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Madhubani News. मनरेगा मजदूरों को काम तो मिल रहा, लेकिन मजदूरी नहीं

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मनरेगा में रोजगार की गारंटी है लेकिन मजदूरी की नहीं. मनरेगा योजना के तहत जिले के मजदूरों को रोजगार तो मिल रहा है लेकिन मजदूरी नहीं. पिछले 90 दिनों से मनरेगा में काम कर चुके मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिली है.

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Madhubani News. मधुबनी. मनरेगा में रोजगार की गारंटी है लेकिन मजदूरी की नहीं. मनरेगा योजना के तहत जिले के मजदूरों को रोजगार तो मिल रहा है लेकिन मजदूरी नहीं. पिछले 90 दिनों से मनरेगा में काम कर चुके मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिली है. इन मजदूरों के लिए परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है. इस कारण मजदूरों का मनरेगा से मोह भंग होते जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार जिले में दो सौ योजनाएं संचालित हैं. इसमें प्रतिदिन औसतन 450 से 550 मजदूर काम करते हैं. उन्हें 90 दिनों से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है. विदित हो कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 16 नवंबर 2024 तक 1 लाख 23 हजार 217 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया. जिनमें से 4359 मजदूरों का भुगतान लंबित है. समय से मजदूरी का भुगतान नहीं होने से सक्रिय मजदूरों की संख्या में कमी आ रही है. मजदूरों को अगर शीघ्र भुगतान नहीं होता है तो उनके समक्ष विकट परिस्थिति उत्पन्न हो जाएगी. दिहाड़ी मजदूरों के लिए मनरेगा काफी सार्थक सिद्ध हो रहा है, लेकिन समय से मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण मजदूरों को अपने परिवार का पालन-पोषण करने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. फंड के अभाव में मजदूरी का नहीं हो रहा भुगतान सरकार की लेट लतीफी के कारण मनरेगा योजना में कार्यरत मजदूरों को पिछले डेढ़ माह से मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है. फंड की कमी के कारण मजदूरों को इन दिनों एक-एक पैसे के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. मनरेगा की मजदूरी पर आश्रित परिवार सरकार के इस देरी से काफी परेशानी में हैं. जिले में करीब तीन हजार योजनाएं मनरेगा की संचालित हैं. उसमें से महत्वपूर्ण योजना बागवानी योजना, सिचाई, नाली, सड़क, पइन, तालाब जीर्णोद्धार, खेल मैदान आदि है. इस महत्वपूर्ण योजना में सैकड़ों मजदूरों ने कार्य किया है और उन्हें इन दिनों मजदूरी के लिए सरकार से राशि निर्गत होने का इंतजार करना पड़ रहा है. पंचायत के पचास मजदूर प्रतिदिन करते हैं काम आंकड़ा लिया जाए तो कम से कम प्रति पंचायत पचास मजदूर औसतन मनरेगा में मजदूरी करते हैं. इनका जीवकोपार्जन का साधन सिर्फ मनरेगा में मजदूरी ही है. इन्हें काम के बाद से मजदूरी की आस रहती है. केंद्र सरकार समय-समय पर पंचायतों के बजट के अनुरूप मनरेगा मद में राशि आवंटित करती रहती है. लिहाजा मजदूरों को इन दिनों आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है. मनरेगा के निबंधित मजदूरों का कई आवश्यक कार्य नहीं हो रहा है. मजदूर मजदूरी मिलने का इंतजार कई सप्ताह से कर रहे हैं. गांव छोड़ रहे हैं मजदूर ग्रामीण इलाकों में कई लोग पहले ही काम की तलाश में शहर चले गए हैं. अब ऐसी स्थिति है कि जो लोग घर पर रहकर मनरेगा के तहत काम किया उन्हें भी मजदूरी के बिना जीवन यापन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते वे भी काम की तलाश में गांव छोड़ रहे हैं. गांवों से लोगों का पलायन करना आम हो गया है. क्या कहते हैं अधिकारी मनरेगा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अशोक कुमार राय ने कहा कि मनरेगा मजदूरों का लंबित मजदूरी का शीघ्र भुगतान किया जाएगा. मजदूरों को अधिक से अधिक गांव में रोजगार उपलब्ध कराने को पीओ को निर्देशित किया गया है.

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