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परबत्ता के एलेक्स हॉस्पिटल को लाइसेंस देने में मेहरबानी पर घिरे सिविल सर्जन

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मरीज की मौत के बाद जनवरी महीने में सील इस निजी क्लिनिक को खोलने से पहले जल्दबाजी व मेहरबानी के फेर में सिविल सर्जन खुद जांच के घेरे में आ गये हैं

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फोटो.19 केप्सन. मंगलवार को प्रभात खबर में प्रकाशित समाचार फोटो.20 केप्सन. एलेक्स बोर्ड की फोटो सीएस ने नियम को ताक पर रख कर ओपीडी का लाइसेंस देने में दिखायी जल्दबाजी, एमओआइसी की रिपोर्ट भी किया नजरअंदाज पहली बार नहीं तीसरी बार पकड़ी गयी थी गड़बड़ी, तब सील हुआ था परबत्ता का चर्चित एलेक्स हॉस्पिटल, संचालक को भेजा गया था जेल ओपीडी के लाइसेंस की आड़ में तीन महीने से सिजेरियन कर प्रसव कर रहा था होमियोपैथी डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग ने नहीं ली खोज-खबर ——– डीएम-एसडीओ से क्यों नहीं पूछते हैं -सीएस निजी क्लिनिक में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद कार्रवाई में देरी के सवाल पर सिविल सर्जन डॉ. अमिताभ कुमार ने कहा कि यह सवाल डीएम व एसडीओ से क्यों नहीं पूछते हैं. उन्हीं से पूछिये. एलेक्स हॉस्पिटल प्रकरण पर सवाल पूछते ही सिविल सर्जन ने कॉल काट दिया. खगड़िया. एलेक्स हॉस्पिटल में होमियोपैथी विधि से ओपीडी चलाने के लाइसेंस की आड़ में सिजेरियन कर प्रसव व अल्ट्रासाउंड करने का मामला तूल पकड़ लिया है. बताया जाता है कि सीएस डॉ. अमिताभ कुमार ने जेल से निकले एलेक्स हॉस्पिटल के संचालक डॉ. संजय को होमियोपैथी का लाइसेंस देकर सील खोलने में नियम कायदे को ताक पर रख दिया. परबत्ता प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा सौंपी गयी जांच रिपोर्ट तक को नजरअंदाज कर दिया गया. मरीज की मौत के बाद जनवरी महीने में सील इस निजी क्लिनिक को खोलने से पहले जल्दबाजी व मेहरबानी के फेर में सिविल सर्जन खुद जांच के घेरे में आ गये हैं. इधर, स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मेहरबानी का नतीजा यह हुआ कि जून महीने में होमियोपैथी विधि से इलाज करने की बजाय इस क्लिनिक में सिजेरियन ऑपरेशन कर प्रसव सहित अन्य गोरखधंधा धड़ल्ले से होने लगा. वह तो 27 जुलाई को एलेक्स हॉस्पिटल में आठ दिनों तक भर्ती रेणु देवी के प्रसव सहित इलाज का अन्य चिठ्ठा प्रभात खबर के हाथ लग गया और पूरे खेल का खुलासा हो गया. वरना स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से यह गोरखधंधा बेरोकटोक चलता रहता. इधर, प्रभात खबर में ””जेल से निकलने के बाद फिर प्रसव से लेकर अल्ट्रासाउंड तक करने लगा होमियोपैथी डॉक्टर”” शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद कार्रवाई से बचने के लिए एक बार फिर सिविल सर्जन कार्यालय में दरबारी का दौर शुरू हो गया है. जिले में गांव की गलियों से लेकर शहर के चौक-चौराहे पर एलेक्स हॉस्पिटल जैसे सैकड़ों नर्सिंग होम चल रहे हैं, जहां इलाज के नाम पर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है. —————– पहली बार नहीं तीसरी बार पकड़ी गयी थी गड़बड़ी, 20 जनवरी को मरीज की मौत के बाद 28 जनवरी को एलेक्स हॉस्पिटल को सील करने व संचालक सहित तीन पर प्राथमिकी व गिरफ्तारी से पहले भी इस क्लिनिक की जांच में गड़बड़ी पकड़ी गयी थी. जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद मामला दब गया. 2023 में वर्तमान सीएस की जांच में इस क्लिनिक में अल्ट्रासाउंड करने व मरीजों को भर्ती कर इलाज करते हुये पकड़ा गया था. जिसके बाद जगह बदल कर नये नाम से कबीरमठ के समीप क्लिनिक खोल कर गोरखधंधा शुरू कर दिया गया. फिर परबत्ता प्रखंड प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने इस क्लिनिक में शिकायत के बाद जांच में इलाज के नाम पर गड़बड़ी करने की रिपोर्ट सौंपी थी. लेकिन सेटिंग-गेटिंग से मामला दबा दिया जाता रहा. इसी बीच 20 जनवरी को यहां भर्ती एक प्रसूता की मौत के बाद मामले को प्रभात खबर ने प्रमुखता से प्रकाशित कर उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया तब जाकर घटना के आठ दिन बाद 28 जनवरी को एलेक्स हॉस्पिटल को सील कर दिया गया था. सीएस द्वारा एलेक्स नर्सिंग होम का सील खोलने के लिये जारी पत्र में साफतौर पर लिखा हुआ है कि होमियोपैथी के अलावा अन्य विधि से इलाज करते हुये पकड़े जाने पर निबंधन रद्द करने के साथ नियमानुकूल कार्रवाई की जायेगी. जबकि 19 जून को सीएस के आदेश से सील खुलने के बाद जेल से निकले होमियोपैथी डॉक्टर ने फिर से प्रसव से लेकर अल्ट्रासाउंड का गोरखधंधा शुरू कर दिया. —————–

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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