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सती के हृदय स्थल पर पहुंचकर कैसे रुके रावण के कदम, बैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग की स्थापना अलग अंदाज में सुनें

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श्रावणी मेला 2022: बाबा बैद्यनाथ की स्थापना कैसे हुई. रावण ने किस तरह भोलेनाथ से खुद भोलेनाथ को ही मांग लिया. लेकिन रावण के कदम अचानक उस जगह पर रूके जहां भगवती का हृदय स्थल था. सुनिये इस गीत के माध्यम से.

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ऑडियो सुनें

श्रावण मास की शुरुआत होते ही पूरा देश भोलेनाथ की भक्ति में लीन हो चुका है. बिहार-झारखंड बाबा बैद्यनाथ की भक्ति के रंग में रंगा हुआ है. सावन माह को भगवान भोलेनाथ का पावन और प्रिय महीना माना जाता है. लोग इस माह में भोलेनाथ से जुड़े गीतों का आनंद लेना पसंद करते हैं. देवघर के बाबा बैद्यनाथ की कहानी लगभग सबने सुनी होगी. इसे बेहद अलग अंदाज में लेकर आए हैं अजगैवीनाथ धाम सुल्तानगंज निवासी व वरीय कलाकार चंद्रमोहन पाठक. जय-जय बाबा धाम की नाम से बने इस ऑडियो-वीडियो को आप भी सुनें.

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महाबली रावण ने किस तरह भगवान शंकर की कठिन तपस्या की और प्रसन्न होकर भोलेनाथ प्रकट हुए. खुश होकर महादेव ने लंकाधिपति को वरदान मांगने को कहा. शिवभक्तों को किस्सा सुनाते हुए कलाकार चंद्रमोहन पाठक बताते हैं कि रावण ने बेहद चतुराई से किस तरह भोलेनाथ से खुद भोलेनाथ को ही मांग लिया और अपने साथ लंका नगरी चलने का आग्रह किया. उसके बाद कलाकार यह भी बता रहे हैं कि रावण की मांग को स्वीकार करते हुए भी किस तरह भोलेनाथ ने आत्मस्वरूप शिवलिंग देते समय अपनी मजबूरी जाहिर की.

रावण ने किस तरह शिव के शर्तों को मान लिया और शिवलिंग लेकर लंका की ओर निकल गया, ये इस वीडियो में गीत के रूप में बताया गया है. रावण के सामने क्या शर्त थी. क्या रावण उस शर्त को निभा पाया. भगवती आदिशक्ति के हृदय स्थली पर पहुंचते ही कैसे रूक गया रावण का कदम और कैसे वहीं स्थापति हो गये शिव भोलेशंकर. रावण को लघुशंका लगने और गोपालक बैजू की कहानी भी इस गीत में आप सुन सकेंगे.

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बता दें अजगैवीनाथ धाम सुलतानगंज निवासी व वरीय कलाकार चंद्रमोहन पाठक बीते कई दशकों से आकाशवाणी भागलपुर से सुगम संगीत विधा से जुड़े हैं. अपनी भक्ति व देशभक्ति गीतों को पेश कर इन्होंने श्रोताओं के दिल में अपनी खास जगह बनायी है. जय-जय बाबा धाम की गीत को खुद चंद्रमोहन पाठक ने ही लिखा और गाया है. संगीत सरोज दास ने दिया है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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