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Gaya News : नेपाल व भूटान से भी पहुंचे पिंडदानी, कहा- यहां आकर मिला सुकून

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Gaya News : देश के कोने-कोने से अलग-अलग वेश-भूषा, भाषा, खान-पान व जीवनशैली वाले तीर्थयात्री एक साथ बैठ कर अपने पूर्वजों का उद्धार करने के उद्देश्य से पिंडदान करने पहुंचे हैं.

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गया. गयाजी की सड़कें इन दिनों तीर्थयात्रियों से भरी पड़ी हैं. जिधर जाइए उधर ही भीड़. देश के कोने-कोने से अलग-अलग वेश-भूषा, भाषा, खान-पान व जीवनशैली वाले तीर्थयात्री एक साथ बैठ कर अपने पूर्वजों का उद्धार करने के उद्देश्य से पिंडदान करने पहुंचे हैं. इतना ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल व भूटान से भी काफी संख्या में पिंडदानी पहुंचे हैं, जो समूह में अपने पितरों का श्राद्ध कर्म करते देखे गये. भारत जिसे विविधताओं का देश कहा जाता है, उसका जीवंत उदाहरण गया जी में इन दिनों पितृपक्ष मेला महासंगम में देखने को मिल रहा है. पितृपक्ष मेला के चौथे दिन तक करीब 1.90 लाख तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं. देव घाट से संगत घाट के बीच भीड़ में अचानक से बड़ी संख्या में एक जगह बैठे तीर्थयात्री देख कर पांव ठहर गये. पूछने पर पिंडदानियों ने बताया वे नेपाल से आये हैं. नेपाल के मोहतार जिलांतर्गत गौशाला के वे रहनेवाले थे, जिनकी संख्या 45 थी. उन्हीं के पास थोड़ी दूर पर भूटान के चामची के रहनेवाले तीर्थयात्री भी बैठ कर पिंडदान करते देखे गये. उन्होंने बताया 60 की संख्या में वे यहां पहुंचे हैं. भूटान के चामची से आये प्रवीण ने बताया कि पांच दिनी श्राद्ध के लिए वे गयाजी पधारे हैं. उन्होंने इतनी भीड़ में भी व्यवस्था अच्छी बतायी. हां सिर्फ इतना अंतर है कि उनके यहां इतनी गर्मी नहीं है, जितनी यहां महसूस हो रही है. दोनों जगहों के तीर्थयात्री अपने पितरों का श्राद्ध कर अपने धन्य मान रहे हैं. उनका कहना है कि बड़ा सुकून महसूस कर रहा हूं. उन्होंने कहा अपने माता-पिता समेत सभी पितरों का उद्धार हर किसी को करना चाहिए. इससे आनेवाली पीढ़ी को सीख मिलती है. उन्होंने कहा गयाजी बड़ी पावन धरती है. यहां के बारे में सुन कर व सोशल मीडिया पर पढ़, सुन कर हमारी भी इच्छा हुई कि अपने पूर्वजों का उद्धार कर आऊं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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