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Chhapra News : जलजमाव पर ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट ने नगर निगम व जिला प्रशासन से मांगा शपथ पत्र

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Chhapra News : प्रभुनाथ नगर जलजमाव के मामले में वेटरन्स फोरम द्वारा दायर वाद में 18 नवंबर को राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के पूर्वी बेंच में सुनवायी हुई.

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छपरा. प्रभुनाथ नगर जलजमाव के मामले में वेटरन्स फोरम द्वारा दायर वाद में 18 नवंबर को राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के पूर्वी बेंच में सुनवायी हुई. सुनवायी के दौरान जिला परिषद सारण ने बिना शपथ पत्र दायर किये जिला अभियंता सारण के हस्ताक्षर से जारी पत्र में कहा गया है की प्रभुनाथ नगर की जलजमाव की समस्या के आकलन और निदान के लिए सहायक अभियंता की टीम द्वारा 25 अक्टूबर और 16 नवंबर को निरीक्षण किया गया था. अब जलजमाव हटा दिया गया है. सड़कें आदि साफ कर दी गयी है और अधूरे नाले का निर्माण टांड़ीं गांव की ओर से शीघ्रता से करवाया जा रहा है. बिना शपथ पत्र के ही यह कैसा जवाब वेटरन्स फोरम के सचिव वादी डॉ बीएनपी सिंह प्रतिवाद में कहा कि यह पत्र अमान्य है. इसे शपथ पत्र के द्वारा नहीं लाया गया है. यह मान्य न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार नहीं है. उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया कि इसे रिकॉर्ड पर नहीं लिया जाए. उन्होंने कहा कि दीपावली के दिन की तस्वीरें गूगल मैप कमरे से खींची हुई न्यायालय में मेरे द्वारा दी गयी हैं. उस दिन प्रभुनाथ नगर में सभी सड़कों पर पानी लगा हुआ था. उन चित्रों को तिथि सहित देखा जा सकता है.

खुद के खर्चे से करायी गयी सफाई

कोर्ट को यह भी बताया गया कि दिवाली और छठ पूजा के मद्देनजर निवासियों ने अपने पैसे से पंपिंग सेट आदि जुगाड़ कर जल को उलीच कर फेंकवाया है. जल निकासी में जिला प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है जैसा कि पिछले आदेश में कहा गया था, पर, पंप से पानी उलीचना स्थाई निदान नहीं है. पानी के मार्ग जो अवरुद्ध और अतिक्रमित हैं उनको खोलकर जल निकासी का स्थाई निदान करना होगा. न्यायाधिकरण के आदेश के अनुसार नाला तो वर्ष 2023 के मई तक बना लेना था. इसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जलजमाव को दूर करने में मुख्य कार्य जिला अधिकारी और नगर निगम द्वारा किया जाना है. जिला परिषद का इसमें क्या काम? पर्यावरण नियमों के अनुसार जल और वायु को क्षेत्र या क्षेत्राधिकार में बांटा नहीं जा सकता. दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय न्यायाधीश में आदेशित किया कि संबंधित सभी प्रतिवादी अलग-अलग से विधि मान्य तरीके से शपथ पत्र दायर कर बताएं कि वादी के गुगल मैप सहित दीवाली के तस्वीरें जो न्यायाधिकरण में उपस्थापित की गईं हैं उस संबंध में उनका क्या कहना है और आगे उनकी क्या योजना है. अगली सुनवाई दस जनवरी को है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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