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सदर अस्पताल में मर्चरी वाहन के अभाव में परिजनों को हो रही है परेशानी

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मरीज के परिजन निजी एंबुलेंस में शव को ले जाने के लिए होते हैं विवश

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कटिहार. पूरे बिहार में सरकारी एंबुलेंस 102 की सेवा व्यवस्था को लेकर नयी एजेंसी को कार्य भार सौंपने के बाद पूरे जिले में एक भी मर्चरी भैन की व्यवस्था नहीं हो पाई है. इस कारण यदि अस्पताल में किसी मरीज की मौत होती है तो उनके शव को ले जाने के लिए परिजनों को काफी परेशान होना पड़ता है. मजबूरन मरीज के परिजन निजी एंबुलेंस में शव को ले जाने के लिए विवश होते हैं. बता दे की पूरे बिहार में 102 एंबुलेंस सेवा का कार्यभार पहले पीडीपीएल एजेंसी के जिम्मे था, लेकिन अब सरकारी एंबुलेंस का कारभार एक नवंबर से जैन प्लस नमक एजेंसी को सौंपा गया है. इस एजेंसी को कार्यभार मिलने के बाद सदर अस्पताल में जो मर्चरी भेन हुआ करती थी वह पीडीपीएल एजेंसी की हुआ करती है, जो पीडीपीएल एजेंसी ने उन्हें वापस ले लिया. लेकिन कार्य भार नए एजेंसी को मिलने के बाद अब तक नई एजेंसी जैन प्लस द्वारा सदर अस्पताल में शव वाहन की व्यवस्था नहीं कर पाई है. ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीज की मौत के बाद परिजनों को घोर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. निजी एंबुलेंस वाले मुंह मांगा पैसा वसूलते है, यहां तक की दो दिन शव वाहन नहीं मिलने के कारण मृतक के परिजन अस्पताल में हंगामा भी किए, दरअसल सरकार की योजना के तहत सदर अस्पताल आने वाले किसी मरीज की मौत यदि अस्पताल में इलाज के दौरान होती है तो ऐसी स्थिति में सदर अस्पताल प्रशासन के द्वारा परिजन की मांग पर उन्हें शव वाहन की व्यवस्था की जाती है. इस सेवा के लिए परिजन को कोई भी शुल्क अदा नहीं करना पड़ता है. निशुल्क परिजन अस्पताल से शव को अपने घर तक ले जा सकते हैं लेकिन एक नवंबर से शव वाहन नहीं रहने के कारण अस्पताल प्रशासन की भी परेशानी बढ़ गई है. मरीज की मौत के बाद परिजन शव वाहन की मांग करते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन के द्वारा लोगों को वाहन उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है. इतना ही नहीं नयी कर एजेंसी को एंबुलेंस सेवा के कार्यभार मिलने के बाद जिले में आधे दर्जन एंबुलेंस की संख्या भी फिलहाल अभी घटी हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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