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भूमि सर्वेक्षण में किसानों को राहत

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औरंगाबाद न्यूज. जमाबंदी ऑनलाइन करने में एलआरसी के कर्मियों ने की गलती

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जमाबंदी ऑनलाइन करने में एलआरसी के कर्मियों ने की गलती

औरंगाबाद/अंबा़

प्रखंड क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में भूमि सर्वेक्षण कार्य शुरू है. इसके लिए अब तक 228 राजस्व ग्राम में आमसभा की गयी है. वहीं 180 आमसभा की प्रोसेडिंग पोर्टल पर अपलोड कर दी गयी है. आमसभा के दौरान अधिकारियों ने किसानों को सर्वे की पूरी प्रक्रिया की जानकारी भी दी है. इसके बाद अब रैयतों को आवश्यक दस्तावेज की जरूरत पड़ रही है. इसके लिए खतियानी रैयत के वंशज दर-दर भटक रहे हैं. कभी वंशावली बनाने के लिए, तो कभी शपथ पत्र बनाने के लिए कोर्ट में स्टांप लेने की होड़ मची है. सर्वाधिक मारामारी जमीन के खतियान को निकालने के लिए हो रही है. वहीं जमाबंदी ऑनलाइन करने के क्रम मे एलआरसी के कर्मियों ने रसीद के खाता रकबा और रैयत के नाम में भारी हेराफेरी की है. उसे सुधार कराने के लिए किसान अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. वहां जल्दी कोई सुनने वाला नहीं है. हालांकि, सर्वेयर द्वारा भू-स्वामी को एक फॉर्मेट दिया गया है. उस फॉर्मेंट में साफ लिखा हुआ कि वंशावली स्वलिखित देना है. स्वलिखित वंशावली ही मान्य होगी. विवाद की स्थिति में वंशावली ग्राम कचहरी से जारी कराना होगा. बिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण में अपनी जमीन का कागज साक्ष्य के रूप में लगाना है. इसके लिए जमीन की रसीद, दस्तावेज, जमाबंदी का कागज लगाया जा सकता है. कहीं भी खतियान की जरूरत नहीं है. खतियानी रैयत बहुत कम लोग रहे गये हैं. वैसे ब्रिटिश शासन में तैयार किया गया खतियान ही सर्वेक्षण का मूल आधार है, पर जमीन का इधर-उधर हस्तांतरण भी हुआ है. किसान को परेशान होने की जरूरत नहीं है.

सर्वे कार्य को लेकर खाता-खतियान की बढ़ी डिमांड

जिले के जमीन मालिक जिला मुख्यालय स्थित रिकॉर्ड रूम से लेकर गया तक पहुंच रहे हैं. इसके बावजूद भी दस्तावेज नहीं मिल रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, पहले जहां एक दिन में अभिलेखागार में 20 से 25 आवेदन प्राप्त होते थे, अब वहीं 100 से 150 चिरकुट प्रपत्र कार्यालय को मिल रहा है. दूसरी तरफ अभिलेखागार में कर्मियों की भारी कमी है. यहीं नहीं, 115 वर्ष पहले तैयार किया गया खतियान का पन्ना गल चुका है. रैयतों की बात मानें, तो पूर्व में तीन से चार दिन में दस्तावेज मिल जाता था. अभी समय पर नहीं मिल पा रहा है. दस्तावेज को दुरूस्त करने के लिए अधिकतर रैयत 1912 में हुए सर्वे की प्रति मांग रहे हैं. हालांकि, 1970-71 के रिवीजनल सर्वे की रिपोर्ट भी मांगी जा रही है.

अब तक 650 रैयतों ने जमा किया प्रपत्र

20 अगस्त से ही विशेष भूमि सर्वेक्षण का कार्य जारी है. इसके बावजूद भी अभी तक कुटुंबा प्रखंड में महज 650 रैयतों ने ही प्रपत्र-2 एवं प्रपत्र 3(1) जमा किया है. सही जानकारी के अभाव में अधिकांश रैयत कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. जानकारी के अभाव में रैयत दिग्भ्रमित हैं. अभी तक वंशावली बनाने के लिए प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के यहां अचानक 20 गुनी भीड़ को देखने के बाद नोटिस चिपकाया गया कि वंशावली के लिए शपथ पत्र नहीं बनेगा. नोटिस में लिखा गया कि वंशावली में मजिस्ट्रेट के शपथ पत्र की जरूरत नहीं है. इसके बाद भी भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही है. विदित हो कि कुटुंबा प्रखंड में विशेष भूमि सर्वेक्षण कार्यालय रिसियप स्थित पंचायत सरकार भवन में स्थापित है, जो प्रखंड मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रैयतों को जानकारी लेने या प्रपत्र जमा करने के लिए रिसियप जाना पड़ रहा है. स्थानीय किसान पूर्व मुखिया औंकारनाथ सिंह, जीतू तिवारी, आजम ईमाम, धनंजय सिंह, अजीत कुमार पांडेय आदि ने वरीय अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए प्रखंड मुख्यालय में विशेष भूमि संरक्षण कार्यालय स्थापित कराये जाने की मांग की है.

क्या बताते हैं अफसर

एसओ स्नेह रंजन ने बताया कि किसान के हित में सरकार भूमि सर्वे करा रही है. इसमें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर, प्रपत्र भरने में उन्हें दिक्कत हो रही है, तो सर्वे कर्मी बतायेंगे. भूमि सर्वेक्षण के लिए रैयतों को खुद से स्वलिखित वंशावली देना है, पर उनके वंशज हिस्सेदार का नाम होना चाहिए. सर्वेक्षण से जमीन का पेपर अपडेट हो जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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