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रेडक्रॉस के ब्लड बैंक में सेपरेशन मशीन नहीं, कैसे होगा डेंगू के गंभीर मरीजों का इलाज

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बारिश के मौसम में डेंगू का खतरा बढ़ गया है. जिले में बुधवार को डेंगू के 11 केस मिल चुके हैं, लेकिन सेपरेशन यूनिट नहीं होने से मरीजों के समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं मिल रही है.

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गोपालगंज. बारिश के मौसम में डेंगू का खतरा बढ़ गया है. जिले में बुधवार को डेंगू के 11 केस मिल चुके हैं, लेकिन सेपरेशन यूनिट नहीं होने से मरीजों के समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं मिल रही है. डेंगू के गंभीर मरीजों को दूसरे शहरों में जाकर महंगा इलाज कराना मजबूरी बन गयी है. डेंगू बुखार में मरीज की प्लेटलेट्स तेजी से कम होती है. मरीज की जिंदगी बचाने के लिए प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती है. इसके लिए ब्लड बैंक और ब्लड सेपरेशन मशीन की जरूरत होती है, लेकिन मॉडल सदर ये सुविधा उपलब्ध नही है. ब्लड बैंक में ब्लड सेपरेशन मशीन नहीं है. सदर अस्पताल में सामान्य डेंगू के मरीजों के उपचार की सभी सुविधा तो है, लेकिन गंभीर मरीजों के उपचार की व्यवस्था नहीं है. पिछले कई सालों में ऐसे मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है. इसके अलावा डेंगू के मरीजों को प्राइवेट में महंगा उपचार कराना पड़ता है. ब्लड सेपरेशन मशीन के माध्यम से एक यूनिट रक्त से तीन मरीजों की जान बचायी जा सकेगी. दरअसल, ब्लड में तीन तरह के कंपोनेंट होते हैं. इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा व प्लेटलेट्स शामिल हैं. सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया जाता है. सेपरेशन मशीन के लग जाने से प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, पीआरबीसी, करयोप्रिसिपेट ब्लड संग्रह करने में सुविधा होगी. प्लाज्मा से बर्न, प्लेटलेट्स से डेंगू, पीआरबीसी से एनीमिया, करयोप्रिसिपेट से ब्लीडिंग कंट्रोल के मरीजों को ब्लड व जरूरत होती है. इस संबंध में रक्त अधिकोष इंचार्ज सतीश ने बताया कि मशीन के लगने से एक ही ब्लड को चार तरह लिया जा सकता है. सेपरेटर मशीन के लग जाने से ब्लड ट्रांसफॉर्मेशन के क्रम में होने वाले रिएक्शन की आशंका कम हो जाती है. एचबीटीसी विभाग को बताया गया है. ब्लड बैंक प्रस्तावित है. इसे चालू करने की प्रक्रिया चल रही है. अस्पताल स्तर से ब्लड बैंक के लिए स्टाफ की नियुक्ति की जानी है. इसके बाद लाइसेंस के लिए आवेदन किया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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