23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

हिंसा इस्राइल की सुरक्षा की गारंटी नहीं

Advertisement

आज इस्राइल अपनी सीमाओं की रक्षा कर पाने से और दूर हुआ है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अनुभव किसी भी ओर अच्छा या बुरा ले जा सकता है. इस्राइल के मामले में यह स्पष्ट है कि यह बुरे की ओर ले गया है. जिस देश में भयंकर नाजी उत्पीड़न के भुक्तभोगी हों, वह देश अब वैसा ही नृशंस होता जा रहा है और उस क्षेत्र पर बड़े युद्ध की आशंका मंडराने लगी है. उसके परिणामों की कल्पना असंभव है.
इस्राइल पर हमास के हमले और इस्राइल की भयावह प्रतिक्रिया के शुरू हुए एक साल बीत चुके हैं. इस्राइल का कहना है कि पिछले साल सात अक्टूबर को हमास के हमले में लगभग 12 सौ इस्राइली एवं विदेशी नागरिक मारे गये थे तथा 250 लोगों को बंधक बनाया गया था, जिनमें से 96 अभी भी हमास के कब्जे में हैं. इसके जवाब में हुए इस्राइल के हमले में, गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक लगभग 42 हजार लोग मारे जा चुके हैं. ऐसा जनसंहार हालिया इतिहास में सबसे भयावह है. ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने 30 सितंबर को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया कि उस समय तक गाजा में 11 हजार से अधिक बच्चे और छह हजार से अधिक महिलाएं मारी जा चुकी थीं. बीते 18 वर्षों में एक साल में किसी लड़ाई में इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की हत्या नहीं हुई है. फिर भी इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि वे यहां सच बोलने आये हैं और सच यह है कि इस्राइल शांति चाहता है.
कहा जाता है कि अक्सर अनुभव भविष्य के कार्यों की बेहतरी का आधार होता है. इस अर्थ में अनुभव रखना अच्छी बात है. लेकिन जर्मन वैज्ञानिक एवं कवि गेटे ने कहा था कि अनुभव केवल आधा अनुभव ही होता है. शेष आधा वह है, जिसे हम कैसे समझते हैं और अपना अर्थ उसे देते हैं. हिंसक माहौल में बड़ा हुआ कोई व्यक्ति उसके दर्दनाक परिणामों को देखते हुए हिंसा को खारिज कर सकता है, या फिर वह यह भरोसा कर सकता है कि हिंसा के आधार पर ही दुनिया आगे बढ़ती है. तो, अनुभव किसी भी ओर- अच्छा या बुरा- ले जा सकता है. इस्राइल के मामले में यह स्पष्ट है कि यह बुरे की ओर ले गया है. जिस देश में भयंकर नाजी उत्पीड़न के भुक्तभोगी हों, वह देश अब वैसा ही नृशंस होता जा रहा है और उस क्षेत्र पर बड़े युद्ध की आशंका मंडराने लगी है. उसके परिणामों की कल्पना असंभव है. हमें नहीं पता कि उसका अंजाम क्या होगा. पर एक सवाल जरूर पूछा जाना चाहिए और उसका जवाब भी स्पष्ट होना चाहिए- क्या इस्राइल इस जनसंहार के बाद अधिक सुरक्षित हो गया है? क्या हजारों बच्चों और महिलाओं का कत्लेआम कर इस्राइल शांति हासिल कर सकेगा? ऑक्सफैम की रिपोर्ट बताती है कि इस्राइल के लगातार हमलों ने गाजा में भारी तबाही की है. इन हमलों ने यह दिखा दिया है कि इस्राइल के लिए कोई सीमा नहीं है और उसे मानवता समेत किसी भी हद की कोई परवाह नहीं है. इस्राइल को धन और हथियार देने वाले अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को इस पर जल्दी पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा कि इस्राइल ने गाजा में निर्दोष नागरिकों को बर्बाद करने का आतंकी कृत्य किया है.
इस संदर्भ में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैकरां का बयान अहम है. कुछ दिन पहले उन्होंने गाजा में इस्राइल द्वारा इस्तेमाल हो रहे हथियारों की आपूर्ति रोकने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा है कि अब प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि हम राजनीतिक समाधान की ओर लौटें और इस्राइल को हथियारों की आपूर्ति रोक दें. यह बयान देने से पहले राष्ट्रपति मैकरां ने पेरिस में एक बैठक में युद्धविराम के आह्वानों के बावजूद लड़ाई जारी रहने पर चिंता जतायी थी तथा लेबनान में हमला करने के इस्राइल के फैसले की निंदा की थी. इस हिंसा की निरर्थकता को कोई भी देख सकता है. लेबनान में पेजर बमों के हमलों से इस्राइल उत्साहित है, पर इससे लड़ाई का एक नया मोर्चा खुला है. ऐसे तौर-तरीके में नागरिक और सैनिक निशानों का भेद मिट जाता है. रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले सामानों को आतंकी बम में बदलने से लड़ाई का खर्च कम हो जाता है. ऐसे में इस खतरनाक खेल में शामिल होना हिंसक समूहों के लिए आकर्षक हो सकता है. इस पृष्ठभूमि में यह एक ऐसा संघर्ष है, जो देश ने अपने ही खिलाफ छेड़ दी है और वह इस भुलावे में है कि इस हिंसा से शांति हासिल होगी.
इस्राइल की नजर में हिज्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत एक बड़ी जीत है. नसरल्लाह हिज्बुल्लाह के अब्बास अल मुसवी के उत्तराधिकारी थे, जिनकी हत्या इस्राइल ने 1992 में कर दी थी. उससे एक दशक पहले जून 1982 में इस्राइल ने फिलिस्तीन स्वतंत्रता संगठन (पीएलओ) को खत्म करने के इरादे से लेबनान पर हमला किया था. उस हमले का एक नतीजा यह हुआ कि हिज्बुल्लाह का जन्म हुआ और उसके कुछ समय बाद इंतेफादा विद्रोह हुआ. आज इस्राइल अपनी सीमाओं की रक्षा कर पाने से और दूर हुआ है. यहूदी महात्मा गांधी का हमेशा से सम्मान करते आये हैं. उन्होंने अपने अखबार ‘हरिजन’ में 26 नवंबर, 1938 को हिटलर और उसके भयावह उत्पीड़न के बारे में लिखा था कि जर्मनी यह दिखा रहा है कि हिंसा किस तरह से प्रभावी हो सकती है, यदि उसे किसी प्रपंच या मानवतावाद के नाम से जानी जाने वाली किसी कमजोरी से बाधित करने की कोशिश न हो. उन्होंने आगे लिखा कि नाजी जर्मनी यह भी दिखा रहा है कि अपने नंगे रूप में हिंसा कितनी भयंकर हो सकती है. क्या ये शब्द आज के इस्राइल पर लागू नहीं होते? इस प्रश्न से यह इंगित हो जाता है कि इस्राइल किस स्तर तक पतित हो चुका है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें