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दुर्लभ डाक टिकटों में इतिहास की झलक

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शहर के ज्ञान भवन में आयोजित डाक टिकट प्रदर्शनी में दुर्लभ डाक टिकटों का संग्रह है.

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शहर के ज्ञान भवन में आयोजित डाक टिकट प्रदर्शनी में दुर्लभ डाक टिकटों का संग्रह है. इसमें अतीत से वर्तमान तक का सफर देखने को मिलता है. गैलरी में रखे 414 फ्रेम में डाक टिकटों को प्रदर्शित किया गया है. सभी फ्रेम में 16 प्लेट लगाये गये हैं, जिनमें टिकटों व उनके बारे में विशेष जानकारी भी लिखी गयी है. यहां आप भारतीय सिनेमा, ओलंपिक, गांधी जी की जीवनी, कॉपर डाक टिकट, भारतीय संस्कृति, इतिहास, धार्मिक स्थान, यूनिवर्सिटी, आदि पर डाक टिकटों व आवरण को देख सकते हैं. दुनिया के 100 से अधिक देशों में महात्मा गांधी पर जारी हुए डाक टिक भी देखने को मिलेगा. बता दें कि, 156 विषयों पर डाक टिकटों का संग्रह प्रदर्शित किया गया है. प्रदर्शनी में डाक टिकटों की संख्या 12000 से अधिक है. यहां प्रदर्शित डाक टिकट ढाई सौ वर्ष पहले इसे जारी की गयी थी. पेश है लाइफ सिटी की रिपोर्ट…

वेद और उपनिषद् का विशेष आवरण जारी :

बिहार की आध्यात्मिक और दार्शनिक धरोहर को उजागर करने के लिए भारतीय डाक विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय बिहार डाक टिकट प्रदर्शनी के दूसरे दिन एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर वेद और उपनिषदों पर एक विशेष आवरण जारी किया गया, जिससे बिहार की सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर को नया जीवन मिला. इसके बाद, बिहार के नौ प्रमुख शक्तिपीठों पर आधारित पिक्चर पोस्टकार्ड का विमोचन किया गया.

प्रदर्शनी परिसर में खोला अस्थायी डाकघर और विशेष काउंटर :

प्रदर्शनी परिसर में आगंतुकों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए डाक विभाग ने एक अस्थायी डाकघर खोला है, जहां विभिन्न सेवाएं उपलब्ध हैं. यहां एक फिलेटली काउंटर भी स्थापित किया गया है, जहां लोग फिलेटली डिपॉजिट अकाउंट खोल सकते हैं, माय स्टांप बना सकते हैं, और डाक टिकट खरीद सकते हैं. इसके अलावे एक पोस्ट शॉपी काउंटर भी लगाया गया है, जहां ग्राहकों के लिए गंगोत्री का गंगा जल सहित अन्य उपयोगी वस्तुएं उपलब्ध हैं. स्थानीय कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य काउंटर भी लगाए गए हैं. विभाग ने एक सेल्फी पॉइंट भी बनाया है, जहां प्रदर्शनी के दौरान सबसे ज्यादा लाइक पाने वाली सेल्फी के लिए विशेष पुरस्कार का ऐलान किया गया है.

कार्यक्रम में कई प्रतियोगिताओं का भी आयोजन :

लोगों को प्रदर्शनी में लगे प्रदर्शों से काफी जानकारियां मिल रही है. वे डाक टिकटों पर इतिहास को देख अचंभित भी हो रहे हैं. पहले लोग लिखते थे तो पोस्टकार्ड का महत्व बहुत था लेकिन आज यह महत्वपूर्ण कम हो गया है, लेकिन विरासत को सहेजने का काम फिलेटलिस्ट ने किया है. वहीं, कार्यक्रम में कई प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया. जिसमें बच्चों ने एक से बढ़कर एक नृत्य प्रस्तुत किए. जबकि, पेंटिंग में डाकघर व डाकिया को उकेरा. साथ ही, स्टेज पर बच्चों को डाकघर से जुड़ा शॉर्ट वीडियो को भी दिखाया गया. इसके बाद उनसे सवाल पूछे गये.

कंप्यूटर व मोबाइल का उपयोग केवल जरूरत के अनुसार करना चाहिए : मंत्री श्रवण कुमार

कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्री श्रवण कुमार ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वे डाकघर से गहरे जुड़े हुए हैं और इसकी सेवाएं ऐसी हैं, जैसे यह कोई कार्यालय नहीं बल्कि घर की सुविधा हो. उन्होंने विलीन होती परंपराओं को पुनः जीवित करने के लिए डाक विभाग की लगातार की जा रही पहल की सराहना की. लेखन की कला के बारे में कहा कि हमें अपनी कला को निखारने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और कंप्यूटर तथा मोबाइल का उपयोग केवल आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए. इनका प्रभाव हमारी कला पर नहीं पड़ने देना चाहिए. उन्होंने यह भी इच्छा व्यक्त की कि विभाग नालंदा के गिलास ब्रिज पर भी एक डाक टिकट जारी करे.

वेदों और उपनिषदों की कई रचनाओं का उद्गम बिहार से ही हुआ : आचार्य किशोर कुणाल

कार्यक्रम में आचार्य किशोर कुणाल ने भी डाक विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की सराहना की और विभाग को सनातन धर्म की विशेषताओं को प्रमाणिकता के साथ आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने प्राचीन वेदों और उपनिषदों के वर्तमान समय में वैज्ञानिक पहलुओं पर भी चर्चा की और बताया कि आज विश्व के कई देशों में इन पर लगातार शोध हो रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि वेदों और उपनिषदों की कई रचनाओं का उद्गम बिहार से ही हुआ है. गायत्री मंत्र के रचनाकार महर्षि विश्वामित्र भी बिहार के ही थे. मौके पर कार्यक्रम में नवनीत रंजन, प्रो राकेश कुमार सिंह, निलेश आर देवरे, प्रदीप जैन, मनोज कुमार व अन्य मौजूद रहे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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