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Reserve Bank of India : सकारात्मक संभावना

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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि भारत की वृद्धि क्षमता लगभग 7.5 प्रतिशत या उससे अधिक की है. वृद्धि क्षमता दर उस दर को इंगित करती है, जिस दर से अर्थव्यवस्था में बिना मुद्रास्फीति को बढ़ाये लंबे समय तक बढ़ोतरी हो सकती है.

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Reserve Bank of India :भारतीय रिजर्व बैंक का आकलन है कि वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रह सकती है, लेकिन बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि भारत की वृद्धि क्षमता लगभग 7.5 प्रतिशत या उससे अधिक की है. वृद्धि क्षमता दर उस दर को इंगित करती है, जिस दर से अर्थव्यवस्था में बिना मुद्रास्फीति को बढ़ाये लंबे समय तक बढ़ोतरी हो सकती है.

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इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में वृद्धि दर कुछ कम रही क्योंकि चुनाव के कारण सरकारी खर्च में कमी आयी थी. चुनाव के बाद सरकार ने फिर से बड़ी परियोजनाओं को मंजूर करने का सिलसिला शुरू कर दिया है. अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है कि इस अवधि में तीन लाख करोड़ रुपये की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को हरी झंडी दी गयी है. तीसरे कार्यकाल यानी पांच वर्षों में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर 15 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. साथ ही, विभिन्न विकास और कल्याण योजनाओं का प्रारंभ एवं विस्तार किया जा रहा है.

इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग और स्वच्छ ऊर्जा पर भी ध्यान दिया जा रहा है. इन प्रयासों से अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है. जहां कई अर्थव्यवस्थाएं, जिनमें विकसित देश भी शामिल हैं, बढ़ोतरी के लिए संघर्षरत हैं तथा अनेक देशों के विकास दर के ऋणात्मक होने की आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अधिक दर से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है. वैश्विक संस्थानों ने भी भारत की संभावनाओं पर भरोसा जताया है. वर्तमान में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा ऐसी संभावना है कि आगामी तीन वर्षों में यह जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच जायेगी.

नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने रेखांकित किया है कि अगले दशक में वैश्विक वृद्धि में भारत का 20 प्रतिशत योगदान होगा. सतत आर्थिक सुधारों, नीतिगत स्थिरता और कारोबारी सुगमता में बेहतरी जैसे कारकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक ठोस आधार प्रदान किया है. इस वजह से वैश्विक उद्योगों और निवेशकों का आकर्षण निरंतर बढ़ता गया है. कांत ने उचित ही रेखांकित किया है कि आर्थिक विकास के वर्तमान दौर जैसा अवसर कभी कभी आता है. कुछ साल पहले तक भारत की गिनती उन पांच अर्थव्यवस्थाओं में होती थी, जो कभी भी खतरे में पड़ सकती हैं, पर आज देश पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में है. कुछ वर्षों में वृद्धि दर वर्तमान स्तर से उल्लेखनीय रूप से अधिक हो सकती है.

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