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लोगों के लिए वरदान साबित हो रही आयुष्मान भारत योजना

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जीवन बीमा जहां लोगों की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को लाभान्वित करती है वही स्वास्थ्य बीमा लोगो को जीते जी राहत देती है.

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ठाकुरगंज. जीवन बीमा जहां लोगों की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को लाभान्वित करती है वही स्वास्थ्य बीमा लोगो को जीते जी राहत देती है. शायद इसलिए जीवन बीमा की तरह स्वास्थ्य बीमा के प्रति भी लोगों का रूझान बढ़ने लगा है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां बीमारियां तेजी से पैर फैला रही हैं वहीं अस्पताल का उपचार भी जीवनभर की पूंजी को पल में छीन लेता है. ऐसे में सालभर में कुछ नियमित किश्त भरकर अगर लाखों रुपये का हेल्थ कवर मिल जाता है तो भला बुराई क्या है. प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. छह वर्ष पहले 23 सितंबर 2018 को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना की शुरुआत की गई थी और अब तक इस योजना के साथ पूरे देश में 30 हजार अस्पतालों का नेटवर्क जुड़ चुका है. अब तक 70 वर्ष के नीचे आयु के लोगों का इलाज इस योजना के तहत होता था लेकिन अब सरकार 70 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के सभी बुजुर्गों को आयुष्मान योजना का लाभ दे रही है.

आयुष्मान योजना से कैंसर को मात दे रहे लोग

यह योजना कैंसर रोगियों के लिए भी बड़ा संबल बनी है. सम्पूर्ण देश में लाखों की संख्या में लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया है. वहीं पीएमजय डैशबोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार मप्र में जनरल मेडिसिन के बाद योजना का लाभ लेने वालों की सर्वाधिक संख्या कैंसर रोगियों की है. उप्र में 88 हजार कैंसर रोगियों ने योजना से उपचार कराया है. जानकार बताते है की कैंसर का उपचार एक तो महंगा है. दूसरा यह कि इसका उपचार दो से तीन वर्ष और कुछ का तो इससे भी अधिक समय तक चलता है. यही कारण है कि अधिकतर रोगी आयुष्मान भारत योजना से ही उपचार कराते हैं. और तो और यह बात भी सही है सरकारी अस्पतालों की तुलना में योजना के अंतर्गत अनुबंधित निजी अस्पतालों और निजी मेडिकल कॉलेजों में इसके उपचार की अच्छी सुविधाएं हैं. प्रोसीजर के मामले में रेडिएशन ओंकोलॉजी और कीमोथेरेपी का लाभ लेने वाले रोगियों की संख्या भी अन्य प्रोसीजर की तुलना अधिक है.

निजी क्षेत्र की इंश्युरेंस कंपनी में 10 से 15 हजार रुपये की किश्त में लाखों का बीमा कवर

जहां आयुष्मान भारत योजना को हेल्थ इंश्योरेंस के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. सरकार की यह योजना कहीं न कहीं जरूरतमंद लोगों का बीमा कवर ही है, जिसमें वह बहुत सी बीमारियों का उपचार पैनल के निजी अस्पतालों में करा सकते हैं. जिला में बड़ी संख्या में लोग इस योजना के तहत पंजीकृत हैं . हालांकि निजी बीमा कंपनियों में हेल्थ बीमा के लिए आम आदमी को हर साल थोड़ी किश्त देनी पड़ती है. निजी कंपनियां भी अब तो 10 से 15 हजार रुपये में आठ से 10 लाख रुपये तक का हेल्थ कवर दे रही हैं, जिससे बीमारी का उपचार कराते समय सोचने की आवश्यकता नहीं पड़ती.

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का सही समय

हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में सबसे बड़ा मिथक एक यह है कि लोग सोचते हैं कि यदि वे युवा और स्वस्थ हैं तो उन्हें बीमा की जरूरत नहीं है. पर इसे हर किसी को समझना चाहिए कि हेल्थ इंश्योरेंस में प्रीमियम कैलकुलेशन में सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक बीमित व्यक्ति की आयु है. आप जितने छोटे होंगे, प्रीमियम उतना ही कम होगा. साथ ही, अधिकांश पॉलिसियों में कुछ बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि होती है, जिसका अर्थ है कि जब तक आप प्रतीक्षा अवधि पूरी नहीं कर लेते, तब तक आप उन बीमारियों के लिए क्लेम फाइल नहीं कर सकते. कम उम्र में हेल्थ कवर खरीदना सुनिश्चित करता है कि आप बिना किसी चिंता के प्रतीक्षा अवधि पूरी कर सकते हैं, क्योंकि कम उम्र में आपको बीमारियों से पीड़ित होने की संभावना कम होती है. इसके अलावा, कई बीमाकर्ता कम उम्र में अनिवार्य स्वास्थ्य जांच के बिना ही स्वास्थ्य कवर प्रदान करते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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