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Darbhanga News: रासायनिक खाद के अंधाधुंध उपयोग से खराब हो रही मिथिला की मिट्टी की गुणवत्ता

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Darbhanga News:मिथिला की मिट्टी उपजाऊ रही है. अत्यधिक दोहन से अब इसकी सेहत खराब हो रही है. इसके संरक्षण की जरूरत है.

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Darbhanga News: दरभंगा. मिथिला की मिट्टी उपजाऊ रही है. अत्यधिक दोहन से अब इसकी सेहत खराब हो रही है. इसके संरक्षण की जरूरत है. तब ही विकसित भारत के निर्माण में मिथिला की अहमियत होगी. यह बातें प्रसिद्ध भू-वेत्ता डॉ केएल दास ने विश्व मृदा दिवस पर गुरुवार को डॉ प्रभात दास फाउंडेशन एवं लनामिवि के पीजी भूगोल विभाग की ओर से आयोजित मिथिला की भूमि : विकसित भारत के संदर्भ में विषयक सेमिनार में कही. डॉ दास ने कहा कि गंडक एवं महानंदा नदी के बीच का भू-भाग मिथिला लैंड कहलाता है. इस क्षेत्र में नदियों का जाल बिछा रहा है. इसका एक हिस्सा गंगा नदी से घिरा है. नदियों के गाद से यहां की मिट्टी का निर्माण हुआ है. इसके कारण इस क्षेत्र में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है. यह मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ है.

अलग-अलग नदियों का हिस्सा रहने से मिथिला की मिट्टी विविधता भरी

डॉ दास ने कहा कि अलग-अलग नदियों का हिस्सा रहने की वजह से मिथिला की मिट्टी विविधता से भरी है. यहां के अधिकांश किसान कम- पढ़े लिखे हैं. अधिक उपज की लालच में रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं. इससे मिट्टी की गुणवत्ता खत्म हो रही है. कहा कि मिथिला में जनसंख्या घनत्व बढ़ रहा है. इससे उपजाऊ भूमि भी रिहायशी इलाके में तब्दील हो रही है. किसान पहले इकहरी फसल उपजाते थे. अब सालों भर खेती होती है. उपज बढ़ी है, पर मिट्टी की गुणवत्ता में क्षरण हो रहा है. डॉ मनुराज शर्मा ने कहा कि मिट्टी को निर्जीव समझने की गलती नहीं करें. यह जीवनदायिनी है. इसी से सजीव जगत का अस्तित्व है.

अत्यधिक उर्वरक प्रयोग और जलवायु परिवर्तन ने मिट्टी को किया प्रभावित- मुकेश

फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने कहा कि मिट्टी में सृजन की क्षमता के साथ सबकुछ को समाहित करने का गुण मौजूद है. अत्यधिक उर्वरक प्रयोग और जलवायु परिवर्तन से मिट्टी प्रभावित हुई है. मिट्टी की जांच कर ही खेती करने की आवश्यकता है. डॉ रश्मि शिखा का कहना था कि मिथिला की मिट्टी की गुणवत्ता बचाने के लिए पहल होनी चाहिए है. किसानों को जागरूक किये जाने की जरूरत है.

कृषि योग्य भूमि का संरक्षण जरूरी- डॉ अनुरंजन

अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ अनुरंजन कुमार ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत का निर्माण होगा. भारत को विकसित बनाने में मिथिला क्षेत्र की भूमिका सुनिश्चित है. इसके लिए यहां की मिट्टी को संरक्षित करने आवश्यकता है. कहा कि मिथिला क्षेत्र में मिट्टी की कटाई बढ़ गयी है. निर्माण कार्य और ईंट भठ्ठे की वजह से कृषि योग्य भूमि नष्ट हो रही है. कहा कि अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो कृषि प्रधान यह क्षेत्र बर्बाद हो जायेगा. स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन सुनील सिंह ने किया. संचालन शोधार्थी सोनू कुमार दास कर रहे थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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