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Darbhanga News: कर्म से चित्त की शुद्धि के बाद ही ज्ञान से मिल सकती मुक्ति

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Darbhanga News:लनामिवि के पीजी दर्शनशास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ रुद्रकांत अमर की अध्यक्षता में शनिवार को "सुरेश्वराचार्य तथा उनकी नैष्कर्म्यसिद्धि " विषय पर संगोष्ठी हुई.

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Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी दर्शनशास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ रुद्रकांत अमर की अध्यक्षता में शनिवार को “सुरेश्वराचार्य तथा उनकी नैष्कर्म्यसिद्धि ” विषय पर संगोष्ठी हुई. इसमें सीएम कालेज के दर्शनशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ आदित्य कुमार सिंह ने आदि शंकराचार्य के शिष्य सुरेश्वराचार्य द्वारा रचित नैष्कर्म्यसिद्धि ग्रंथ पर प्रकाश डाला. कहा कि सुरेश्वाचार्य के अनुसार मात्र कर्म द्वारा मुक्ति संभव नहीं है. कर्म के द्वारा चित्त की शुद्धि के उपरांत ही ज्ञान की सरिता से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है. वेदांत का दुर्ग माने जाने वाले चार सिद्धि ग्रंथों मंडन मिश्र कृत ब्रह्मसिद्धि, विमुक्तात्मा कृत इष्टसिद्धि, सुरेश्वराचार्य कृत नैष्कर्म्यसिद्धि और मधुसूदन सरस्वती कृत अद्वैतसिद्धि का भी विवेचन किया.

ज्ञान से अपने अंदर की विकृतियों को दूर करना जरूरी- डॉ अमर

विभागाध्यक्ष डॉ रुद्रकांत अमर ने गीता के निष्काम कर्म और सुरेश्वराचार्य के नैष्कर्म्य सिद्धि का विश्लेषण करते हुए कहा कि यह दोनों ही एक दूसरे से भिन्न नहीं बल्कि एक ही लक्ष्य को इंगित करते हैं. उन्होंने नैष्कर्म्य सिद्धि के दार्शनिक विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. कहा कि वर्तमान समय में जितनी भी कुरीतियां है या अनैतिक कृत्य हो रहे हैं, वह सभी अज्ञानता जनित है. ऐसे समय में यह आवश्यक हो जाता है कि मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को पहचाने, ताकि अपने अंदर की विकृतियों को ज्ञान से दूर किया जा सके.

जड़ों को जाने बिना उज्ज्वल भविष्य और आदर्श समाज की कल्पना नहीं- डॉ राजीव

कार्यक्रम के संयोजक डॉ राजीव कुमार ने कहा कि जब तक हम अपनी जड़ों को नहीं जानेंगे, तब तक उज्ज्वल भविष्य और आदर्श समाज की कल्पना नहीं कर सकते. संचालन आयोजन सचिव डॉ प्रियंका राय तथा स्वागत डॉ संजीव कुमार शाह ने किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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