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E-Pass बनने की प्रक्रिया से अनजान आम कारोबारियों की लॉकडाउन में बढ़ी मुश्किलें, जैसे-तैसे लोकल मंडी पहुंचा रहे आम

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कटोरिया व आसपास के क्षेत्रों में आम कारोबारी जैसे-तैसे बड़ी मुश्किल से लोकल मंडी तक आम से भरे कैरेट पहुंचा रहे हैं. जिला प्रशासन द्वारा तुरंत इ-पास निर्गत करने के निर्णय से तो अधिकांश आम व्यवसायी खुश हैं, लेकिन ऑनलाइन इ-पास बनवाने की प्रक्रिया के बारे में उन्हें पता नहीं है. उन्हें तो बस आम की फसल को जल्दी से जल्दी मंडी तक पहुंचाने की चिंता सता रही है. बगीचा से बंबईया आम तो टूट चुका है. जर्दालू व मालदो आम टूटना शुरू है.

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कटोरिया व आसपास के क्षेत्रों में आम कारोबारी जैसे-तैसे बड़ी मुश्किल से लोकल मंडी तक आम से भरे कैरेट पहुंचा रहे हैं. जिला प्रशासन द्वारा तुरंत इ-पास निर्गत करने के निर्णय से तो अधिकांश आम व्यवसायी खुश हैं, लेकिन ऑनलाइन इ-पास बनवाने की प्रक्रिया के बारे में उन्हें पता नहीं है. उन्हें तो बस आम की फसल को जल्दी से जल्दी मंडी तक पहुंचाने की चिंता सता रही है. बगीचा से बंबईया आम तो टूट चुका है. जर्दालू व मालदो आम टूटना शुरू है.

कटोरिया में वन विभाग के गेस्ट हाउस के निकट स्थित आम बगीचा के व्यवसायी अशोक यादव व मंडली यादव ने सोमवार को बताया कि इ-पास मिलने की खबर से खुशी मिली है. इस वर्ष आम किसानों व व्यवसायियों को स्थानीय स्तर पर ही इ-पास उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिये. चूंकि वे लोग बगीचा में आम तोड़वा कर उसे जल्दी से जल्दी मंडी तक भेजने के कार्य में व्यस्त रहते हैं. बगीचा में टूट रहे जर्दालू आम को पिकअप वैन से बिना पास के ही मुंगेर मंडी भेजना पड़ रहा है. बिना इ-पास के रास्ते में जगह-जगह परेशानी भी झेलनी पड़ती है. लेकिन कच्चा सौदा को किसी भी सूरत में समय पर मंडी नहीं पहुंचाने पर बड़ा नुकसान झेलना पड़ जाता है.

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E-pass बनने की प्रक्रिया से अनजान आम कारोबारियों की लॉकडाउन में बढ़ी मुश्किलें, जैसे-तैसे लोकल मंडी पहुंचा रहे आम 2

बताया कि लॉकडाउन में पिछले दो सालों के दौरान उसे लगभग सात लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. उन्होंने कटोरिया के रामानंद साह, राधेश्याम साह व ब्रम्हदेव साह का बगीचा करीब साढ़े तीन लाख रुपये में खरीदी है. मंजर आने से पहले पत्ता पर ही आम का सौदा बगीचा मालिक से तय कर लेते हैं. पिछले वर्ष हुए नुकसान की भरपाई इस वर्ष होने की उम्मीद थी, लेकिन इस बार भी लॉकडाउन हो जाने से लाखों की क्षति हुई. कटोरिया के अलावा बेलौनी में गौरीशंकर तम्बोली व शाधू तम्बोली का बगीचा व दुल्लीसार गांव में शंभु वर्णवाल का भी बगीचा उसने डाक पर लिया है.

कटोरिया व चांदन प्रखंड क्षेत्र में आम उत्पादक किसानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इस बार भी आम का बंपर पैदावार हुआ है, लेकिन न तो आम की फसल तैयार होने से पहले या आम टूटने के दौरान ही कृषि या उद्यान विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मी किसान या व्यापारी का हाल भी पूछने नहीं आते. आम के पेड़ की धुलाई हो या मंजर में दवाई का छिड़काव या टिकोला झड़ने की बीमारी या आम फसल को मंडी तक पहुंचाने में आने वाली किसी भी समस्या से संबंधित सभी चुनौतियों का सामना किसान या व्यापारी खुद ही करते हैं.

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छाताकुरूम गांव के किसान विनोद कुमार सिंह, प्रमोद सिंह आदि ने बताया कि उनका लगभग बीस एकड़ में आम का बगीचा है. जिसमें लगभग साढ़े पांच सौ से भी अधिक पेड़ हैं. लेकिन विभागीय अधिकारी या कर्मी आज तक उनका बगीचा नहीं पहुंचे. दो सालों से लॉकडाउन में जितनी तरह की परेशानी उन्हें हुई, ऐसी विकट परिस्थिति कभी देखने को नहीं मिली थी. हालांकि उन्होंने अपना बगीचा आम व्यापारी को बेच दी है. लेकिन व्यापारी को भी मंडी तक आम ले जाने में दिक्कत हो रही है. इधर प्रभात-खबर में आम किसानों व व्यापारी की समस्या प्रकाशित होने के बाद से कृषि विभाग का कर्मी दो-चार किसानों से मिलने जरूर पहुंच रहे हैं.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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