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कोरोना : सुस्त पड़ सकती है बिहार के विकास की रफ्तार, राज्य का ग्रोथ रेट सिंगल डिजिट में रहने के आसार

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कोरोना संक्रमण की वजह से संपूर्ण लॉकडाउन में ही 2020-21 की शुरुआत हुई है. प्रारंभ से ही टैक्स संग्रह समेत अन्य सभी वित्तीय गतिविधियां ठप होने का सीधा असर राज्य की वित्तीय सेहत पर पड़ने जा रहा है

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कौशिक रंजन की रिपोर्ट

पटना : कोरोना संक्रमण की वजह से संपूर्ण लॉकडाउन में ही 2020-21 की शुरुआत हुई है. प्रारंभ से ही टैक्स संग्रह समेत अन्य सभी वित्तीय गतिविधियां ठप होने का सीधा असर राज्य की वित्तीय सेहत पर पड़ने जा रहा है. इस बार राज्य की विकास दर सिंगल डिजिट में यानी 10 प्रतिशत से नीचे ही रहेगी. विशेषज्ञों का अनुमान के अनुसार, यह पांच प्रतिशत या इससे नीचे जा सकता है, जबकि बीते वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य की विकास दर साढ़े 11 प्रतिशत से ज्यादा रही थी. पिछले तीन-चार वित्तीय वर्ष से बिहार दो अंकों की विकास दर लगातार बरकरार रखे हुए है, परंतु इस बार यह संभव नहीं हो पायेगा.

इसकी मुख्य वजह आंतरिक स्रोत से प्राप्त होने वाले टैक्स या राजस्व के अलावा केंद्र से केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के अंतर्गत मिलने वाले ग्रांट और केंद्रीय टैक्स पुल से मिलने वाली राज्य की हिस्सेदारी में काफी कटौती होनी है. राज्य का आंतरिक टैक्स संग्रह अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. केंद्र से आने वाली राशि में भी बड़े स्तर पर कटौती हो सकती है. इसका सीधा असर विकासात्मक योजनाओं पर पड़ेगा और यह विकास दर को प्रभावित करेगा.

गौरतलब है कि बीते वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में केंद्र ने अनुदान और टैक्स शेयर में करीब 15 हजार करोड़ की कटौती कर दी थी. हालांकि, विकास दर में कितनी कमी आयेगी और यह कितना रहेगा, यह लॉकडाउन समाप्त होने के बाद कितनी जल्द आर्थिक गतिविधि खासकर कृषि क्षेत्र की गतिविधि शुरू होती है, इस पर भी काफी निर्भर करेगा. बिहार के कृषि प्रधान राज्य होने के कारण इस सेक्टर में ज्यादा- से- ज्यादा लोन देकर इसे सशक्त करने की कवायद शुरू हो गयी है ताकि अर्थव्यवस्था को थोड़ा संभाला जा सके. साथ ही टैक्स संग्रह के लिए निबंधन कार्यालय खोले गये हैं और वाणिज्य कर संग्रह ऑनलाइन किया गया है. इन प्रयासों का कितना असर पड़ता है, यह कुछ महीनों बाद कोरोना संक्रमण समाप्त होने के बाद सब कुछ सामान्य होने पर ही पड़ेगा.

इस मद से इतनी आमदनी की संभावना

– केंद्रीय टैक्स पुल से हिस्सेदारी- 91,180

– सीएसएस के जरिये अनुदान- 52,754

– जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में- 3,500

– आंतरिक टैक्स संग्रह- 34,750

– आंतरिक नन-टैक्स से- 5,239

(सभी आंकड़े करोड़ रुपये में)

कोरोना का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ना स्वाभाविक

वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी का असर देश के साथ राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ना स्वाभाविक है. जब देश की विकास दर पांच प्रतिशत से भी नीचे रहने की संभावना जतायी जा रही है, तो ऐसे में राज्य भी पहले जैसी विकास दर हासिल नहीं कर सकते हैं, यह तय है. राज्य की विकास दर भी इकाई में रह सकती है. हालांकि, लॉकडाउन कब तक रहता है और स्थिति कितने दिनों में सामान्य होती है, इस पर भी काफी कुछ निर्भर करता है. सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की पूरी कोशिश करेगी, इसके प्रयास अभी से किये जा रहे हैं.

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