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आओ मिट्टी के दीये जलाएं…पर्यावरण बचायें

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अगले कुछ दिनों में अंधेरे पर प्रकाश की और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में रोशनी का पर्व दीपावली धूमधाम से मनाया जायेगा.

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सूर्यगढ़ा. अगले कुछ दिनों में अंधेरे पर प्रकाश की और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में रोशनी का पर्व दीपावली धूमधाम से मनाया जायेगा. यह परिवारों के लिए एक साथ आने प्यार वह सकारात्मक फैलाने और सुंदर रोशनी के साथ घर आंगन को रोशन करने का समय है. मां लक्ष्मी की आराधना को समर्पित इस पावन त्यौहार पर स्वच्छता और प्रकृतिक उत्पादों से पूजन का विशेष महत्व है. दीपावली का त्योहार मिट्टी के दीये से जुड़ा है. यही हमारी संस्कृति में रचा बसा हुआ है. दीये जलाने की परंपरा वैदिक काल से ही रही है. भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी की खुशी में यह त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाने की परंपरा चली आ रही है. आधुनिकता के दौर में हम कृत्रिम लाइट पर अधिक निर्भर हो गये हैं और अपनी परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए इस दीपावली हमें मिट्टी के दीपक जलाने का संकल्प लेना है. इसी उद्देश्य से प्रभात खबर ने अभियान शुरू किया है. शुक्रवार को सूर्यगढ़ा नगर परिषद क्षेत्र के गौरी शंकर रोड स्थित संत मेरी इंग्लिश स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्राचार्य तिजो थॉमस के नेतृत्व में विद्यालय के सैकड़ों छात्रों एवं शिक्षकों ने यह शपथ ली की मिट्टी के दीये प्रज्वलित कर दीपावली मनायेंगे और पर्यावरण बचायेंगे. कार्यक्रम में बच्चों ने कहा कि तेज आवाज के पटाखे से भी परहेज करेंगे.

पर्यावरण बचेगा तभी आयेगी असली खुशहाली

संत मेरी इंग्लिश स्कूल सूर्यगढ़ा में छात्रों ने इस साल मिट्टी का दिया जलाकर प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने का संकल्प लिया. छात्रों मैं कहां की जब पर्यावरण बचेगा तभी जीवन में असली खुशहाली आयेगी. मिट्टी का दीप जलाकर वे दूसरों के घर भी रोशन करेंगे. रोशनी का पर्व दीपावली की असली खुशियां प्राकृतिक चीजों के साथ मिलकर मानने से मिलती है, हमें इस बात का ध्यान देना होगा. हमारे आसपास के किसी घर में अंधेरा नहीं रहे. दीपावली का त्योहार भगवान राम के घर लौटने की खुशी के रूप में मनाया जाता है. भगवान राम सत्य के प्रतीक हैं. इसलिए दीपावली पर हमें अपने अंदर के अंधकार को दूर करना है ताकि हमारे अंदर की बुराई खत्म हो जाय.

तिजो थॉमस, प्राचार्य

दिवाली पटाखे का नहीं बल्कि रोशनी का पर्व है. दिवाली पर बिल्कुल भी पटाखे न जलायें. घर को दीये से सजायें. दीया जलाने से पर्यावरण में मौजूद हानिकारक तत्व नष्ट होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, वैसे भी पटाखे से नुकसान ही हो होता है.

डॉ विजय विनीत, शिक्षक

रंगोली व दीयों वाली प्रदूषण मुक्त दीपावली मनायें .दीपावली में इस बार मिट्टी के दीये से घर को रोशन करें ताकि सकारात्मक ऊर्जा बने मिट्टी के दीये का धार्मिक महत्व भी है. पटाखा तो बिल्कुल ना छोड़े इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है.

विजय प्रधान, शिक्षक

दिवाली खुशियों का त्यौहार है, पर हमें दिवाली माननी है तो पर्यावरण का भी ख्याल रखना होगा. पटाखा जलाने से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है.

सीमा सोरेन, शिक्षिका

हमें पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित दीपावली मनाने के बारे में सोचना होगा. इलेक्ट्रॉनिक लाइटों की बजाय मिट्टी के दीयों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें. इससे मिट्टी के दीपक बनाने वालों को भी आर्थिक मदद मिल जायेगी.

श्रिजा राम, शिक्षिका

पटाखे से निकलने वाले रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं. इस दीपावली हम प्रदूषण मुक्त व प्रकृति पोशाक त्यौहार के रूप में मनाएं. घरों को रोशनी करने के लिए मिट्टी के दिए का इस्तेमाल करें.

अंजभा कुमारी, शिक्षिका

इस दीपावली हम बिजली की झालर की जगह मिट्टी के दीये जलाकर घर को रोशन करें. हमें प्रदूषण मुक्त मीठी दीपावली मनाने का संकल्प लेना होगा.

सुरेंद्र के जी, शिक्षक

दीपावली रोशनी का त्यौहार है. हमें अपनी परंपराओं के साथ दीपावली मनाना है. आधुनिकता के इस दौर में परंपरा के ही पीछे छूटती जा रही है. इस बार घर को दीये जलाकर रोशन करें.

वीरेंद्र राणा, शिक्षक

दीपावली में मिट्टी के दीये जलाकर घर को रोशन करने की परंपरा है लेकिन आधुनिकता की दौड़ में लोग इससे अलग होते जा रहे तथा बिजली के झालर जलाकर घर को रोशन कर रहे हैं. हम मिट्टी का दीये जला कर दीपावली बनायें. इससे कुम्हारों के घरों में भी दीपावली मनेगी.

रेंजू के सोमन, शिक्षक

आज पूरा विश्व प्रदूषण की चपेट में है. पटाखा जलाने से सर्वाधिक प्रदूषण होता है. इस बार हम इको फ्रेंडली दीपावली मनायें. मिट्टी के दीये से घर को रोशन करें.

विपिन किशोर, शिक्षक

दीपावली में बिजली के झालर की जगह मिट्टी का दिया जलाएं. हमें पटाखा नहीं जलाने की संकल्प लेना होगा.

ब्रिजेश के, शिक्षक

इस दीपावली मिट्टी के दिए जलाएंगे ग्रीन पटाखे चलायेंगे और सुरक्षा का ध्यान रखेंगे.

अविनाश कुमार, शिक्षक

तेज आवाज वाले पटाखों से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं. पटाखा से प्रदूषण फैल रहा है. हमें पटाखा जलाने से परहेज रखना होगा. इससे ग्लोबल वार्मिंग होती है. दीये की रोशनी से घर को रोशन करें.

डॉ प्रमोद कुमार, शिक्षकB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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