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1500 ग्रामीण डाक सेवकों की अवैध बहाली का मामला लंबित

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Patna News : डाक विभाग (बिहार सर्किल) में लगभग 1500 ग्रामीण डाक सेवकों की अवैध बहाली का मामला सीबीआइ और बिहार सर्किल के विजिलेंस डिपार्टमेंट में वर्षों से लंबित है.

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सुबोध कुमार नंदन, पटना

डाक विभाग (बिहार सर्किल) में लगभग 1500 ग्रामीण डाक सेवकों की अवैध बहाली का मामला सीबीआइ और बिहार सर्किल के विजिलेंस डिपार्टमेंट में वर्षों से लंबित है. इनमें से कई ग्रामीण डाक सेवकों को डाक विभाग ने निबंलित कर दिया था और कई जांच शुरू होने के बाद अचानक गायब हो गये. डाक विभाग के वरीय अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2005 से 2012 के बीच हजारों ग्रामीण डाक सेवकों की बहाली निकली थी. इस दौरान बड़ी संख्या में फर्जी तरीके अंकपत्र पेश कर डाक सेवक बन गये थे. इस दौरान ग्रामीण डाकसेवकों की बहाली ऑफलाइन होती थी. अधिकारियों ने बताया कि उस वक्त लोग झारंखड, पश्चिम बंगाल, संस्कृत बोर्ड, दक्षिण भारत के बोर्ड का अंकपत्र प्रस्तुत किया था. इनमें बड़ी संख्या में वैसे छात्र थे, जिनके अंक 95 से 99 फीसदी तक थे. जब डाक विभाग ने अंकपत्रों की जांच की, तो इसका खुलासा हुआ. इसके बाद संबंधित बोर्ड को अंकपत्र जांच के लिए भेजा गया, तो अंकपत्र फर्जी पाये गये थे. जानकारी के अनुसार नवादा और नालंदा जिले में सबसे अधिक ग्रामीण डाक सेवकों की बहाली हुई थी.सुबोध कुमार नंदन, पटना

डाक विभाग (बिहार सर्किल) में लगभग 1500 ग्रामीण डाक सेवकों की अवैध बहाली का मामला सीबीआइ और बिहार सर्किल के विजिलेंस डिपार्टमेंट में वर्षों से लंबित है. इनमें से कई ग्रामीण डाक सेवकों को डाक विभाग ने निबंलित कर दिया था और कई जांच शुरू होने के बाद अचानक गायब हो गये. डाक विभाग के वरीय अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2005 से 2012 के बीच हजारों ग्रामीण डाक सेवकों की बहाली निकली थी. इस दौरान बड़ी संख्या में फर्जी तरीके अंकपत्र पेश कर डाक सेवक बन गये थे. इस दौरान ग्रामीण डाकसेवकों की बहाली ऑफलाइन होती थी. अधिकारियों ने बताया कि उस वक्त लोग झारंखड, पश्चिम बंगाल, संस्कृत बोर्ड, दक्षिण भारत के बोर्ड का अंकपत्र प्रस्तुत किया था. इनमें बड़ी संख्या में वैसे छात्र थे, जिनके अंक 95 से 99 फीसदी तक थे. जब डाक विभाग ने अंकपत्रों की जांच की, तो इसका खुलासा हुआ. इसके बाद संबंधित बोर्ड को अंकपत्र जांच के लिए भेजा गया, तो अंकपत्र फर्जी पाये गये थे. जानकारी के अनुसार नवादा और नालंदा जिले में सबसे अधिक ग्रामीण डाक सेवकों की बहाली हुई थी. इसके बाद डाक विभाग ने मामले को गंभीरता को देखते हुए पहले विभागीय स्तर पर जांच की गयी. इसके बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण डाक सेवकों को निलंबित किया गया और कुछ डाक सेवक जेल जाने के भय से नौकरी छोड़ कर भाग गये. सालों बाद भी विभाग ऐसे कर्मचारियों की जानकारी जुटाने में लगी है. वहीं दूसरी ओर वर्ष 2005 से लेकर 2012 के बीच गलत अंकपत्र पर नौकरी पाने वालों के खिलाफ सीबीआइ की टीम जांच कर रही है. दशहरा से पहले रोहतास डिवीजन के ऐसे 16 ग्रामीण डाक सेवकों को सीबीआइ के समक्ष पेश करने के लिए डाक विभाग के वरीय अधिकारी से ग्रामीण डाक सेवकों को खोज पेश करने का दबाव बनाया था, लेकिन डाक विभाग के अधिकारियों ने हाथ खड़ा कर दिया. अधिकारियों ने बताया कि पहले ग्रामीण डाक सेवकों की बहाली डिवीजन स्तर पर होता था. उस दौरान अधिकारियों ने खूब अवैध कमाई की. डाक विभाग : ऑनलाइन नियुक्ति के पहले डाक अधीक्षक और डाक निरीक्षक जीडीएस की करते थे नियुक्ति पटना. ग्रामीण डाक सेवक में तीन पोस्ट होते हैं- जीडीएस बीपीएम, जीडीएस एडी और जीडीएस एमसी. ऑनलाइन के पहले इनकी नियुक्ति पंचायत स्तर पर किया जाता था. बाद के दिनों में इन पदों पर बहाली जिला स्तर पर किया गया. कुछ समय बाद इसे राज्य स्तर पर किया जाने लगा. इसमें सबसे बड़ी बात है कि आपको जीडीएस में नियुक्ति के बाद उसी ऑफिस के गांव का स्थायी निवासी बनना होगा. डाक विभाग के वरीय अधिकारियों ने बताया कि जीडीएस पर ऑनलाइन नियुक्ति के पहले डाक अधीक्षक और डाक निरीक्षक नियुक्ति किया करते थे. सैकड़ों नियुक्तियां गलत सर्टिफिकेट पर की गयीं. बहुत सारे डिवीजन में जांच शुरू हुई. कुछ नियुक्तियों की सीबीआइ जांच हुई थी. सीतामढ़ी, समस्तीपुर, नवादा और सहरसा डिवीजन के बड़े स्तर पर जीडीएस बहाली में फर्जीवाड़ा का मामला आने के बाद जांच शुरू हुई. इस मामले में मुजफ्फरपुर रीजन के डाक अधीक्षक और डाक निरीक्षक जेल में हैं. कुछ का केस चल रहा है. इसकी नियुक्ति में मसौढ़ी का गैंग पटना में सबसे ज्यादा सक्रिय था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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