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अजीत रानाडे

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अर्थव्यवस्था में आशा के संकेत

महामारी के दौर को छोड़कर बीते 40 सालों में रियल टर्म में औसत वृद्धि दर सात प्रतिशत रही है तथा 1980 से कभी भी संकुचन नहीं हुआ है. भारतीय वृद्धि प्रक्रिया की यह ताकत है.

मुक्त व्यापार पर हिचक कम हो

वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के कारण सुस्त होती जा रही है. ऐसी स्थिति में अगर हमारी व्यापारिक हिस्सेदारी में तीन-चार फीसदी की भी बढ़ोतरी होती है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत उत्साहजनक होगा.

जरूरी उपाय है मुफ्त राशन योजना

प्रधानमंत्री मुफ्त अनाज योजना कोरोना के कारण अप्रैल, 2020 में शुरू हुई थी. भारत जीवनयापन के संकट को व्यापक खाद्य संकट में बदलना नहीं चाहता था. इस योजना से हमें बहुत फायदा हुआ है और आज मुद्रास्फीति के दौर में इसने महंगे अनाज की खरीद से भी परिवारों को बचाया है.

ब्रिटेन में नीतिगत संकट के सबक

ऐसे समय में, जब मुद्रास्फीति ऐतिहासिक रूप से 10 प्रतिशत के स्तर पर है, भारी टैक्स कटौती और वित्तीय विस्तार की घोषणा करना वित्तीय उतावलापन ही था. इस नीति से केवल मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होती. इसलिए सरकार को पीछे हटना पड़ा और कर कटौती को स्थगित करना पड़ा.

अपने वर्चस्व का दुरुपयोग न करे गूगल

गूगल की विशालता और व्यापकता अब चिंताजनक होने लगी है. हम इंटरनेट पर जो भी करते हैं, वह इसी के जरिये करते हैं, इसलिए इस पर नियामकों की नजर है. लोकसेवा परीक्षाओं के अभ्यर्थी भी गूगल के बिना काम नहीं चला सकते.

अगले वर्ष के आर्थिक पूर्वानुमान

भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2019 की तुलना में 7.5 प्रतिशत ही अधिक है, जिसका अर्थ है कि बीते तीन वर्षों में औसत सालाना वृद्धि दर मात्र 2.5 प्रतिशत रही है. यह महामारी के दौरान लगे आघात का परिणाम है

मुफ्त राशन योजना के आयाम

जनवरी से शुरू हो रही योजना में मुफ्त अनाज का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी तथा राज्यों को हिस्सा नहीं देना पड़ेगा.
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