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लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूक कर रहे हैं राकेश

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पढ़ाई की न तो कोई उम्र होती है, न ही कोई सीमा. इस वाक्य को शिक्षक राकेश कुमार ने चरितार्थ किया है.

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लखीसराय. पढ़ाई की न तो कोई उम्र होती है, न ही कोई सीमा. इस वाक्य को शिक्षक राकेश कुमार ने चरितार्थ किया है. दरअसल राकेश मध्य विद्यालय पतनेर में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. नौकरी से इनके घर परिवार के सदस्य खुशहाली की जिंदगी जी रहे हैं, इसके बावजूद राकेश ने अपने समाज के लिए कुछ अलग करने की ठानी है. यह प्रेरणा उन्हें तब मिली, जब उनहोंने किसी किताब में फाइलेरिया नामक लाइलाज बीमारी के बारे में पढ़ी और जाना. सचमुच फाइलेरिया जानलेवा तो नहीं, पर लाइलाज और पीड़ादायक बीमारी है. यही तीन शब्दों ने शिक्षक राकेश को समाज के प्रति कुछ अलग करने की प्रेरणा जगायी.

स्कूली बच्चों के साथ लोगों को कर रहे हैं जागरूक

पतनेर निवासी शिक्षक राकेश कुमार अपने गांव और आसपास के इलाके में फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों की चुनौतीपूर्ण जिंदगी को देखकर काफी चिंतित हुए. फिर उन्होंने लोगों को शिक्षा के साथ-साथ फाइलेरिया बीमारी से बचाव के बारे में समाज और स्कूली बच्चों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया.

सर्वजन दवा सेवन अभियान में लिया हिस्सा

शिक्षक राकेश का कारवां सिर्फ फाइलेरिया बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने तक ही नहीं रूका. उन्होंने फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए जिले में चलाई जाने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान में भी अपनी महती भूमिका निभायी. इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपने विद्यालय के बच्चों को सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा खाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि गांव और आस-पड़ोस के लोगों को भी फाइलेरिया रोधी दवा सेवन कराने में अहम भूमिका निभायी.

फाइलेरिया के बारे में किताबों से मिली जानकारी

राकेश कुमार कहते हैं की जब किताबों में पढ़ाने के दौरान फाइलेरिया के बारे में पढ़ा तो उसके गंभीर परिणामों को जाना तो लगा फाइलेरिया तो एक लाइलाज बीमारी है. इसके बारे में स्कूल के बच्चों के साथ समुदाय के लोगों को जानना चाहिए कि अगर ये बीमारी हो जायेगी तो फिर पूरी जिंदगी बस अपाहिज जैसा ही जीना पड़ेगा. यहीं से मैंने ठाना की मैं एक शिक्षक हूं, इस नाते मेरी और भी जिम्मेदारी बनती है की समाज को फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक किया जाय. राकेश कहते हैं की अगर गांव में किसी को फाइलेरिया हो जाता है तो उसे अपने गांव को आशा से संपर्क कर ग्रसित व्यक्ति को उचित देख-भाल एवं प्रबंधन के लिए प्रेरित करता हूं. समुदाय को स्वस्थ्य जीवन के लिए प्रेरित करते रहते हैं

पतनेर गांव की आशा पप्पी कुमारी कहती है की शिक्षक राकेश कुमार फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए प्रेरित तो करते ही रहते हैं साथ ही किसी भी तरह के स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे हमारे गांव या स्कूल के बच्चों को जागरूक करते रहते हैं. कोविड -19 के समय में भी जब लोग इस बीमारी के डर से घर से निकलना नहीं चाहते थे. उस दौर में भी ये हमलोगों के साथ अपने जान की परवाह न करते हुए जागरूकता के साथ वैक्सीनेशन के कार्य में भी मदद करते थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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