ़ती संभावनाएं

मई, 2021 के निर्यात आंकड़े मई, 2019 से भी अधिक हैं. यदि यह गति जारी रही, तो निर्यात के लिए अच्छी स्थिति होगी, जो आर्थिक वृद्धि का एक अहम आधार है.

प्रत्यक्ष कर संग्रह की बढ़े हिस्सेदारी

प्रत्यक्ष करों का हिस्सा बढ़ाना चाहिए. अप्रत्यक्ष करों के बढ़ते हिस्से के रुझान को रोकना निश्चित ही संभव है.
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