31.9 C
Ranchi
Sunday, April 20, 2025 | 11:01 pm

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Kargil Vijay Diwas : अदम्य साहस के बल पर कैप्टन कारिअप्पा ने दो पहाड़ियों पर दुश्मनों को किया पस्त

Advertisement

कैप्टन बीएम कारिअप्पा ने अपनी सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए दुश्मन के इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए और दुश्मनों पर ग्रेनेड दागे. इस हमले में दुश्मन पाकिस्तानी सेना के दो जवान मारे गये. कैप्टन कारिअप्पा की बहादुरी और उनके शानदार नेतृत्व में उनकी टीम ने दुश्मनों से प्वाइंट को मुक्त करा लिया था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Kargil Vijay Diwas Latest Updates : आज 26 जुलाई है. आज ही के दिन भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों के सीने को छलनी करते हुए कारगिल युद्ध में जीत हासिल की थी. कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ पर भारत अपने वीर सपूतों को सम्मान कर रहा है और इस युद्ध में शहीद जवानों को नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा है. 23 साल पहले इसी युद्ध में कैप्टन बीएम कारिअप्पा ने अपने अदम्य साहस के बल पर पाकिस्तानी सैनिकों के सीने को छलनी करते हुए जम्मू-कश्मीर की दो पहाड़ियों को दुश्मनों की चंगुल से मुक्त कराया था. आइए, जानते हैं कि कैप्टन बीएम कारिअप्पा ने अपने अदम्य साहस के बल पर दुश्मनों को नाकों चने चबवाने के लिए किस प्रकार से अपनी सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया है और फिर दो पहाड़ियों की चोटियों को भारत का तिरंगा फहराया.

20 जून 1999 को शुरू हुआ था अभियान

20 जून 1999 की घुप्प अंधेरी भयानक रात थी. कैप्टन बीएम कारिअप्पा और उनकी सैन्य टुकड़ी को जम्मू-कश्मीर के प्वाइंट 5203 को पाकिस्तानी दुश्मनों से छुड़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस प्वाइंट पर दुश्मन कब्जा जमाए बैठा था. इस प्वाइंट को दुश्मनों की चंगुल से छुड़ाने के लिए पहले भी कई कोशिशें विफल हो चुकी थीं. कैप्टन कारिअप्पा और उनकी टीम नौ घंटे की चढ़ाई के बाद दुश्मन के कब्जे वाली प्वाइंट पर पहुंची. निर्धारित प्वाइंट पर पहुंचते ही दुश्मनों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.

कैप्टन कारिअप्पा की सैन्य टुकड़ी ने दो पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतारा

कैप्टन बीएम कारिअप्पा ने अपनी सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए दुश्मन के इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए और दुश्मनों पर ग्रेनेड दागे. इस हमले में दुश्मन पाकिस्तानी सेना के दो जवान मारे गये. कैप्टन कारिअप्पा की असाधारण बहादुरी और उनके शानदार नेतृत्व में उनकी टीम ने दुश्मनों से इस प्वाइंट को मुक्त करा लिया था. 21 जून 1999 को प्वाइंट 5203 पर एक बार फिर भारतीय तिरंगा लहरा रहा था और यह सबकुछ संभव हो पाया था कैप्टन कारिअप्पा के अदम्य साहस और बहादुरी के कारण.

कारगिल युद्ध में दो पहाड़ियों पर किया कब्जा

कारगिल युद्ध की इस याद को ताजा करते हुए अब ब्रिग्रेडियर हो चुके बीएम कारिअप्पा ने कहा कि कारगिल के इस युद्ध में मैंने और मेरी टीम ने दो पहाड़ी पर कब्जा किया था. पहला 21 जून की रात को प्वाइंट 5203 और दूसरा 22-23 जुलाई की रात को लाइन ऑफ कंट्रोल पर एरिया कोनिकल. 22-23 जुलाई की रात को मैं और मेरी बटालियन खड़ी चढ़ाई को चढ़ते हुए एरिया कोनिकल पहुंची.

गर्दन पर चोट के बावजूद पाकिस्तानियों को मारा

चढ़ाई चढ़ते वक्त कैप्टन बीएम कारिअप्पा के गरदन पर चोट लग गई. बावजूद इसके कैप्टन कारिअप्पा रेंगते हुए चढ़ाई पर चढ़े और सुरक्षित स्थान पर पहुंचे. वहां उन्होंने दुश्मनों के दो जवानों को मार गिराया. उसके बाद अपनी बहादुरी से उन्होंने उस स्थान को दुश्मनों से मुक्त कराया और अपनी जमीन पर से दुश्मनों को खदेड़ा. इस दौरान अपनी बटालियन का हौसला बढ़ाने के लिए वे हर-हर महादेव का जयघोष भी करते थे, जो उनके रेजीमेंट का नारा है. इस अभियान पर दुश्मनों ने दो बार उनपर हमला किया, लेकिन उसे कैप्टन कारिअप्पा ने विफल कर दिया. कैप्टन कारिअप्पा के इस अदम्य साहस और वीरता के लिए उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया.

पैराशूट रेजिमेंट के अधिकारी हैं कैप्टन कारिअप्पा

कैप्टन बीएम कारिअप्पा भारतीय सेना के पैराशूट रेजिमेंट के अधिकारी हैं. इस रेजीमेंट के जवान काफी कर्तव्यपरायण और फुर्तीले होते हैं. इस रेजिमेंट ने सर्जिकल स्ट्राइक में भी हिस्सा लिया था. इन्हें वर्ष 2000 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. कैप्टन कारिअप्पा कर्नाटक के कूर्ग जिले के रहने वाले हैं, जिसे भारत का स्कॉटलैंड कहा जाता है. उनके पिता का नाम बीसी मुथन्ना और मां का जया मुथन्ना है. कैप्टन करियप्पा जब कारगिल युद्ध के लिए भेजे गये थे, उससे पहले उनकी मां का देहांत हुआ था और वे अपनी मां का अंतिम संस्कार करने के बाद सीधे युद्ध के मैदान पर पहुंचे थे.

Also Read: कारगिल युद्ध को याद कर आज भी कांप उठता है पाकिस्तान, बरेली देता है इंडियन आर्मी के शौर्य की गवाही
कैप्टन कारिअप्पा को मिले हैं कई मेडल

कैप्टन बीएम कारिअप्पा को सेना के कई मेडल मिल चुके हैं. वीर चक्र के अलावा उन्हें सियाचिन में एक ऑपरेशन ने लिए सेना मेडल मिला है. नॉर्थ ईस्ट में भी एक ऑपरेशन के लिए उन्हें पदक मिला है. साथ ही जिम्मेदारी पूर्वक काम करने के लिए उन्हें सेना के दो और मेडल भी मिले हैं. कैप्टन कारिअप्पा को इस बात का गर्व है कि उन्हें कारगिल युद्ध में शामिल होने का मौका मिला है.

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels