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परामर्श कौशल कार्यशाला: परिवार नियोजन और सतत विकास के लक्ष्य की दिशा में एक सशक्त पहल

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सदर अस्पताल में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ देवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत परामर्श कौशल पर एक व्यापक कार्यशाला का आयोजन किया गया.

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किशनगंज.सदर अस्पताल में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ देवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत परामर्श कौशल पर एक व्यापक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में जिले के विभिन्न सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से आए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया. कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता फैलाने और जनसंख्या नियंत्रण में मदद करने के लिए आवश्यक परामर्श कौशल सिखाना था.प्रशिक्षण सह कार्यशाला में पिएसआई के जिला प्रतिनिधि , डीडीए सुमन सिन्हा एवं जिला के सभी सीएचओ शामिल थे.

परामर्श कौशल का महत्व

प्रभारी सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया की परिवार नियोजन में सही परामर्श कौशल का विशेष महत्व है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और दंपत्तियों को परिवार नियोजन के उपायों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है. एक कुशल परामर्शदाता न केवल महिलाओं को उनकी प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को समझने में मदद करता है, बल्कि उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए भी प्रेरित करता है. उचित जानकारी के अभाव में कई बार महिलाएं और परिवार अनचाही जटिलताओं का सामना करते हैं, जो उनके स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति को प्रभावित करती हैं.

परिवार नियोजन की आवश्यकता

प्रभारी सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की परिवार नियोजन का महत्व समाज के हर वर्ग के लिए अनिवार्य है, क्योंकि यह जनसंख्या नियंत्रण, मातृ और शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, और आर्थिक विकास के लिए एक आधारशिला के रूप में कार्य करता है. सीमित संसाधनों के होते हुए निरंतर बढ़ती जनसंख्या से स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ता है, जिससे उनकी गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है. इसके माध्यम से परिवार आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं, और महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने का अवसर मिलता है, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है.

सतत विकास लक्ष्य से संबंध

प्रभारी सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की परिवार नियोजन सीधे तौर पर सतत विकास लक्ष्यों से जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से लक्ष्य 3: सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण और लक्ष्य 5: लैंगिक समानता. जब महिलाओं को परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी और उपयोग की स्वतंत्रता दी जाती है, तो यह न केवल उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि समाज में लैंगिक समानता को भी बढ़ावा देता है. एक स्वस्थ महिला और स्वस्थ बच्चे समाज के विकास की नींव होते हैं, जो अंततः सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होते हैं.

स्वास्थ्य विभाग के सामने चुनौतियाँ और आवश्यकताएं

डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया की परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में अज्ञानता, संसाधनों की कमी, और सामाजिक रूढ़िवादिता एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं. स्वास्थ्य विभाग के सामने प्रमुख चुनौतियां यह हैं कि कैसे दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, और लोगों को परिवार नियोजन के सही तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान की जाए.इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग को सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित रूप से प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने क्षेत्रों में प्रभावी परामर्श दे सकें. साथ ही, अधिक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है, जो विशेष रूप से ग्रामीण समुदायों को परिवार नियोजन के महत्व और लाभों के प्रति जागरूक कर सकें.

कार्यशाला में प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया

इस कार्यशाला में सीएचओ को परामर्श कौशल, संवाद तकनीक, और समुदाय के लोगों के साथ विश्वास स्थापित करने के तरीके सिखाए गए. प्रतिभागियों ने इसे एक उपयोगी अनुभव बताया, जिससे उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने में मदद मिलेगी. डॉ. देवेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में कहा, “परिवार नियोजन एक सामाजिक जिम्मेदारी है, और इसके माध्यम से हम सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक मजबूत नींव रख सकते हैं. “इस प्रकार की कार्यशालाएं स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर आयोजित की जाती रहेंगी, ताकि स्वास्थ्य कर्मियों को नवीनतम तकनीकों और कौशलों से सुसज्जित किया जा सके और समाज को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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