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जमीन के पेच में फंसी मुंगेर में मुक्तिधाम की योजना

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लालदरवाजा श्मशान घाट पर किस जमीन पर मुक्तिधाम बनेगा इसका अब तक चयन ही नहीं हो पाया है. लंबे समय से मुक्ति धाम की योजना जमीन के पेच में फंसी हुई है.

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मुंगेर. हिंदू धर्म में पूरे सम्मान के साथ शव का अंतिम संस्कार किया जाता है. इसी परंपरा को बरकरार रखने के लिए सरकार मुंगेर के लालदरवाजा श्मशान घाट पर मुक्तिधाम बनाने की योजना लायी. सरकार ने इसके लिए 3.90 करोड़ की राशि भी स्वीकृत कर दी. कार्य एजेंसी बुडको ने निविदा की प्रक्रिया पूरी कर संवेदक को कार्यादेश भी दे दिया, लेकिन लालदरवाजा श्मशान घाट पर किस जमीन पर मुक्तिधाम बनेगा इसका अब तक चयन ही नहीं हो पाया है. लंबे समय से मुक्ति धाम की योजना जमीन के पेच में फंसी हुई है.

बिजली व लकड़ी वाला बनना है शवदाह गृह

बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जो बजट पेश किया था, उसमें सात निश्चय योजना के तहत सभी जिला मुख्यालयों में शवदाह गृह निर्माण के लिए राशि का प्रावधान किया गया था, ताकि अंतिम संस्कार सम्मान के साथ हो और शवयात्रा में शामिल लोगोंं को सहूलियत मिले. इसके लिए सरकार ने नगर विकास एवं आवास विकास को राशि आवंटित किया. इसके तहत मुंगेर के लालदरवाजा श्मशान घाट में भी 03 करोड़ 90 लाख 96 हजार की लागत से शवदाह गृह का निर्माण कराया जाना है. जो शवदाह गृह बनना है, उसमें एक यूनिट विद्युत चालित शवदाह गृह होगा और एक जोड़ा लकड़ी वाला शवदाह गृह बनाया जाना है. उसी शवदाह गृह में वहां कार्यरत कर्मी के रहने की व्यवस्था होगी. बुडको से मिली जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत वहां पर सामुदायिक शौचालय, स्नानागार और अन्य सुविधा का भी विकास किया जाना है, लेकिन यह योजना आज पूरी तरह से अधर में है.

बिना जमीन खोजे ही कर दिया कार्यादेश जारी

लालदरवाजा श्मशान घाट में जमीन की जांच-पड़ताल किये बिना ही शवदाह गृह बनाने को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने डीपीआर तैयार कर उसकी प्रशासनिक स्वीकृति दे दी. इसके बाद बुडको ने निविदा की प्रक्रिया भी पूरी कर ली और वर्ष 2023 में ही बिहारशरीफ की चयनित एजेंसी पूजा कंस्ट्रक्शन को कार्यादेश भी जारी कर दिया गया. जब संवेदक मुक्तिधाम बनाने के लिए पहुंचा तो लालदरवाजा श्मशान घाट पर जमीन ही नहीं मिली. जब जमीन ही नहीं है, तो संवेदक कहां पर मुक्तिधाम बनाएंगे यह बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी. इसके कारण संवेदक भी वापस चला गया.

संबंधित जमीन का मामला कोर्ट में लंबित

मुंगेर के गंगा तट लालदरवाजा श्मशान घाट मुंगेर नगर निगम के अधीन आता है, लेकिन वहां की जमीन बेगूसराय जिले के साहेबपुरकमाल अंचल में पड़ती है. जांच-पड़ताल के बाद जब यह मामला सामने आया तो बुडको ने जिलाधिकारी एवं नगर निगम के नगर आयुक्त को पत्र देकर शवदाह गृह निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया. पर, जिस जमीन पर मुक्तिधाम बनाने के लिए एनओसी मांगी जा रही है उसका मामला न्यायालय में लंबित है. जिला प्रशासन, निगम प्रशासन और बुडको आज तक मुक्तिधाम के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करवा सके हैं. इसके कारण मुक्तिधाम की योजना अधर में लटक गयी है.

शवों के अंतिम संस्कार में होती है परेशानी

लालदरवाज शमशान घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करना परेशानियों से भरा है. यहां पर विद्युत शवदाह गृह बना हुआ है, जो छह माह चालू रहता है और तकनीकी खराबी के कारण छह माह बंद रहता है. गंगा का पानी जब बढ़ता है, तो श्मशान घाट नजदीक हो जाता है और जब गंगा का पानी घटता है, तो श्मशान घाट एक-एक किलोमीटर दूर चला जाता है. चिलचिलाती धूप और बारिश में यहां पर शवों का अंतिम संस्कार करने में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

कहते हैं बुडको के कार्यपालक अभियंता

बुडको के कार्यपालक अभियंता कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि जमीन नहीं मिलने के कारण शवदाह गृह निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. इसे लेकर जिलाधिकारी एवं नगर आयुक्त से पत्राचार भी किया गया था, लेकिन जमीन का हल नहीं निकल पाया. जिस जमीन का चयन इसके लिए किया गया था, वह जमीन बेगूसराय में पड़ती है और उस जमीन का मामला कोर्ट में लंबित है. दूसरी जगह जमीन उपलब्ध कराने के लिए पूर्व के ईई ने जिलाधिकारी व नगर आयुक्त से दूसरी जगह जमीन उपलब्ध करने का अनुरोध किया था. जब तक जमीन नहीं मिलती है, शवदाह गृह का निर्माण नहीं हो पायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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